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इजरायली बंधकों के वीडियो से उपजे आक्रोश के बीच प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने रेड क्रॉस से लगाई मदद की गुहार हमास बोला: जब तक गाजा में राहत गलियों को मंज़ूरी नहीं, तब तक बंधकों तक नहीं पहुंचेगी सहायता

✍🏻 Z S Razzaqi | अंतरराष्ट्रीय विश्लेषक एवं वरिष्ठ पत्रकार  

 गाज़ा में बंधकों की दुर्दशा दिखाते वीडियो सामने आने के बाद इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने अंतरराष्ट्रीय रेड क्रॉस समिति (ICRC) से हस्तक्षेप की अपील की है। इन वीडियो में दिखाए गए दो इजरायली बंधक—एव्यातार डेविड और रोम ब्रासलाव्स्की—कमजोर और कुपोषित अवस्था में नज़र आ रहे हैं, जिसने पूरे इजरायल को झकझोर दिया है।

प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से जारी बयान के अनुसार, नेतन्याहू ने ICRC के क्षेत्रीय समन्वयक जूलियन लेरिसन से बात की और उनसे आग्रह किया कि वे गाज़ा में बंधकों को खाद्य सामग्री और त्वरित चिकित्सा सहायता उपलब्ध कराने में मदद करें



रेड क्रॉस की प्रतिक्रिया

रेड क्रॉस ने एक बयान में कहा,

“हम इन भयावह वीडियो को देखकर स्तब्ध हैं और दोहराते हैं कि हमें बंधकों तक तत्काल पहुँच दी जानी चाहिए।”

हालांकि, हमास के सशस्त्र संगठन अल-क़स्साम ब्रिगेड ने जवाब में कहा कि बंधकों को चिकित्सा या भोजन तभी मिलेगा जब गाजा पट्टी के सभी इलाकों में मानवीय राहत गलियों की अनुमति दी जाएगी

उन्होंने यह भी जोड़ा कि,

“हम जानबूझकर बंधकों को भूखा नहीं रख रहे, लेकिन हम उन्हें किसी विशेष भोजन का अधिकार नहीं देंगे जब गाज़ा की पूरी आबादी भुखमरी और घेराबंदी की शिकार है।”


वीडियो के असर: इजरायल में उबाल

1 अगस्त को जारी हुए वीडियो में से एक में एव्यातार डेविड को अपनी कब्र खोदते दिखाया गया। यह दृश्य बेहद दर्दनाक था और इजरायली जनता के भीतर गहरा आक्रोश भर गया।
इस प्रकरण के बाद प्रधानमंत्री ने बंधकों के परिवारों से मुलाक़ात की और कहा:

“इन आतंकवादी संगठनों द्वारा साझा की गई सामग्री अत्यंत चौंकाने वाली है। हम अपने सभी बंधकों की वापसी के लिए निरंतर प्रयास कर रहे हैं।”

तेल अवीव में हजारों नागरिकों ने सड़कों पर उतरकर बंधकों की तत्काल रिहाई की मांग करते हुए सरकार पर दबाव बनाया।


अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया

यूरोपीय संघ की विदेश नीति प्रमुख काया कैलास ने वीडियो को “ह्रदयविदारक” करार दिया और कहा:

“इन चित्रों से हमास की बर्बरता उजागर होती है। सभी बंधकों को तुरंत और बिना शर्त रिहा किया जाना चाहिए।”

उन्होंने हमास से हथियार डालने और गाज़ा पर अपना नियंत्रण खत्म करने की भी मांग की।
कतर और मिस्र जैसे मध्यस्थ अरब देश भी इसी मांग का समर्थन कर चुके हैं।


गाज़ा में भूख, गोली और मौत

संयुक्त राष्ट्र और मानवाधिकार संगठनों का कहना है कि गाज़ा में भुखमरी का संकट वास्तविकता बन चुका है, और जो थोड़ी बहुत सहायता आती है, वह या तो लूट ली जाती है या वितरण में अव्यवस्था का शिकार हो जाती है।

3 अगस्त को रफ़ा के निकट गाज़ा ह्यूमैनिटेरियन फ़ाउंडेशन (GHF) के एक वितरण केंद्र पर खाद्यान्न लेने के लिए खड़े लोगों पर इजरायली गोलाबारी की गई, जिसमें 9 फ़िलिस्तीनी मारे गए
एक चश्मदीद जब्र अल-शाएर ने बताया:

“हम शांतिपूर्वक सहायता का इंतज़ार कर रहे थे, किसी ने कोई खतरा नहीं पैदा किया, लेकिन फायरिंग शुरू हो गई।”

इसी दिन गाज़ा के अन्य हिस्सों में भी कम से कम 10 और लोगों की मौत हुई।


बंधकों की स्थिति

एव्यातार डेविड और रोम ब्रासलाव्स्की उन 49 बंधकों में शामिल हैं, जिन्हें 7 अक्टूबर 2023 के हमले में अगवा किया गया था। इजरायली सेना के अनुसार, इनमें से 27 की मौत हो चुकी है
बाकी बंधकों को दो अस्थायी संघर्षविरामों के दौरान मुक्त किया गया था, जिनमें कुछ को बदले में इजरायली जेलों में बंद फ़िलिस्तीनी कैदियों के साथ बदला गया।


फिलिस्तीनी मृतकों की संख्या और हमास की चेतावनी

  • हमास के 2023 के हमले में 1,219 इजरायली नागरिकों की मौत हुई थी।

  • जवाबी अभियान में अब तक गाज़ा में 60,430 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है, जिनमें अधिकतर नागरिक थे।

  • हाल ही में फ़िलिस्तीनी रेड क्रिसेंट सोसाइटी ने बताया कि उनका एक कर्मचारी इजरायली हमले में मारा गया, हालांकि इजरायली सेना ने कहा कि उन्हें इस क्षेत्र में किसी हमले की जानकारी नहीं है।


नई उकसावनाः अल-अक्सा में यहूदी प्रार्थना

इजरायली सरकार के अतिदक्षिणपंथी मंत्री इटामार बेन गविर ने यरुशलम के अल-अक्सा मस्जिद परिसर में यहूदी प्रार्थना की और गाज़ा के अधिग्रहण और वहां की आबादी के "स्वैच्छिक पलायन" की मांग की।

यह पहली बार है कि कोई सरकार मंत्री वहां खुलेआम प्रार्थना करते हुए देखा गया है, जो लंबे समय से यहूदी प्रार्थना पर लगी रोक का उल्लंघन है।


निष्कर्ष:-

गाज़ा में मानवीय त्रासदी अब बंधकों की पीड़ा से और भी अधिक जटिल हो चुकी है। नेतन्याहू सरकार पर भीतर और बाहर से दबाव बढ़ रहा है। वहीं, हमास अपनी शर्तों पर अड़ा है। रेड क्रॉस की भूमिका और अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थों की भागीदारी आने वाले दिनों में इस संकट की दिशा तय कर सकती है।

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