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ट्रंप की 50% टैरिफ़ नीति पर रघुराम राजन का बड़ा बयान: "भारत सरकार के लिए एक चेतावनी घंटी"

  रिपोर्ट:✍🏻 Z S Razzaqi | अंतरराष्ट्रीय विश्लेषक एवं वरिष्ठ पत्रकार     

नई दिल्ली, 28 अगस्त 2025 – अमेरिका द्वारा भारत से आने वाले निर्यात पर लगाए गए 50% आयात शुल्क (Tariffs) ने भारत-अमेरिका रिश्तों में तनाव को चरम पर पहुँचा दिया है। पूर्व आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह फैसला भारत सरकार के लिए एक “Wake-up Call” है और इससे साफ़ पता चलता है कि भारत-अमेरिका संबंध अब बुरी तरह से बिगड़ चुके हैं।


राजन ने दी चेतावनी – "किसी एक देश पर निर्भरता ख़तरनाक"

इंडिया टुडे टीवी को दिए गए इंटरव्यू में राजन ने कहा:
"यह एक चेतावनी है। हमें किसी एक देश पर अत्यधिक निर्भर नहीं होना चाहिए। हमें पूर्वी एशिया, यूरोप और अफ्रीका की ओर भी देखना चाहिए। अमेरिका के साथ संबंध बनाए रखना ज़रूरी है, लेकिन हमें ऐसे सुधार लागू करने होंगे जो हमें 8–8.5% की विकास दर तक पहुँचा सकें और हमारे युवाओं को रोजगार दिला सकें।”


क्यों है भारत ‘Disadvantage’ में?

रघुराम राजन ने स्पष्ट किया कि भारत को इस टैरिफ नीति से विशेष नुकसान होगा क्योंकि:

  • भारत के लिए बेस टैरिफ 25% तय किए गए हैं।

  • वहीं, अन्य एशियाई देशों पर इससे कहीं कम दरें लागू हैं।

  • इसका सीधा असर भारतीय निर्यातकों की प्रतिस्पर्धात्मक क्षमता पर पड़ेगा।

"जब बाकी एशियाई देशों पर इतना कम टैरिफ लगाया गया है और भारत को 25% बेस टैरिफ झेलना पड़ रहा है, तो साफ है कि हमारे रिश्ते अब गंभीर संकट में हैं," राजन ने कहा।


ट्रंप की सोच – "ट्रेड डेफिसिट मतलब धोखा"

राजन के अनुसार, राष्ट्रपति ट्रंप की टैरिफ नीति आर्थिक संतुलन से ज्यादा राजनीतिक और शक्ति प्रदर्शन पर आधारित है।
उन्होंने कहा:
"ट्रंप मानते हैं कि अमेरिका का ट्रेड डेफिसिट इस बात का सबूत है कि दूसरे देश अमेरिका का फायदा उठा रहे हैं। लेकिन असलियत यह है कि सस्ते सामान का सबसे बड़ा लाभ अमेरिकी उपभोक्ताओं को ही मिलता है।”


"भारत को खासतौर पर निशाना बनाया गया"

जब राजन से पूछा गया कि क्या भारत को ट्रंप ने अलग से टार्गेट किया है, तो उन्होंने बेझिझक कहा:
"हाँ, इसमें कोई शक नहीं है कि भारत को विशेष रूप से निशाना बनाया गया है।"


"यह अब न्याय का मुद्दा नहीं, बल्कि शक्ति प्रदर्शन"

राजन ने इसे सिर्फ व्यापार का विवाद न मानते हुए कहा:
"हम अब न्याय, संप्रभुता या निष्पक्षता की बात से आगे बढ़ चुके हैं। यह पूरी तरह से शक्ति का खेल है। यह अमेरिका के लिए बिना सैन्य बल का इस्तेमाल किए दबाव बनाने का एक तरीका है।”


रूस से तेल खरीद और भारत की दुविधा

ट्रंप प्रशासन ने भारत के रूस से तेल खरीदने को भी टैरिफ का कारण बताया है। इस पर राजन ने कहा:
"हमें देखना होगा कि असली फायदा किसे हो रहा है और नुकसान कौन झेल रहा है। फिलहाल रिफाइनर्स मोटा मुनाफा कमा रहे हैं, लेकिन निर्यातकों पर टैरिफ का बोझ पड़ रहा है। अगर इससे बड़ा लाभ नहीं हो रहा है, तो हमें सोचना चाहिए कि क्या इन खरीदों को जारी रखना उचित है।”


कृषि क्षेत्र पर भी जताई चिंता

इससे पहले भी राजन ने आगाह किया था कि अमेरिका से व्यापार समझौते करते समय भारत को बेहद “सावधान और चतुर” रहना होगा, क्योंकि विकसित देशों में कृषि क्षेत्र को भारी सब्सिडी मिलती है और ऐसे में भारतीय किसानों को गहरी मार पड़ सकती है।


निष्कर्ष:-

रघुराम राजन के बयानों से साफ़ झलकता है कि अमेरिका का यह फैसला भारत की अर्थव्यवस्था के लिए बड़ा झटका है।
यह केवल ट्रेड वॉर नहीं बल्कि जियो-इकोनॉमिक शक्ति प्रदर्शन का हिस्सा है।
राजन ने भारत को चेतावनी दी है कि अगर जल्द ही आर्थिक सुधार और बहुपक्षीय व्यापारिक रणनीति नहीं अपनाई गई, तो 8% विकास दर का लक्ष्य पाना मुश्किल हो जाएगा और भारत वैश्विक व्यापार में पिछड़ सकता है।

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