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Delhi Molestation Case: 32 छात्राओं पर दबाव डालने वाले स्वामी चैतन्यानंदा और महिला स्टाफ की भूमिका पर बड़ा खुलासा

  25 सितम्बर 2025:कविता शर्मा  | पत्रकार  

परिचय

दिल्ली एक बार फिर से ऐसे भयावह मामले का गवाह बना है जिसने न केवल शिक्षा जगत, बल्कि समाज के नैतिक मूल्यों पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। वसंत कुंज स्थित एक निजी प्रबंधन संस्थान में 32 छात्राओं ने गंभीर आरोप लगाए हैं कि संस्थान के निदेशक और स्वयंभू “गॉडमैन” स्वामी चैतन्यानंदा ने उनका यौन उत्पीड़न किया। इससे भी अधिक चौंकाने वाली बात यह है कि इस पूरे षड्यंत्र में संस्थान की कुछ महिला स्टाफ सदस्य भी शामिल पाई गईं, जिन्होंने छात्राओं को दबाव में डालकर इन कृत्यों को सहन करने के लिए मजबूर किया।


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संस्थान और संदर्भ

स्वामी चैतन्यानंदा मूलतः ओडिशा से संबंध रखते हैं और लंबे समय से धार्मिक प्रवचन व शिक्षा के नाम पर काम कर रहे थे। उन्होंने एक निजी प्रबंधन संस्थान की स्थापना की, जहां मुख्य रूप से EWS (आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग) की छात्राओं को विशेष कोर्स में प्रवेश दिया जाता था। इन छात्राओं का कहना है कि उनकी आर्थिक स्थिति और भविष्य की पढ़ाई को हथियार बनाकर उन पर दबाव डाला गया।


छात्राओं के आरोप

छात्राओं ने पुलिस में दिए गए बयानों में कई गंभीर बातें उजागर कीं:

  1. अनुचित संदेश और कॉल – उन्हें देर रात तक स्वामी द्वारा आपत्तिजनक मैसेज भेजे जाते थे।

  2. शारीरिक उत्पीड़न – पढ़ाई और प्रोजेक्ट वर्क के बहाने मुलाकात बुलाकर अनुचित छेड़छाड़ की जाती थी।

  3. मानसिक दबाव – छात्राओं को कहा जाता था कि यदि वे विरोध करेंगी तो उनकी छात्रवृत्ति और भविष्य खतरे में पड़ जाएगा।

  4. महिला स्टाफ की संलिप्तता – आरोप है कि कुछ महिला कर्मचारी छात्राओं को यह समझाने की कोशिश करती थीं कि स्वामी की मांग मानना ही उनके लिए “फायदेमंद” है, और यदि वे इंकार करेंगी तो उन्हें संस्थान से निकाल दिया जाएगा।


पुलिस की कार्रवाई

वसंत कुंज (नॉर्थ) पुलिस थाने में दर्ज एफआईआर में कई धाराएँ लगाई गई हैं:

  • भारतीय दंड संहिता की यौन उत्पीड़न से जुड़ी धाराएँ

  • महिलाओं की गरिमा को ठेस पहुँचाने वाले अपराध

  • आपराधिक धमकी

  • धोखाधड़ी और फर्जीवाड़ा

पुलिस ने संस्थान के दफ्तर, हॉस्टल और अन्य जगहों पर छापे मारे।

  • सीसीटीवी फुटेज, मोबाइल फोन और कंप्यूटर की हार्ड डिस्क को फॉरेंसिक जांच के लिए भेजा गया।

  • छापेमारी में एक लग्ज़री वोल्वो कार बरामद हुई, जिस पर नकली “UN” (United Nations) की नंबर प्लेट लगी हुई थी।

  • स्वामी के नाम पर कई फर्जी दस्तावेज और संपत्ति से जुड़े कागज़ भी मिले।


स्वामी चैतन्यानंदा की वर्तमान स्थिति

एफआईआर दर्ज होने के बाद स्वामी कुछ समय के लिए विदेश चले गए थे। उनके लंदन और अन्य जगहों पर होने की जानकारी सामने आई। भारत लौटने के बावजूद वह पुलिस की गिरफ्त से दूर हैं। दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान और उत्तराखंड में पुलिस की टीमें लगातार छापेमारी कर रही हैं। उनके खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी किया गया है ताकि वह देश से बाहर न जा सकें।


संस्थान की प्रतिक्रिया

मामले के गंभीर होने पर संस्थान ने एक आधिकारिक बयान जारी किया। संस्थान ने कहा कि स्वामी चैतन्यानंदा की गतिविधियाँ उनके मूल उद्देश्य और मूल्यों के खिलाफ हैं। इस कारण संस्थान और उनसे जुड़ी धार्मिक पीठ ने उनसे सभी संबंध समाप्त कर दिए हैं। हालांकि छात्राओं और अभिभावकों का कहना है कि यह कदम बहुत देर से उठाया गया और तब तक कई ज़िंदगियाँ प्रभावित हो चुकी थीं।


मामला क्यों है महत्वपूर्ण?

  1. शक्ति का दुरुपयोग
    एक गुरु या शिक्षक के रूप में मिली शक्ति का इस तरह गलत इस्तेमाल शिक्षा जगत पर गहरा धब्बा है।

  2. महिला स्टाफ की भूमिका
    यदि महिला कर्मचारी वास्तव में इस अपराध में शामिल थीं, तो यह मामला और भी भयावह हो जाता है, क्योंकि छात्राओं को सुरक्षा देने के बजाय उन्हें अपराध के लिए धकेला गया।

  3. शिक्षा संस्थानों की जिम्मेदारी
    यह सवाल उठता है कि संस्थान ने छात्राओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए क्या कदम उठाए? क्या शिकायत तंत्र इतना कमज़ोर था कि छात्राओं की आवाज़ दबा दी गई?

  4. नीति और कानून पर असर
    यह मामला शिक्षा क्षेत्र में महिलाओं की सुरक्षा, शिकायत निवारण प्रणाली और संस्थागत जवाबदेही के लिए नए कानून और सुधारों की मांग करता है।


संभावित परिणाम

  • कानूनी सज़ा: यदि आरोप सही साबित होते हैं, तो स्वामी और संलिप्त महिला स्टाफ को लंबी जेल की सज़ा और भारी जुर्माना भुगतना पड़ सकता है।

  • संस्थान पर कार्रवाई: लाइसेंस निरस्तीकरण, फंडिंग रोकना और प्रशासनिक कार्रवाई जैसे कदम उठाए जा सकते हैं।

  • छात्राओं की सुरक्षा: सरकार और संस्थान दोनों को मिलकर सुरक्षित माहौल बनाने की दिशा में ठोस कदम उठाने होंगे।

  • नैतिक संदेश: इस मामले से यह साफ है कि छात्राओं की आवाज़ को नज़रअंदाज़ करना अब संभव नहीं है। समाज और कानून दोनों को यह सुनिश्चित करना होगा कि उनकी सुरक्षा सर्वोपरि है।


निष्कर्ष:-

दिल्ली का यह मामला केवल एक संस्थान या एक व्यक्ति तक सीमित नहीं है। यह पूरे समाज के लिए चेतावनी है कि जब तक शिक्षा संस्थानों में पारदर्शिता और जवाबदेही नहीं होगी, तब तक ऐसे अपराध होते रहेंगे। छात्राओं की सुरक्षा, गरिमा और भविष्य की रक्षा करना केवल कानून की नहीं बल्कि समाज की भी नैतिक जिम्मेदारी है।

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