तारीख: 24 अप्रैल 2025 |
हाल ही में बॉलीवुड सुपरस्टार शाहरुख़ ख़ान की पत्नी और जानी-मानी इंटीरियर डिज़ाइनर व रेस्तरां व्यवसायी गौरी खान के मुंबई स्थित रेस्टोरेंट ‘Tōrii’ को लेकर एक बड़ा विवाद सामने आया है। एक सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर सार्थक सचदेवा ने दावा किया कि उन्हें इस रेस्तरां में 'नकली पनीर' परोसा गया। इस दावे के समर्थन में उन्होंने पनीर पर आयोडीन टेस्ट किया और परिणाम को आधार बनाकर सोशल मीडिया पर एक वीडियो साझा किया, जो तेजी से वायरल हो गया। हालांकि यह वीडियो बाद में हटा लिया गया, लेकिन तब तक यह मामला चर्चाओं में आ चुका था।
अब इस विवाद में यूट्यूबर, पायलट और डेयरी कंपनी के सह-संस्थापक गौरव तनेजा, जिन्हें लोग 'फ्लाइंग बीस्ट' के नाम से जानते हैं, ने इस पूरे प्रकरण पर अपनी विशेषज्ञ राय दी है। उन्होंने इन्फ्लुएंसर द्वारा किए गए आयोडीन टेस्ट को 'भ्रामक और अवैज्ञानिक' करार दिया है।
गौरव तनेजा का तर्क: "आयोडीन टेस्ट से नहीं पहचाना जा सकता असली या नकली पनीर"
गौरव तनेजा ने स्पष्ट रूप से कहा कि पनीर की शुद्धता जाँचने के लिए आयोडीन टेस्ट उपयुक्त तरीका नहीं है। उन्होंने समझाया कि यह टेस्ट केवल स्टार्च (शर्करा) की उपस्थिति को पहचानता है, जबकि नकली पनीर की मिलावट अक्सर वसा (फैट) के प्रकार या स्रोत में होती है—न कि स्टार्च में।
“नकली पनीर कई बार ऐसे घटकों से बनाया जाता है जिनमें स्टार्च होता ही नहीं। इसलिए अगर आयोडीन से प्रतिक्रिया नहीं हुई तो इसका मतलब यह नहीं कि पनीर असली है।” — गौरव तनेजा
उन्होंने आगे बताया कि नकली पनीर बनाने की प्रक्रिया में दूध से पहले फैट को निकाल लिया जाता है (जो क्रीम और घी के लिए उपयोग होता है), और उसके बाद बचा हुआ दूध वनस्पति तेल या पाम ऑयल जैसे सस्ते वसा से पुनः 'फैटयुक्त' किया जाता है। इसी मिश्रण से पनीर तैयार होता है जो तकनीकी रूप से 'दूध से बना' नहीं होता।
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डेयरी उद्योग का अनुभव और चेतावनी
गौरव तनेजा ने कहा कि उनका यह निष्कर्ष डेयरी उद्योग में वर्षों के अनुभव पर आधारित है। उन्होंने बताया कि भारतीय खाद्य बाजार में पनीर सबसे अधिक मिलावट वाला उत्पाद बन चुका है। इसलिए केवल वायरल सोशल मीडिया पोस्ट के आधार पर किसी प्रतिष्ठान की साख पर सवाल उठाना उचित नहीं है।
उन्होंने यह भी कहा कि आम लोग 'फेक पनीर' की पहचान के लिए आयोडीन टेस्ट पर भरोसा करते हैं, जबकि यह वैज्ञानिक दृष्टिकोण से अधूरा और भ्रामक है। उन्होंने उपभोक्ताओं से अपील की कि वे खुद समझदारी से तय करें कि पनीर की गुणवत्ता कैसी है, और यदि कोई संदेह हो तो खाद्य सुरक्षा मानकों के तहत प्रमाणित लैब टेस्ट का सहारा लें।
निष्कर्ष
इस पूरे मामले में गौरव तनेजा की टिप्पणी न केवल तकनीकी दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह सोशल मीडिया के प्रभाव और तथ्यों की अधूरी जानकारी पर आधारित प्रचार की सीमाओं को भी रेखांकित करती है। गौरतलब है कि आज जब उपभोक्ताओं की सोच पर इन्फ्लुएंसर कंटेंट का गहरा असर पड़ रहा है, ऐसे में वैज्ञानिक और पेशेवर दृष्टिकोण से वस्तुस्थिति की जांच बेहद आवश्यक हो गई है।
गौरी खान की ओर से इस विवाद पर कोई आधिकारिक बयान अभी तक नहीं आया है, लेकिन यह विवाद निश्चित रूप से उनके रेस्टोरेंट की ब्रांड छवि के लिए एक चुनौती बना हुआ है।