प्रयागराज, 29 जनवरी 2025 – उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ मेले में बुधवार देर रात भयावह भगदड़ मच गई, जिसमें 30 श्रद्धालुओं की मौत हो गई और 60 से अधिक लोग घायल हो गए। इस हादसे ने उत्तर प्रदेश सरकार और प्रशासन की सुरक्षा व्यवस्थाओं की पोल खोल दी।
प्रत्यक्षदर्शियों और स्थानीय प्रशासन के अनुसार, यह हादसा संगम नोज घाट पर हुआ, जहां श्रद्धालुओं की भारी भीड़ के दबाव में बैरिकेड्स टूट गए। स्नान के लिए उमड़ी भीड़ में अव्यवस्था और प्रशासनिक लापरवाही के कारण भगदड़ मच गई, जिससे कई श्रद्धालु एक-दूसरे के ऊपर गिर पड़े और कुचलकर उनकी मौत हो गई।
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कैसे हुआ हादसा?
मौनी अमावस्या स्नान के लिए देशभर से लाखों श्रद्धालु प्रयागराज पहुंचे थे। संगम क्षेत्र में प्रशासन द्वारा बनाए गए बैरिकेड्स अचानक भारी दबाव के कारण टूट गए, जिससे भीड़ अनियंत्रित हो गई।
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार:
- प्रशासन ने भीड़ नियंत्रण की कोई ठोस योजना नहीं बनाई थी।
- पुलिस बल तैनात था, लेकिन भीड़ को संभालने में पूरी तरह विफल रहा।
- श्रद्धालुओं को अलग-अलग दिशाओं में निर्देशित करने के बजाय सभी को एक ही मार्ग पर जाने दिया गया, जिससे घातक अव्यवस्था पैदा हुई।
- घायलों को घटनास्थल पर कोई त्वरित चिकित्सा सहायता नहीं मिली, जिससे मृतकों की संख्या बढ़ी।
स्थानीय प्रशासन के मुताबिक, 25 मृतकों की पहचान कर ली गई है, जबकि बाकी की पहचान की जा रही है।
योगी सरकार की प्रतिक्रिया: चुप्पी और असंवेदनशीलता
हादसे के बाद योगी सरकार की प्रतिक्रिया असमंजस से भरी और गैर-जिम्मेदाराना रही। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने घटना पर कोई स्पष्ट बयान देने के बजाय सिर्फ यह कहा कि –
"कुंभ में भीड़ का दबाव बहुत ज़्यादा था, तीन करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने स्नान किया। किसी भी प्रकार की अफवाह न फैलाएं।"
योगी सरकार ने हादसे की ज़िम्मेदारी लेने से इनकार कर दिया, और न ही श्रद्धालुओं की सुरक्षा में हुई चूक को स्वीकार किया।
VIP सुरक्षा पर ध्यान, आम श्रद्धालुओं की अनदेखी
यह हादसा प्रशासन की प्राथमिकताओं को भी उजागर करता है। जहां एक ओर VIP स्नान के लिए प्रशासन ने अलग से विशेष मार्ग, हेलीकॉप्टर निगरानी और उच्च स्तरीय सुरक्षा इंतज़ाम किए, वहीं आम श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए बुनियादी इंतजाम भी नाकाफी साबित हुए।
- VIP आगंतुकों के लिए अलग स्नान क्षेत्र तैयार किया गया था, जबकि आम जनता को एक ही मार्ग से गुजरना पड़ा, जिससे भगदड़ की स्थिति बनी।
- प्रशासन ने VIP सुरक्षा में अधिक पुलिस बल लगाया, लेकिन आम श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए पर्याप्त पुलिसकर्मी मौजूद नहीं थे।
- घायलों को एंबुलेंस और इलाज मिलने में घंटों की देरी हुई।
अस्पतालों की बदहाली: घायलों को इलाज के लिए भटकना पड़ा
हादसे के बाद घायलों को प्रयागराज के अराइल सब-सेंट्रल अस्पताल सेक्टर 24 और अन्य सरकारी अस्पतालों में भर्ती कराया गया, लेकिन वहां भी प्रशासन की अव्यवस्था और लापरवाही साफ दिखाई दी।
घायलों और उनके परिजनों ने शिकायत की कि –
- अस्पतालों में पर्याप्त डॉक्टर और नर्सें मौजूद नहीं थीं।
- ऑक्सीजन सिलेंडर और ज़रूरी दवाइयों की कमी थी।
- कई घायलों को प्राथमिक उपचार तक नहीं मिला, जिससे उनकी हालत और बिगड़ गई।
यह स्पष्ट करता है कि उत्तर प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाएं इतने बड़े धार्मिक आयोजन के लिए तैयार नहीं थीं।
संत समाज और विपक्ष ने सरकार को घेरा
भगदड़ के बाद संत समाज और विपक्षी दलों ने योगी सरकार की अव्यवस्था और नाकामी पर कड़ी प्रतिक्रिया दी।
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रविंद्र पुरी ने कहा:
"सरकार कुंभ मेले की सुरक्षा में पूरी तरह विफल रही। साधु-संतों और श्रद्धालुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने में प्रशासन नाकाम साबित हुआ।"
घटना के बाद अखाड़ा परिषद ने मौनी अमावस्या का अमृत स्नान रद्द करने का फैसला किया।
समाजवादी पार्टी और कांग्रेस ने योगी सरकार की कड़ी आलोचना की।
समाजवादी पार्टी ने एक्स (Twitter) पर पोस्ट किया:
"प्रयागराज महाकुंभ में भगदड़ से श्रद्धालुओं की मौत दुखद और हृदयविदारक है। यह सरकार की घोर लापरवाही का परिणाम है। मृतकों के परिवारों को मुआवजा दिया जाए और दोषियों पर कार्रवाई हो।"
कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि –
"सरकार सिर्फ दिखावे की राजनीति कर रही है। कुंभ में VIP मेहमानों को सुविधाएं देने के लिए करोड़ों खर्च किए गए, लेकिन आम श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए कोई ठोस इंतजाम नहीं किए गए।"
क्या सरकार इस हादसे से सबक लेगी?
अब सवाल यह उठता है कि –
- क्या योगी सरकार और प्रशासन इस हादसे की ज़िम्मेदारी लेंगे?
- क्या प्रशासन भविष्य में ऐसे आयोजनों के लिए बेहतर सुरक्षा योजना बनाएगा?
- क्या पीड़ित परिवारों को न्याय मिलेगा, या सरकार इस घटना को सामान्य दुर्घटना बताकर भूल जाएगी?
निष्कर्ष
प्रयागराज कुंभ में हुई भगदड़ ने योगी सरकार की प्रशासनिक नाकामी और लापरवाही को उजागर कर दिया है। सरकार श्रद्धालुओं की सुरक्षा को लेकर गंभीर नहीं दिखी, और हादसे के बाद भी कोई ठोस कार्रवाई की उम्मीद नहीं दिखाई दे रही।
जब सरकार VIP मेहमानों के लिए विशेष सुरक्षा और सुविधाओं पर करोड़ों खर्च कर सकती है, तो आम श्रद्धालुओं की जान की सुरक्षा क्यों नहीं सुनिश्चित की जा सकती?
अब देखना यह होगा कि सरकार इस हादसे से कोई सबक लेती है, या हमेशा की तरह यह भी सिर्फ एक ‘दुर्घटना’ बनकर रह जाएगी।