29 सितंबर 2025:✍🏻 Z S Razzaqi | अंतरराष्ट्रीय विश्लेषक एवं वरिष्ठ पत्रकार
नई दिल्ली/वॉशिंगटन, 29 सितंबर 2025 — अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और इज़राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेटन्याहू सोमवार को व्हाइट हाउस में वर्ष की चौथी महत्वपूर्ण मुलाक़ात करने वाले हैं। यह बैठक ऐसे समय पर हो रही है जब गाज़ा पर लगभग दो साल लंबे युद्ध ने मानवीय संकट और राजनीतिक तनाव को चरम पर पहुँचा दिया है। दोनों देशों के बीच वर्षों पुराना “अटूट गठबंधन” अब एक निर्णायक मोड़ पर खड़ा है।
ट्रंप का दबाव और “डे आफ्टर प्लान”
ट्रंप ने रविवार को अपने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म ट्रुथ सोशल पर घोषणा की कि “मध्य पूर्व में कुछ महान और विशेष होने वाला है।” उन्होंने संकेत दिया कि गाज़ा युद्ध को समाप्त करने का समय आ चुका है। इसी कड़ी में हाल ही में न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा के इतर प्रस्तुत 21-सूत्रीय “डे आफ्टर प्लान” अब वैश्विक बहस का केंद्र है।
इस प्रस्ताव के अनुसार:
- हामास को दो दिनों में सभी 48 शेष कैदियों को रिहा करना होगा।
- प्रतिरोध छोड़ने वाले लड़ाकों को या तो गाज़ा छोड़ने या माफी मिलने का विकल्प दिया जाएगा।
- अकाल और भूख से जूझ रहे गाज़ा में बड़े पैमाने पर मानवीय सहायता पहुँचाने की अनुमति दी जाएगी।
- कुछ फ़िलिस्तीनी क़ैदियों को इज़राइली जेलों से छोड़ा जाएगा।
- इज़राइली सेना धीरे-धीरे पीछे हटेगी।
हालाँकि, हामास ने कहा है कि उसे अभी तक मिस्र और क़तर से कोई नया आधिकारिक प्रस्ताव नहीं मिला है, लेकिन संगठन “युद्ध विराम की शर्तों पर नए सुझाव” पर विचार करने के लिए तैयार है।
इज़राइल के भीतर राजनीतिक संकट
नेटन्याहू इस योजना को अपनाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन उनकी दक्षिणपंथी गठबंधन सरकार बुरी तरह बंटी हुई है। इज़राइल के कट्टरपंथी मंत्री — बेज़ालेल स्मोट्रिच और इतामार बेन-गवीर — पहले ही इस प्रस्ताव को “खतरनाक और अव्यवहारिक” बताकर खारिज कर चुके हैं। उनका मानना है कि गाज़ा को पूरी तरह नष्ट कर वहाँ फिर से अवैध बस्तियाँ बसानी चाहिए और फ़िलिस्तीनियों को स्थायी वापसी का अधिकार नहीं मिलना चाहिए।
नेटन्याहू की लिकुड पार्टी वर्तमान में केवल 32 सीटों के साथ कनेस्सेत (इज़राइली संसद) में अल्पमत सरकार चला रही है। सहयोगी दलों के असंतोष और टूटते समर्थन के बीच उनकी कुर्सी और भी अस्थिर होती जा रही है।
गाज़ा का भविष्य और अंतरराष्ट्रीय योजना
ट्रंप की योजना के तहत एक नई संस्था गाज़ा इंटरनेशनल ट्रांजिशनल अथॉरिटी (GITA) बनाई जाएगी, जिसका नेतृत्व संभवतः पूर्व ब्रिटिश प्रधानमंत्री टोनी ब्लेयर कर सकते हैं। यह संस्था गाज़ा का अस्थायी प्रशासन संभालेगी और सुरक्षा, पुनर्निर्माण और मानवीय कार्यों को आगे बढ़ाएगी।
संरचना इस प्रकार होगी:
- शीर्ष स्तर पर अंतरराष्ट्रीय राजनयिक, कारोबारी और संयुक्त राष्ट्र के अधिकारी।
- मध्य स्तर पर पाँच आयुक्त — मानवीय राहत, पुनर्निर्माण, क़ानून व्यवस्था, सुरक्षा और फ़िलिस्तीनी प्राधिकरण के साथ समन्वय की ज़िम्मेदारी।
- सबसे निचले स्तर पर स्थानीय फ़िलिस्तीनी तकनीकी विशेषज्ञों की टीम, जो ज़मीनी कार्यान्वयन देखेगी।
पहले वर्ष के लिए GITA का बजट लगभग 90 मिलियन डॉलर तय किया गया है, जिसे आगामी वर्षों में बढ़ाकर 133.5 और 164 मिलियन डॉलर किया जाएगा।
निष्कर्ष:-
ट्रंप और नेटन्याहू की यह मुलाक़ात केवल द्विपक्षीय संबंधों की मजबूती की परीक्षा नहीं है, बल्कि गाज़ा के भविष्य, फ़िलिस्तीन की आकांक्षाओं और पूरे मध्य पूर्व की स्थिरता का निर्धारण करने वाली साबित हो सकती है। एक ओर ट्रंप शांति और “विशेष सौदे” की बात कर रहे हैं, वहीं इज़राइल की आंतरिक राजनीति और कट्टरपंथी दबाव इस योजना को सफल होने से पहले ही अस्थिर बना सकते हैं।
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