बेंगलुरु, मई 2025 — कर्नाटक के वरिष्ठ BJP नेता और विधायक मुनिरत्ना नायडू के खिलाफ एक 40 वर्षीय महिला द्वारा दर्ज कराई गई FIR ने राज्य की राजनीति और सत्ता के चरित्र को कठघरे में ला खड़ा किया है। पीड़िता ने आरोप लगाया है कि 11 जून 2023 को मुनिरत्ना और उनके चार सहयोगियों ने मिलकर उसके साथ गैंगरेप किया। यह घटना बेंगलुरु के मथिकेरे स्थित मुनिरत्ना के कार्यालय में हुई थी।
चौंकाने वाली बात यह है कि पीड़िता BJP की सक्रिय कार्यकर्ता रही है। उसके मुताबिक, उसे झूठे वादों के ज़रिए कार्यालय बुलाया गया, जहाँ विधायक ने उसके कपड़े फाड़ दिए, चिल्लाने पर उसके बेटे को जान से मारने की धमकी दी गई और फिर गैंगरेप किया गया।
हैवानियत की हदें पार
FIR में दर्ज बयान के अनुसार, गैंगरेप के बाद पीड़िता के चेहरे पर पेशाब किया गया, और सबसे खौफनाक आरोप ये है कि मुनिरत्ना ने उसे एक घातक वायरस का इंजेक्शन लगाया, जिससे वह लंबे समय तक बीमार रही। जनवरी 2025 में उसकी तबीयत बिगड़ी और जब वह अस्पताल में भर्ती हुई, तो उसे एक लाइलाज वायरस से संक्रमित पाया गया।
पीड़िता ने दावा किया कि बलात्कार के बाद उसे लगातार धमकियाँ दी गईं — "अगर मुंह खोला तो पूरे परिवार को खत्म कर दिया जाएगा।" मानसिक और शारीरिक तौर पर टूट चुकी महिला ने 19 मई 2025 को आत्महत्या की कोशिश की, लेकिन समय पर इलाज मिलने से उसकी जान बच गई।
सत्ता और साजिश का संदेह
इस मामले की राजनीतिक गूंज इसलिए भी तेज है क्योंकि मुनिरत्ना को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बेहद करीबी नेताओं में गिना जाता है। राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि दिल्ली से लेकर कर्नाटक तक मुनिरत्ना को "मोदी का विश्वसनीय व्यक्ति" माना जाता है।
अब जब उन्हीं के ऊपर इतनी गंभीर धाराओं में मामला दर्ज हुआ है — जिनमें गैंगरेप, आपराधिक साजिश, धमकी, जान से मारने की कोशिश, और जानबूझकर संक्रमित करने जैसे संगीन अपराध शामिल हैं — तो सवाल उठना लाजमी है:
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क्या BJP इस मामले में निष्पक्ष जांच को आगे बढ़ाएगी?
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क्या पार्टी अपने वरिष्ठ नेता पर सार्वजनिक रूप से कार्रवाई करेगी?
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क्या नरेंद्र मोदी की नज़दीकी मुनिरत्ना के लिए ‘कानून से ऊपर’ होने की ढाल बन जाएगी?
पुलिस जांच और जनता का सवाल
बेंगलुरु पुलिस ने मामले में FIR दर्ज कर ली है और जांच शुरू कर दी है, लेकिन अब तक कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है। इस चुप्पी ने पुलिस की निष्पक्षता और राजनीतिक दबाव को लेकर आशंकाएं पैदा कर दी हैं। महिला अधिकार संगठनों और विपक्षी दलों ने इस मामले को लेकर CBI जांच की मांग उठाई है।
पीड़िता के अनुसार, वह अब भी खतरे में है और उसे न्याय की नहीं बल्कि अपनी जान की चिंता सता रही है। उसका कहना है कि "मैंने BJP के लिए निस्वार्थ भाव से काम किया, लेकिन उसी पार्टी के नेता ने मुझे तबाह कर दिया।"
निष्कर्ष
इस घटना ने न केवल कर्नाटक बल्कि पूरे देश में सत्ताधारी दल की नैतिकता पर सवाल खड़ा कर दिया है। क्या एक महिला कार्यकर्ता का यह कथित शोषण BJP के भीतर के पितृसत्तात्मक और सत्ता संरक्षित दमन की मिसाल है? या फिर यह एक ऐसी साजिश है जिसमें सत्ता की चमक के पीछे छिपे काले सच को उजागर करने की कोशिश हो रही है?
जब देश की सबसे बड़ी पार्टी की महिला कार्यकर्ता खुद को सुरक्षित नहीं महसूस करती, तो आम नागरिक की सुरक्षा और विश्वास का क्या होगा?