नई दिल्ली, 24 फरवरी – ब्रिटेन और भारत ने लगभग एक वर्ष के अंतराल के बाद मुक्त व्यापार वार्ता को पुनः प्रारंभ कर दिया है। यह वार्ता दोनों देशों में आम चुनावों के कारण स्थगित कर दी गई थी।
ब्रिटेन के व्यापार एवं उद्योग मंत्री जोनाथन रेनॉल्ड्स ने सोमवार को दिल्ली में भारत के वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल से मुलाकात की और दो दिवसीय वार्ता की औपचारिक शुरुआत की।
वार्ता का उद्देश्य दोनों देशों के बीच व्यापार समझौते को आगे बढ़ाना और इसे "संतुलित, महत्वाकांक्षी और पारस्परिक रूप से लाभकारी" बनाना था। इस संबंध में गोयल ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'X' पर जानकारी साझा की।
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समझौते में आ रही चुनौतियाँ
ब्रिटेन और भारत के बीच 2022 से अब तक 12 से अधिक दौर की बातचीत हो चुकी है, लेकिन अंतिम समझौता अभी भी अधर में है। वार्ता में मुख्य अड़चनों में भारत में स्कॉच व्हिस्की पर ऊँचे आयात शुल्क, भारतीय छात्रों और पेशेवरों के लिए वीज़ा नियमों में छूट तथा ब्रिटेन में उच्च शिक्षा और नौकरी के अवसरों को सुगम बनाने जैसे मुद्दे शामिल हैं।
इस बार की बातचीत खास है क्योंकि यह ब्रिटेन में लेबर पार्टी की सरकार बनने के बाद पहली व्यापारिक वार्ता है। रेनॉल्ड्स ने स्पष्ट किया कि उनकी सरकार के लिए यह समझौता "शीर्ष प्राथमिकता" में शामिल है। उन्होंने कहा, "भारत के साथ व्यापार वार्ता में आर्थिक विकास हमारा मुख्य मार्गदर्शक सिद्धांत होगा, और मैं इस जीवंत बाजार में उपलब्ध संभावनाओं को लेकर उत्साहित हूँ।"
भारत और ब्रिटेन के लिए व्यापार समझौते का महत्व
भारत अगले कुछ वर्षों में विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर है। ऐसे में यह व्यापार समझौता भारत और ब्रिटेन दोनों के लिए महत्वपूर्ण हो सकता है।
वर्तमान में, दोनों देशों के बीच व्यापारिक संबंधों का मूल्य £41 बिलियन ($52 बिलियन) है। यदि यह समझौता सफल होता है, तो इससे दोनों देशों के उद्योगों को नए अवसर मिल सकते हैं। ब्रिटेन सरकार के अनुसार, उन्नत विनिर्माण, स्वच्छ ऊर्जा, व्यावसायिक एवं व्यापारिक सेवाएँ इस समझौते से लाभान्वित होने वाले मुख्य क्षेत्र होंगे। इसके अतिरिक्त, समझौते से ब्रिटिश कारों, स्कॉच व्हिस्की और वित्तीय सेवाओं के लिए भी अरबों डॉलर के बाजार के द्वार खुल सकते हैं।
भारत ब्रिटेन से अपने पेशेवरों और छात्रों के लिए अधिक गतिशीलता की माँग कर रहा है, साथ ही वीज़ा प्रक्रिया को तेज करने की बात भी उठा रहा है। इसके अलावा, भारत उन नागरिकों के लिए भी रियायतें चाहता है जो व्यापारिक वीज़ा पर अस्थायी रूप से ब्रिटेन में कार्यरत हैं, लेकिन जिन्हें ब्रिटिश सामाजिक सुरक्षा योजनाओं का लाभ नहीं मिलता है, जबकि वे राष्ट्रीय बीमा का भुगतान करते हैं।
इमिग्रेशन को लेकर क्या कहा गया?
संयुक्त प्रेस वार्ता में, पीयूष गोयल ने स्पष्ट किया कि व्यापार समझौते में आप्रवासन (इमिग्रेशन) चर्चा का हिस्सा नहीं है। उन्होंने कहा, "भारत ने कभी भी किसी मुक्त व्यापार वार्ता में आप्रवासन के मुद्दे को शामिल नहीं किया है।" इस पर ब्रिटिश मंत्री रेनॉल्ड्स ने कहा कि व्यापारिक गतिशीलता और आप्रवासन "अलग-अलग विषय" हैं।
भविष्य की राह
रेनॉल्ड्स और गोयल वार्ता के दौरान गुरुग्राम स्थित ब्रिटिश टेलीकॉम (BT) कार्यालय का दौरा भी करेंगे। इसके अतिरिक्त, ब्रिटेन की निवेश मंत्री पोपी गुस्ताफ्सन भी इस दौरान भारत में मौजूद रहेंगी और मुंबई तथा बेंगलुरु में विभिन्न व्यापारिक आयोजनों में भाग लेंगी।
भारत, जो वर्षों से मुक्त व्यापार समझौतों को लेकर सतर्क रुख अपनाता रहा है, हाल के वर्षों में कई देशों और व्यापारिक ब्लॉकों के साथ समझौते करने या वार्ता में संलग्न होने की रणनीति अपना रहा है। पिछले वर्ष, भारत ने यूरोपीय मुक्त व्यापार संघ (EFTA) के साथ $100 बिलियन का समझौता किया था, जिसे अंतिम रूप देने में 16 वर्ष लगे।
अब देखना यह होगा कि क्या भारत और ब्रिटेन इस महत्वपूर्ण मुक्त व्यापार समझौते को अमल में ला पाते हैं या यह फिर से किसी राजनीतिक या आर्थिक बाधा के चलते लंबित रह जाता है।ये भी पढ़ें
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