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पूर्व सांसद प्रज्वल रेवन्ना को बलात्कार मामले में आजीवन कारावास: सत्ता, सेक्स स्कैंडल और न्याय का फैसला


बेंगलुरु | 2 अगस्त 2025 |✍🏻 Z S Razzaqi | वरिष्ठ पत्रकार  

कर्नाटक की राजनीति को झकझोर देने वाले बहुचर्चित यौन शोषण मामले में शनिवार को एक विशेष अदालत ने पूर्व सांसद और निलंबित जनता दल (सेक्युलर) नेता प्रज्वल रेवन्ना को आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई। यह फैसला 2024 में हासन जिले में दर्ज चार बलात्कार मामलों में से एक में आया है। अदालत ने उन्हें घरेलू सहायिका के साथ कई बार बलात्कार, यौन उत्पीड़न, धमकी, और सबूत मिटाने जैसे गंभीर अपराधों का दोषी पाया।

कौन हैं प्रज्वल रेवन्ना?

प्रज्वल रेवन्ना पूर्व प्रधानमंत्री एच. डी. देवेगौड़ा के पोते और कर्नाटक सरकार में मंत्री रह चुके एच. डी. रेवन्ना के बेटे हैं। 34 वर्षीय प्रज्वल 2019 में हासन से लोकसभा सांसद चुने गए थे, और 2024 के आम चुनावों में भाजपा-जेडीएस गठबंधन के प्रत्याशी के रूप में फिर मैदान में उतरे थे।


लेकिन चुनाव से ठीक पहले सोशल मीडिया पर कुछ अश्लील वीडियो वायरल हो गए, जिनमें महिलाओं के साथ यौन शोषण करते हुए एक व्यक्ति को दिखाया गया था। बाद में जांच में पुष्टि हुई कि वह व्यक्ति स्वयं प्रज्वल रेवन्ना थे।


क्या है पूरा मामला?

इस मामले में पीड़िता एक मध्यम आयु वर्ग की घरेलू सहायिका है, जो रेवन्ना परिवार के फार्महाउस में काम करती थी। विशेष अदालत के जज संतोष गजानन भट ने पाया कि प्रज्वल ने पीड़िता का यौन शोषण "सत्ता और प्रभाव के दुरुपयोग" के माध्यम से किया। घटना के वक्त वह फार्महाउस पर अकेली थी और उसे डर व धमकी के जरिए चुप कराया गया।

पीड़िता ने 8 मई 2024 को शिकायत दर्ज करवाई थी। इससे तीन दिन पहले, यानी 5 मई को पुलिस ने उसे मैसूर के पास स्थित फार्महाउस से बंधक अवस्था में बरामद किया था। उसने बताया कि वह वीडियो में पहचान लिए जाने के बाद से छुपाई जा रही थी।


DNA साक्ष्य और SIT की भूमिका

इस मामले की जांच के लिए गठित विशेष जांच दल (SIT) ने फार्महाउस की तलाशी के दौरान पीड़िता के पुराने कपड़े बरामद किए, जिन्हें वह उस दिन पहन रही थी जब उसके साथ दुष्कर्म हुआ था। फोरेंसिक जांच में इन कपड़ों से मिले बाल और जैविक द्रवों का डीएनए नमूना प्रज्वल के डीएनए से मेल खा गया, जो अभियोजन के लिए निर्णायक साबित हुआ।


गवाह कौन था?

इस पूरे मामले का मुख्य व्हिसल-ब्लोअर खुद प्रज्वल का पूर्व ड्राइवर कार्तिक एन था। उसने अदालत में बयान दिया कि उसे प्रज्वल के फोन में 2000 से अधिक अश्लील तस्वीरें और 40-50 वीडियो मिले थे, जिनमें अलग-अलग महिलाओं के साथ शोषण रिकॉर्ड था।


अन्य मामलों की स्थिति

यह पहला मामला है जिसमें सजा सुनाई गई है, लेकिन प्रज्वल रेवन्ना के खिलाफ कम से कम तीन अन्य महिलाओं द्वारा अलग-अलग शिकायतें दर्ज कराई गई हैं:

  1. एक पूर्व जिला पंचायत कर्मचारी ने आरोप लगाया है कि प्रज्वल ने उसे बार-बार धमकाकर बलात्कार किया।

  2. एक रसोइया और उसकी बेटी के साथ यौन उत्पीड़न के आरोप भी प्रज्वल पर हैं।

  3. कुछ मामलों में पीड़ितों के पतियों ने भी अदालत में बयान दर्ज करवाए हैं।


फरारी और गिरफ्तारी

जब यह सेक्स स्कैंडल अप्रैल 2024 में सार्वजनिक हुआ, तो प्रज्वल जर्मनी भाग गए। लेकिन व्यापक जनदबाव और अदालत के हस्तक्षेप के बाद वे 31 मई 2024 को भारत लौटे और हवाई अड्डे पर ही गिरफ्तार कर लिए गए। तब से वह जेल में हैं।


राजनीतिक प्रतिक्रियाएं और साजिश का आरोप

रेवन्ना परिवार और जेडीएस पार्टी ने इसे राजनीतिक साजिश करार दिया है। उनका आरोप है कि कांग्रेस ने यह मामला हवा में उछालकर हासन लोकसभा सीट को छीनने की रणनीति अपनाई। गौरतलब है कि 2024 के आम चुनाव में प्रज्वल रेवन्ना इस सीट से हार गए थे।

हालांकि, पीड़िताओं के वकीलों और महिला अधिकार संगठनों का कहना है कि यह मामला राजनीति नहीं, न्याय और महिलाओं की गरिमा से जुड़ा है।


कानूनी धाराएं जिनके तहत सज़ा हुई

प्रज्वल रेवन्ना को भारतीय दंड संहिता (IPC) की निम्न धाराओं के तहत दोषी ठहराया गया:

  • 376(2)(k): प्रभाव और प्रभुत्व की स्थिति में बलात्कार

  • 376(2)(n): बार-बार बलात्कार

  • 354A, 354B, 354C: यौन उत्पीड़न, कपड़े उतारने की कोशिश और गुप्त रूप से वीडियो रिकॉर्डिंग

  • 506, 201: धमकी देना और सबूत मिटाना

  • आईटी एक्ट की धारा 66(E): निजता का उल्लंघन


न्यायपालिका का संदेश

इस फैसले को महिला सुरक्षा और कानून की दृष्टि से ऐतिहासिक माना जा रहा है। यह दिखाता है कि भले ही आरोपी कितना ही प्रभावशाली क्यों न हो, न्याय के कटघरे में सभी बराबर हैं।


आगे क्या?

हालांकि यह सज़ा एक महत्वपूर्ण पड़ाव है, मगर अभी भी अन्य मामलों में मुकदमे जारी हैं। अगर उन मामलों में भी दोष सिद्ध होता है, तो सजा और बढ़ सकती है।


निष्कर्ष:-
प्रज्वल रेवन्ना केस केवल एक व्यक्ति की गिरावट की कहानी नहीं है, बल्कि यह सत्ता के दुरुपयोग, महिला शोषण और राजनीतिक संरक्षण की खतरनाक सच्चाई को उजागर करता है। लेकिन यह न्यायिक प्रक्रिया की जीत भी है – और यह संकेत देता है कि अब कोई भी "अछूत" नहीं है।

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