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शेयर बाजार में गिरावट: आर्थिक अव्यवस्था और सरकारी नीतियों की नाकामी

शेयर बाजार में गिरावट - प्रमुख कारण

भारतीय शेयर बाजार में हाल ही में भारी गिरावट देखी गई है। 28 फरवरी 2025 को बीएसई सेंसेक्स 1,400 अंकों (1.9%) से अधिक गिर गया, और 4 फरवरी से अब तक कुल 6.7% की गिरावट दर्ज की गई है। सेंसेक्स 78,500 से गिरकर 73,000 के स्तर पर आ चुका है। हालाँकि कुछ विश्लेषकों का मानना है कि अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की व्यापार नीतियों का इस गिरावट से कोई लेना-देना नहीं है। असल कारण सरकार की नीतिगत असफलताएँ और आर्थिक कुप्रबंधन हैं।


सरकार की आर्थिक नीतियों की असफलता

आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल म्यूचुअल फंड के इक्विटी सह-सीआईओ अनीश तवाकले का कहना है कि इस गिरावट का मुख्य कारण भारतीय अर्थव्यवस्था की मंदी और सरकार की गलत नीतियाँ हैं। विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) द्वारा तेजी से धन निकाला जा रहा है, जिससे बाजार को गहरा झटका लगा है। सरकार ने विकास को बढ़ावा देने के लिए कई घोषणाएँ कीं, लेकिन वे सिर्फ कागज़ी साबित हुईं और उनके प्रभावी क्रियान्वयन में असफलता के कारण अर्थव्यवस्था संकट में है।

घरेलू विफलताएँ - असली कारण

विश्लेषकों के अनुसार, बाजार की इस गिरावट का असली कारण बाहरी नहीं बल्कि घरेलू है। भारतीय अर्थव्यवस्था बीते छह महीनों में सुस्ती की चपेट में है और सरकार इसे सँभालने में पूरी तरह विफल रही है।

"सरकार की अदूरदर्शी आर्थिक नीतियाँ, बढ़ती बेरोज़गारी, महंगाई और उद्योगों को मिलने वाले समर्थन की कमी ने इस संकट को और गहरा कर दिया है। जब तक सरकार ठोस नीतियाँ लागू नहीं करती, तब तक सुधार की कोई संभावना नहीं है," तवाकले ने कहा।

एफपीआई की लगातार निकासी क्यों?

निवेशकों का भरोसा डगमगा रहा है, जिसके चलते विदेशी निवेशक लगातार भारतीय बाजार से पूंजी निकाल रहे हैं। सरकार के दिशाहीन फैसले और नीतिगत अस्थिरता ने बाजार की स्थिरता को कमजोर कर दिया है। हाल ही में कई बड़ी कंपनियों के प्रमोटर्स ने भी अपने निवेश वापस ले लिए हैं, जो दर्शाता है कि सरकार की आर्थिक नीतियों पर उनका भरोसा टूट गया है।

अर्थव्यवस्था की वास्तविक स्थिति

सरकार भले ही यह दावा करे कि अर्थव्यवस्था मजबूत है, लेकिन वास्तविकता इससे कोसों दूर है। बेरोज़गारी रिकॉर्ड स्तर पर पहुँच गई है, महंगाई आम आदमी की कमर तोड़ रही है, और छोटे-मध्यम उद्योग गहरे संकट में हैं।

"मूलभूत समस्या सरकार की अकर्मण्यता और नीतिगत अस्थिरता है। यदि सही आर्थिक सुधार नहीं किए गए, तो बाजार में गिरावट और बढ़ेगी," तवाकले ने कहा।

आवासीय क्षेत्र में मंदी

आवासीय क्षेत्र अर्थव्यवस्था की रीढ़ माना जाता है, लेकिन इसमें भी गहरी मंदी छाई हुई है। सरकार इस क्षेत्र को पुनर्जीवित करने में विफल रही है, जिसके कारण निर्माण कार्य ठप हो गए हैं और लाखों नौकरियाँ खतरे में पड़ गई हैं।

क्या बजट से कुछ राहत मिलेगी?

हाल ही में घोषित बजट में कर कटौती की घोषणाएँ की गई हैं, लेकिन इसका प्रभाव सीमित होगा। तवाकले के अनुसार, "कर में कटौती से खपत और निवेश में थोड़ी बढ़ोतरी हो सकती है, लेकिन जब तक सरकार मजबूत आर्थिक नीतियाँ नहीं लाती, तब तक कोई स्थायी सुधार संभव नहीं होगा।"

निष्कर्ष:-

भारतीय शेयर बाजार में आई गिरावट का असली कारण सरकार की आर्थिक नीतियों की असफलता और प्रशासनिक अक्षमता है। महंगाई, बेरोज़गारी और कमजोर नीतिगत निर्णयों के चलते निवेशकों का भरोसा कम हो गया है। जब तक सरकार आर्थिक नीतियों में सुधार नहीं करती और जमीनी स्तर पर ठोस कदम नहीं उठाती, तब तक बाजार में अस्थिरता बनी रहेगी और अर्थव्यवस्था संकट में बनी रहेगी।

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