ट्रंप के टैरिफ दबाव, किम जोंग उन की परमाणु धमकी और गिरती अर्थव्यवस्था के बीच ली जे-म्युंग की अग्निपरीक्षा शुरू
सियोल, 4 जून 2025 – दक्षिण कोरिया के नव-निर्वाचित राष्ट्रपति ली जे-म्युंग ने ऐसे समय में पदभार संभाला है जब देश गंभीर आंतरिक और बाहरी संकटों से जूझ रहा है। पूर्व राष्ट्रपति यून सुक योल की महाभियोग और पदच्युत किए जाने के बाद सत्ता में आए ली को कोरियाई इतिहास की सबसे जटिल परिस्थितियों में नेतृत्व संभालने का गौरव और चुनौती दोनों मिला है।
ली को पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के आयात शुल्क संबंधी दबाव, परमाणु हथियारों से लैस पड़ोसी उत्तर कोरिया की अनिश्चित आक्रामकता और खुद देश की मंदी की ओर बढ़ती अर्थव्यवस्था जैसे गंभीर मसलों का सामना करना है।
🔴 लोकतंत्र की जीत, पर चुनौतियों का पहाड़
नेशनल इलेक्शन कमीशन के आंकड़ों के मुताबिक, करीब 3.5 करोड़ मतदाताओं में से 49.42% ने ली जे-म्युंग को वोट दिया, जबकि उनके कंजरवेटिव प्रतिद्वंद्वी किम मून-सू को 41.15% मत प्राप्त हुए। यह चुनाव 1997 के बाद सबसे अधिक वोटिंग टर्नआउट वाला राष्ट्रपति चुनाव रहा।
अपने विजय भाषण में ली ने कहा:
"हमारा पहला कार्य यह सुनिश्चित करना है कि फिर कभी कोई सैन्य तख्तापलट न हो। जनता की ताकत से हम हर संकट को पार कर सकते हैं।"
💹 आर्थिक संकट से निपटना सबसे बड़ी प्राथमिकता
दक्षिण कोरिया इस समय महंगाई, बेरोजगारी और घटते घरेलू उपभोग जैसी समस्याओं से घिरा है। ली ने वादा किया है कि वे मध्यम और निम्न वर्ग की जीवन लागत से जुड़ी समस्याओं को प्राथमिकता देंगे।
छोटे कारोबारियों की समस्याएं, जिन्हें कोविड-19 और फिर राजनीतिक अस्थिरता ने बुरी तरह प्रभावित किया है, उनकी सरकार की आर्थिक रणनीति का मुख्य हिस्सा रहेंगी।
ट्रंप का टैरिफ संकट: अमेरिका के साथ तनावपूर्ण आर्थिक रिश्ते
जैसे ही ली जे-म्युंग ने शपथ ली, अमेरिका ने दक्षिण कोरियाई स्टील और एल्युमिनियम पर 50% तक टैरिफ लगाने की चेतावनी दोहराई। ट्रंप ने Truth Social पर कहा कि दक्षिण कोरिया से व्यापार घाटा अस्वीकार्य है और अमेरिका को उसकी सैन्य सुरक्षा का "मूल्य वसूलना चाहिए।"
गौरतलब है कि अमेरिका में आयात होने वाले स्टील का 13% दक्षिण कोरिया से आता है, जो कि चौथा सबसे बड़ा निर्यातक है।
ली ने चुनाव प्रचार के दौरान कहा था:
"हमें जल्दबाज़ी नहीं करनी है, लेकिन टैरिफ वार्ता तुरंत शुरू होनी चाहिए। अगर समझौता नहीं हुआ, तो यह आर्थिक संकट को जन्म दे सकता है।"
☢️ किम जोंग उन और उत्तर कोरिया: नई राह की ओर संकेत
उत्तर कोरिया द्वारा रूस को सैनिक भेजना और सीमा पर दीवारें बनाना दर्शाता है कि क्षेत्रीय भू-राजनीति में तनाव चरम पर है। ली जे-म्युंग ने अपने पूर्ववर्ती पर आरोप लगाया कि उन्होंने जानबूझकर उत्तर कोरिया को भड़काया ताकि मार्शल लॉ लागू करने का बहाना मिल सके।
ली ने संकेत दिया है कि उनकी सरकार उत्तर कोरिया के साथ सहज और संवादात्मक नीति की ओर बढ़ेगी, और साथ ही बीजिंग के साथ दोस्ताना रिश्ते बहाल करेगी, जो लंबे समय से प्योंगयांग का समर्थक रहा है।
उनका कहना था:
"जब उत्तर कोरिया ने सीमा पर टैंक रोधी दीवारें बनाईं, तो क्या यह दक्षिण कोरिया से डर का परिणाम नहीं था? हमें उस डर को विश्वास में बदलना होगा।"
🛡️ सुरक्षा की अमेरिकी गारंटी और क्षेत्रीय कूटनीति
दक्षिण कोरिया में वर्तमान में 28,500 अमेरिकी सैनिक तैनात हैं। अमेरिका ने उत्तर कोरिया के किसी भी हमले की स्थिति में सुरक्षा गारंटी दी है। लेकिन अगर अमेरिका टैरिफ और सैन्य सहायता दोनों को लेन-देन का विषय बनाता है, तो दक्षिण कोरिया की विदेश नीति को नये सिरे से संतुलित करना होगा।
📌 नया युग, नई उम्मीदें
ली जे-म्युंग के सामने एक ओर जहां आंतरिक मोर्चे पर लोकतांत्रिक स्थायित्व बहाल करने और आर्थिक सुधार की चुनौती है, वहीं दूसरी ओर उन्हें अमेरिका और उत्तर कोरिया जैसे बड़े वैश्विक खिलाड़ियों के साथ सामरिक चतुराई के साथ संतुलन साधना होगा।
अब यह देखना बाकी है कि क्या ली जे-म्युंग सिर्फ एक बदलाव के प्रतीक बनकर रहेंगे, या फिर इतिहास उन्हें दक्षिण कोरिया के सबसे प्रभावशाली नेताओं में गिनेगा।
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