16 अक्टूबर 2025 ✍🏻 Z S Razzaqi |वरिष्ठ पत्रकार
हरियाणा पुलिस का रोहतक ज़िला इन दिनों एक बेहद संवेदनशील और जटिल प्रकरण से गुजर रहा है। सहायक उप-निरीक्षक (ASI) संदीप कुमार लाठर की आत्महत्या ने राज्य के पुलिस महकमे की कार्यप्रणाली, आंतरिक राजनीति और नैतिक जवाबदेही पर गंभीर प्रश्न खड़े कर दिए हैं।
घटना का पृष्ठभूमि
ASI संदीप कुमार रोहतक में तैनात थे। 13 अक्टूबर को उन्होंने अपने आवास पर आत्महत्या कर ली। आत्महत्या से पहले उन्होंने एक वीडियो संदेश और एक हस्तलिखित नोट छोड़ा, जिसमें उन्होंने उच्च पुलिस अधिकारियों पर उत्पीड़न, भ्रष्टाचार और जातिगत भेदभाव के आरोप लगाए।
वीडियो में संदीप ने कहा कि उन्हें सिस्टम ने इतना तोड़ दिया कि अब वे आगे नहीं जी सकते। उन्होंने अपने वरिष्ठों के खिलाफ गंभीर टिप्पणियाँ कीं और यह भी कहा कि “सत्य बोलने की सज़ा मौत है।”
इस वीडियो के वायरल होते ही पूरे हरियाणा में पुलिस प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल उठने लगे। घटना के बाद जनता, पुलिस संघटन और विपक्षी दलों ने मामले की निष्पक्ष जांच की मांग उठाई।
FIR में दर्ज नाम और धाराएँ
रोहतक पुलिस द्वारा दर्ज FIR संख्या 305 में आत्महत्या के लिए उकसाने और आपराधिक साज़िश के आरोप लगाए गए हैं। यह मामला भारतीय न्याय संहिता की धारा 108 और 61 के तहत दर्ज किया गया है।
एफआईआर में जिन नामों का उल्लेख किया गया है, वे हैं:
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अमनीत पी. कुमार – पूरन कुमार की पत्नी, जो एक वरिष्ठ आईएएस अधिकारी हैं।
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अमनीत का भाई – जिन्हें आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में सह-आरोपी बनाया गया है।
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अमित रत्तन, बठिंडा ग्रामीण के विधायक।
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सुषिल कुमार, जो पूरन कुमार के पर्सनल सिक्योरिटी ऑफिसर (PSO) रह चुके हैं।
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सुनिल कुमार, जो रोहतक आईजी ऑफिस से जुड़े कर्मचारी बताए जाते हैं।
एफआईआर की प्रति परिजनों को सुनाई गई, जिसके बाद परिवार ने पोस्टमॉर्टम की प्रक्रिया के लिए सहमति दी। परिवार ने साथ ही न्याय सुनिश्चित करने के लिए उच्चस्तरीय जांच की मांग रखी।
मामले का राजनीतिक और प्रशासनिक असर
इस घटना के बाद हरियाणा सरकार पर दोहरी चुनौती खड़ी हो गई है —
पहली, पुलिस विभाग की आंतरिक कार्यप्रणाली पर सवाल उठ रहे हैं, और दूसरी, सरकार को यह साबित करना है कि वह निष्पक्ष जांच कराने में सक्षम है।
राज्य के पुलिस महानिदेशक शत्रुजीत कपूर को तत्काल प्रभाव से छुट्टी पर भेज दिया गया है, जबकि रोहतक के एसपी नरेंद्र बिजारनिया को भी पद से हटा दिया गया। यह कदम सरकार द्वारा जनता के दबाव और बढ़ते असंतोष को देखते हुए उठाया गया।
इस बीच, पुलिस विभाग ने एक विशेष जांच टीम (SIT) गठित की है, जो पूरे मामले की गहराई से जांच कर रही है। SIT का लक्ष्य आत्महत्या से जुड़े सभी पहलुओं को सामने लाना है, जिसमें भ्रष्टाचार, जातिगत भेदभाव और वरिष्ठ अधिकारियों के प्रभाव की भूमिका शामिल है।
वीडियो और आत्महत्यापत्र के आरोप
ASI संदीप के वीडियो और नोट में कई गंभीर बातें सामने आईं:
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उन्होंने कहा कि उन्हें कुछ वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा भ्रष्टाचार में शामिल होने के लिए मजबूर किया जा रहा था।
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IPS अधिकारी पूरन कुमार पर आरोप था कि उन्होंने विभागीय कार्यों में जाति और प्रभाव के आधार पर पक्षपात किया।
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संदीप ने दावा किया कि उन्होंने इस मुद्दे की जानकारी कई बार उच्चाधिकारियों को दी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।
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उन्होंने कुछ ईमानदार अधिकारियों की प्रशंसा करते हुए कहा कि वे अकेले इस व्यवस्था के खिलाफ लड़ रहे हैं।
इन बयानों ने पुलिस विभाग के भीतर की खामियों और सत्ता के दुरुपयोग की ओर गंभीर संकेत दिए हैं।
परिवार और जनता की प्रतिक्रिया
संदीप कुमार के परिजनों का कहना है कि वे किसी भी कीमत पर अपने बेटे को न्याय दिलाने के लिए संघर्ष करेंगे। परिवार ने सरकार से यह मांग की है कि जांच की निगरानी उच्च न्यायालय या केंद्रीय एजेंसी से कराई जाए ताकि निष्पक्षता बनी रहे।
जनता के बीच इस घटना ने गुस्से और अविश्वास का माहौल पैदा किया है। कई सामाजिक संगठनों और पुलिस यूनियनों ने भी सरकार से कार्रवाई की मांग की है।
विपक्ष और सामाजिक संगठनों की मांगें
कांग्रेस नेता भूपिंदर सिंह हुड्डा, इंडियन नेशनल लोकदल और आम आदमी पार्टी ने इस मामले की न्यायिक जांच की मांग की है। उनका कहना है कि यह केवल एक आत्महत्या नहीं, बल्कि एक सिस्टम के भीतर की सड़ांध का प्रतीक है।
वहीं, कुछ दलों ने इसे “राज्य प्रशासन की विफलता” बताया और कहा कि अगर पुलिस के भीतर ही अधिकारी सुरक्षित नहीं हैं, तो आम जनता का क्या होगा?
सरकारी कार्रवाई और अगला चरण
हरियाणा सरकार ने फिलहाल जांच के सभी पहलुओं को खुला रखा है। SIT ने कई गवाहों से पूछताछ शुरू कर दी है और मोबाइल रिकॉर्ड, कॉल डिटेल्स और वीडियो की फॉरेंसिक जांच जारी है।
राज्य सरकार ने यह भी कहा है कि यदि किसी भी वरिष्ठ अधिकारी की भूमिका साबित होती है, तो उसे बख्शा नहीं जाएगा।
वहीं, दूसरी ओर, आरोपी पक्ष का दावा है कि एफआईआर में राजनीतिक दबाव के तहत नाम जोड़े गए हैं और वे अपनी बेगुनाही के लिए न्यायालय का दरवाज़ा खटखटाएंगे।
जांच के प्रमुख सवाल
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क्या संदीप कुमार की आत्महत्या किसी संगठित तंत्र के दबाव का परिणाम थी?
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क्या वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा उत्पीड़न के ठोस सबूत मौजूद हैं?
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क्या राजनीतिक हस्तक्षेप ने इस पूरे मामले की दिशा बदल दी?
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क्या SIT की जांच पूरी तरह निष्पक्ष होगी, जब आरोपी उच्च पदों पर रहे हों?
इन सभी सवालों का जवाब आने वाले दिनों में हरियाणा पुलिस और सरकार की विश्वसनीयता तय करेगा।
निष्कर्ष:-
अब जनता की नज़र हरियाणा सरकार और SIT की जांच पर है — क्या यह जांच सच को सामने लाएगी या यह भी कई अन्य मामलों की तरह धुंध में गुम हो जाएगी, यह आने वाला समय बताएगा।
