हरिद्वार | 27 जुलाई 2025 रिपोर्टिंग: कविता शर्मा | पत्रकार
उत्तराखंड के पवित्र धार्मिक स्थल हरिद्वार स्थित मनसा देवी मंदिर में आज सुबह एक हृदयविदारक हादसा हुआ, जिसमें 7 श्रद्धालुओं की मौत हो गई और 55 से अधिक लोग घायल हो गए। यह हादसा मंदिर की सीढ़ियों पर उस समय हुआ जब भारी भीड़ के बीच करंट फैलने की अफवाह फैली और भगदड़ मच गई।
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Symbolic Image |
हादसे का दृश्य: एंबुलेंस, घायल, चीख-पुकार
घटना के तुरंत बाद के दृश्य बेहद भयावह थे। सोशल मीडिया और न्यूज़ चैनलों पर प्रसारित वीडियो में देखा गया कि घायल श्रद्धालुओं को एंबुलेंस के ज़रिए अस्पताल ले जाया जा रहा था। मंदिर परिसर और उसके रास्ते में घबराए हुए लोग मदद की गुहार लगाते नज़र आए। कुछ श्रद्धालु जमीन पर गिरे पड़े थे, जिनमें कई बच्चे और बुज़ुर्ग भी शामिल थे।
हादसे का कारण: करंट की अफवाह या भीड़ प्रबंधन में चूक?
गढ़वाल मंडल आयुक्त विनय शंकर पांडे ने जानकारी दी कि हादसे से पहले मंदिर में भारी संख्या में श्रद्धालु एकत्र हो चुके थे। हरिद्वार के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक प्रमेन्द्र सिंह डोबाल के अनुसार, प्रारंभिक जांच में करंट फैलने की अफवाह को भगदड़ का कारण माना जा रहा है। उन्होंने बताया:
"मौके पर तुरंत पुलिस बल पहुंच गया और राहत कार्य शुरू किया गया। करीब 35 घायलों को अस्पताल में भर्ती किया गया, जिनमें से 6 की मौके पर मौत की पुष्टि हुई थी, बाद में यह संख्या 7 हो गई।"
सावन में उमड़ा भक्तों का सैलाब
घटना सावन के पवित्र महीने में हुई है, जब मनसा देवी मंदिर, हर की पौड़ी, और अन्य शिव मंदिरों में भक्तों का भारी सैलाब उमड़ता है। कांवड़ यात्रा के दौरान लाखों श्रद्धालु गंगाजल लेने हरिद्वार पहुंचते हैं। इसी धार्मिक श्रद्धा और उत्साह में आज सुबह बड़ी संख्या में लोग मंदिर में दर्शन के लिए जुटे थे।
चश्मदीद की आपबीती
बिहार से आए एक घायल श्रद्धालु ने ANI को बताया:
"भीड़ अचानक बहुत ज़्यादा हो गई। लोग आगे बढ़ने लगे, किसी ने कहा कि करंट लग गया है। लोग इधर-उधर भागने लगे। मैं गिर गया और मेरा हाथ टूट गया। मदद के लिए कोई नहीं था।"
प्रशासन और सरकार की प्रतिक्रिया
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हादसे पर गहरा दुख व्यक्त किया और राहत कार्यों की निगरानी शुरू की। उन्होंने ट्वीट कर कहा:
"हरिद्वार के मनसा देवी मंदिर मार्ग पर हुई भगदड़ की सूचना अत्यंत दुःखद है। राज्य आपदा प्रतिवादन बल (SDRF), स्थानीय पुलिस और राहत दल मौके पर पहुंच चुके हैं और बचाव कार्य में लगे हैं। मैं स्थानीय प्रशासन के संपर्क में हूं और स्थिति पर निरंतर नज़र बनाए हुए हूं। मां भगवती से सभी श्रद्धालुओं की कुशलता की प्रार्थना करता हूं।"
मौजूदा हालात और राहत कार्य
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राज्य आपदा प्रतिवादन बल (SDRF), स्थानीय पुलिस, और एनडीआरएफ की टीमें राहत और बचाव कार्यों में जुटी हुई हैं।
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घायलों को नज़दीकी अस्पतालों में भर्ती कराया गया है, कई की हालत गंभीर बताई जा रही है।
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मंदिर परिसर को फिलहाल आम श्रद्धालुओं के लिए बंद कर दिया गया है।
प्रशासन से उठ रहे सवाल
इस हादसे ने भीड़ प्रबंधन और सुरक्षा उपायों पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। सवाल यह है कि:
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करंट फैलने जैसी अफवाहें इतनी तेज़ी से कैसे फैलीं?
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सावन जैसे संवेदनशील महीने में भीड़ नियंत्रण के लिए पर्याप्त व्यवस्था क्यों नहीं की गई?
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CCTV, माइक अनाउंसमेंट और मेडिकल स्टाफ की तैनाती कितनी प्रभावी थी?
निष्कर्ष:-
हरिद्वार जैसे अंतरराष्ट्रीय तीर्थ स्थल में इस तरह की भगदड़ की घटनाएं दोहराए जाना न केवल चिंताजनक है बल्कि प्रशासन की तैयारियों पर भी सवाल उठाता है। सावन, कांवड़ और अन्य पर्वों में लाखों की संख्या में आने वाले श्रद्धालुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करना केवल धार्मिक व्यवस्थाओं का नहीं, बल्कि सरकार और प्रशासन की जिम्मेदारी है।
शोक संतप्त परिवारों के प्रति गहरी संवेदना।
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