नई दिल्ली, 7 अगस्त 2025 | विशेष रिपोर्ट:कविता शर्मा | पत्रकार
लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी ने आज एक बेहद गंभीर और चौंकाने वाला आरोप लगाते हुए कहा कि भारत के चुनाव आयोग (ECI) और भारतीय जनता पार्टी (BJP) के बीच चुनावी मिलीभगत के तहत बड़े पैमाने पर वोटर फ्रॉड किया गया है। उनका यह दावा सिर्फ राजनैतिक बयानबाज़ी नहीं, बल्कि तथ्यों और दस्तावेज़ों से समर्थित है — ऐसा राहुल गांधी ने AICC मुख्यालय में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में स्पष्ट किया।
🌐 “यह लोकतंत्र पर हमला है, और हम चुप नहीं बैठेंगे” – राहुल गांधी
राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि 2024 के लोकसभा चुनावों में सत्ताधारी पार्टी ने केवल 25 सीटें चुराकर सत्ता में बने रहने का रास्ता बनाया, और संयोग से BJP ने ठीक उन्हीं 25 सीटों पर जीत हासिल की जिन पर वोटों का मार्जिन 33,000 से भी कम था। उन्होंने कहा,
“प्रधानमंत्री मोदी को सत्ता में बने रहने के लिए बस 25 सीटें चोरी करनी थीं — और वही उन्होंने किया।”
उन्होंने ‘फर्ज़ी वोटर्स’ और ‘बनावटी पते’ को दिखाते हुए सबूत पेश किए, जिनमें से सिर्फ कर्नाटक के महादेवपुरा क्षेत्र में ही एक लाख से अधिक फर्ज़ी पते पाए गए। यह वही विधानसभा सीट है जहाँ 2023 में कांग्रेस हार गई थी।
🧾 चुनाव आयोग और BJP पर सीधा निशाना
राहुल गांधी ने सीधे तौर पर आरोप लगाया कि ECI न केवल BJP के साथ मिलीभगत कर रहा है, बल्कि फर्ज़ी वोटर्स को जोड़ने और वैध वोटर्स को हटाने की साज़िश में भी शामिल है। उन्होंने कहा,
“मेरे पास 100% सबूत है कि चुनाव आयोग धांधली को ‘अनुमति’ दे रहा है। और सबसे अहम बात — ECI ने यह नहीं कहा कि राहुल गांधी झूठ बोल रहे हैं।”
📜 ECI की प्रतिक्रिया: 'सबूत दो'
राहुल गांधी के आरोपों के तुरंत बाद चुनाव आयोग हरकत में आया। कर्नाटक के मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने उनसे 8 अगस्त तक सबूत पेश करने और शपथ-पत्र जमा करने को कहा है, ताकि कानूनी कार्रवाई की जा सके।
परंतु, सवाल यह है कि क्या यह प्रतिक्रिया वास्तविक जवाबदेही है या महज़ लीपा-पोती? क्योंकि ECI पर पिछले कई वर्षों से सवाल उठते रहे हैं, और आम जनमानस में यह धारणा गहराती जा रही है कि चुनाव आयोग की स्वतंत्रता अब संदिग्ध हो चुकी है।
🧠 जनता सब समझती है — राहुल की बातों में दम है
भारत की जनता पिछले कई वर्षों से देख रही है कि कैसे हर चुनाव में अनियमितताएँ सामने आती हैं, कैसे वोटिंग लिस्ट में गड़बड़ी होती है, और कैसे ECI की भूमिका “निष्पक्ष संस्थान” से हटकर सत्ता के उपकरण जैसी होती जा रही है। राहुल गांधी ने बार-बार चुनावी पारदर्शिता की माँग उठाई है, EVM और वोटर लिस्ट की ऑडिट की माँग की है, लेकिन हर बार उन्हें नजरअंदाज किया गया।
अब जब राहुल गांधी ने तथ्यों के साथ सामने आकर इस महाघोटाले का पर्दाफाश किया है, तो यह सिर्फ कांग्रेस या विपक्ष का नहीं, बल्कि भारत के लोकतंत्र का मुद्दा बन चुका है।
🔍 क्या 2024 का जनादेश वाकई “जनता” का था? या यह "चोरी" गया जनादेश था?
अगर राहुल गांधी के दावे सच साबित होते हैं, तो यह भारत के लोकतंत्र की नींव को हिलाने वाला मामला होगा। सवाल उठता है:
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क्या भारत का चुनाव आयोग अब भी निष्पक्ष है?
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क्या भारत में अब चुनावों का कोई भरोसा रह गया है?
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और सबसे बड़ा सवाल: क्या BJP ने देश की सबसे बड़ी लोकतांत्रिक प्रक्रिया को अपवित्र किया है?
🗣️ जनता का समर्थन जरूरी
राहुल गांधी ने अंत में एक सीधी अपील की:
“मैं एक राजनेता हूँ, लेकिन आज मैं एक भारतीय नागरिक के रूप में बोल रहा हूँ। इसे मेरी शपथ मानिए — हम इस लड़ाई को हर हाल में अंतिम मुकाम तक पहुँचाएँगे। ये सिर्फ मेरी नहीं, देश की आत्मा की लड़ाई है।”
अब ये भारत की जनता पर निर्भर करता है कि वह इस मुद्दे को लोकतंत्र बचाने की मुहिम के रूप में देखे और समर्थन दे।
📌 निष्कर्ष:-
राहुल गांधी की यह प्रेस कॉन्फ्रेंस किसी सामान्य आरोप का हिस्सा नहीं है — यह एक दस्तावेज़ित आपराधिक साज़िश की परतें खोलती है, जो सत्ता में बने रहने के लिए लोकतंत्र को नष्ट करने की कोशिश का सबूत है।
अब वक्त आ गया है कि मीडिया, नागरिक समाज, न्यायपालिका और हर जागरूक नागरिक इस मुद्दे को गंभीरता से ले, क्योंकि अगर चुनाव ही निष्पक्ष नहीं रहे, तो लोकतंत्र सिर्फ एक दिखावा बनकर रह जाएगा।ये भी पढ़ें
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