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जासूसी के आरोप में गिरफ़्तार यूट्यूबर ज्योति मल्होत्रा की डायरी बरामद: पाक यात्रा के बाद लिखे विचारों से सामने आईं चौंकाने वाली बातें


परिचय: एक ट्रैवल ब्लॉगर या जासूस?

हरियाणा की 33 वर्षीय यूट्यूबर ज्योति मल्होत्रा, जो 'ट्रैवल विद JO' नाम से यूट्यूब चैनल चलाती थीं, अब पाकिस्तान के लिए जासूसी करने के आरोपों में राष्ट्रीय जांच एजेंसियों की हिरासत में हैं। हाल ही में पुलिस ने उनकी एक निजी डायरी बरामद की है, जिसमें उनके अंतरराष्ट्रीय दौरों, विशेष रूप से पाकिस्तान यात्रा से जुड़े विचार और अनुभव दर्ज हैं। यह डायरी अब जांच एजेंसियों के लिए एक अहम सुराग बन गई है, जो भारत में पाकिस्तानी खुफिया तंत्र की गहराई को उजागर कर सकती है।



डायरी के पन्नों में छिपा रहस्य: मुल्क पर मोहब्बत या मक्कारी?

बरामद डायरी में करीब 10-11 पृष्ठ हैं, जिनमें 8 पन्ने अंग्रेज़ी में सामान्य यात्रा अनुभवों को समर्पित हैं और 3 पन्ने विशेष रूप से पाकिस्तान यात्रा पर आधारित हैं, जो हिंदी में लिखे गए हैं। एक प्रमुख प्रविष्टि में लिखा गया है:

"पाकिस्तान में 10 दिन की यात्रा पूरी करने के बाद आज अपने मुल्क भारत लौट आई हूं। हम नहीं जानते कि सरहदों की दूरियाँ कब तक रहेंगी, पर दिलों की शिकवे मिट जाएं। हम सब एक ही मिट्टी, एक ही जमीन के वासी हैं।"


इस कथन में जहाँ मानवीय भावनाओं की झलक मिलती है, वहीं जांच एजेंसियाँ इसे एक सोची-समझी 'नैरेटिव बिल्डिंग' और इमोशनल प्रोपेगेंडा का हिस्सा मान रही हैं — खासकर तब, जब यह महिला कथित तौर पर पाकिस्तानी खुफिया एजेंसियों के संपर्क में रही हो।


भारत में पाकिस्तानी नेटवर्क का विस्तार: क्या ज्योति सिर्फ एक मोहरा थी?

ज्योति मल्होत्रा उन 11 लोगों में शामिल हैं जिन्हें पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश से पिछले दो हफ्तों में गिरफ्तार किया गया है। बताया जा रहा है कि इन सभी पर पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI से जुड़े जासूसी नेटवर्क का हिस्सा होने का संदेह है।


जांच एजेंसियों के अनुसार, ज्योति की डायरी में पाकिस्तान की मेहमाननवाज़ी की जमकर तारीफ की गई है। उन्होंने यह भी लिखा है कि और अधिक हिंदू श्रद्धालु पाकिस्तान जाकर अपने पुरखों की भूमि और धार्मिक स्थलों के दर्शन करें, यह व्यवस्था सरकार को करनी चाहिए। यह विचार एक ओर भावनात्मक लग सकते हैं, लेकिन विशेषज्ञ इसे भारत की सुरक्षा नीति को कमजोर करने और जनमत को पाकिस्तान के पक्ष में मोड़ने का प्रयास मान रहे हैं।


कश्मीर यात्रा और संदिग्ध सहयोगी: क्या कुछ और छिपा है?

पुलिस अब उनके कश्मीर दौरे के फुटेज की गहराई से जांच कर रही है, जहाँ वे बार-बार एक दूसरी महिला — उड़ीसा की प्रियंका सेतुपति — के साथ देखी गईं। जांच एजेंसियाँ सेतुपति से पूछताछ कर रही हैं कि क्या वह भी इस अंतरराष्ट्रीय जासूसी रैकेट का हिस्सा थीं।

इसके अतिरिक्त, उनकी सोशल मीडिया गतिविधियों और विदेश यात्राओं (जैसे बाली यात्रा) की पड़ताल की जा रही है। परिवार वालों को भी यह तक नहीं पता था कि वह अक्सर दिल्ली नहीं, बल्कि अन्य स्थानों की यात्रा कर रही थीं।


गिरफ्तारी के बाद टूट गया पारिवारिक रिश्ता: पिता ने किया किनारा

ज्योति की गिरफ्तारी के बाद उनके परिवार ने घर से उसकी सारी तस्वीरें हटा दी हैं। बताया गया है कि उनके पिता सदमे में हैं और केस से पूरी तरह खुद को अलग कर चुके हैं। यह घटनाक्रम एक परिवार के टूटते विश्वास और सामाजिक कलंक की दर्दनाक झलक प्रस्तुत करता है।


पाकिस्तानी खुफिया तंत्र की रणनीति: सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स को बना रहे हैं एजेंट

हिसार एसपी शशांक कुमार सवान के अनुसार, “यह आधुनिक युद्ध है — अब लड़ाई केवल बॉर्डर तक सीमित नहीं रही। पाकिस्तानी खुफिया एजेंसियाँ अब सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स को टारगेट कर रही हैं, ताकि वे उनके नैरेटिव को भारतीय जनता तक पहुँचा सकें।”

उन्होंने कहा कि ज्योति मल्होत्रा ने पाकिस्तान जाने से पहले कश्मीर यात्रा की थी, और पहालगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले से पहले ही वह वहां मौजूद थीं। अब जांच एजेंसियाँ यह पता लगाने में जुटी हैं कि क्या इन यात्राओं के बीच कोई कड़ी मौजूद है।


पाकिस्तानी अधिकारी से संपर्क और ISI कनेक्शन

जांच में सामने आया है कि ज्योति की मुलाकात 2023 में पाकिस्तान हाई कमीशन में एहसान-उर-रहीम उर्फ़ 'दानिश' से हुई थी। यह वही अधिकारी है जिसे भारत सरकार ने हाल ही में देश से निष्कासित कर दिया है।

यही नहीं, मलेरकोटला (पंजाब) से गिरफ्तार की गई गुज़ाला और यामीन मोहम्मद ने भी इसी पाकिस्तानी अधिकारी से संपर्क किया था। ये दोनों सैन्य ठिकानों की तस्वीरें और संवेदनशील जानकारियाँ ISI को भेजने के आरोप में पकड़े गए हैं।


क्या यह अकेली घटना नहीं? एक गहरी साज़िश की परतें खुल रही हैं

इस केस के जरिए यह स्पष्ट हो रहा है कि पाकिस्तान एक सुनियोजित रणनीति के तहत भारत के अंदर अपने प्रभाव को बढ़ा रहा है — और इसमें सोशल मीडिया, धार्मिक भावनाओं, और ट्रैवल नैरेटिव्स का इस्तेमाल हो रहा है।

इस पूरे घटनाक्रम से यह भी सवाल उठता है:
क्या भारत में सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स की निगरानी का कोई मजबूत ढांचा है?
क्या हमें ट्रैवल ब्लॉगर और यूट्यूबर के नाम पर देशद्रोह करने वालों से सावधान नहीं रहना चाहिए?


निष्कर्ष:-

 एक महिला, एक डायरी और राष्ट्र की सुरक्षा

ज्योति मल्होत्रा की डायरी सिर्फ कुछ शब्दों की कागज़ी दर्ज नहीं है — वह इस बात की गवाही है कि आज की दुनिया में जासूसी हथियारों से नहीं, विचारों और सोशल मीडिया से लड़ी जा रही है।
यह मामला केंद्र सरकार और जांच एजेंसियों के लिए एक चेतावनी है कि सुरक्षा अब केवल सरहदों की नहीं, डिजिटल सीमाओं की भी है।


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