प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
उबैद सिद्दीकी का जन्म 7 जनवरी 1932 को उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले में हुआ। उनका बचपन बहुत साधारण था, लेकिन उनके अंदर एक वैज्ञानिक बनने का सपना हमेशा पलता रहा। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा अलिगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से प्राप्त की, जहाँ से उन्होंने अपनी M.Sc. की डिग्री पूरी की। इसके बाद, उन्होंने ग्लासगो विश्वविद्यालय से पीएचडी की, जहाँ उन्हें प्रसिद्ध वैज्ञानिक गुइडो पोंटेकोरवो के मार्गदर्शन में शोध करने का अवसर मिला। अपनी शोध यात्रा को और आगे बढ़ाते हुए, उबैद सिद्दीकी ने कोल्ड स्प्रिंग हार्बर लैबोरेटरी और पेंसिल्वेनिया विश्वविद्यालय में पोस्ट-डॉक्टोरल रिसर्च किया।
1962 में, उन्हें प्रसिद्ध वैज्ञानिक होमी भाभा द्वारा टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च (TIFR) में आणविक जीवविज्ञान की यूनिट स्थापित करने के लिए आमंत्रित किया गया। यही से उनके वैज्ञानिक सफर में नया अध्याय जुड़ा। कुछ ही वर्षों बाद, 1992 में उन्होंने TIFR नेशनल सेंटर फॉर बायोलॉजिकल साइंसेस (NCBS), बेंगलुरु की स्थापना की और इसके पहले निदेशक बने। इस संस्थान से जुड़े रहते हुए उन्होंने अपने शोध कार्य को आगे बढ़ाया और जीवनभर विज्ञान के क्षेत्र में योगदान दिया।
वैज्ञानिक अनुसंधान और योगदान
उबैद सिद्दीकी का प्रमुख शोध कार्य न्यूरोजेनेटिक्स (तंत्रिका विज्ञान और आनुवंशिकी) के क्षेत्र में था। उन्होंने जीन, मस्तिष्क और व्यवहार के बीच के गहरे संबंध को समझने का प्रयास किया। 1970 के दशक में, उन्होंने और उनके सहयोगी Seymour Benzer ने कैलटेक में ड्रोसोफिला (फलों की मक्खी) पर कार्य करते हुए तापमान संवेदनशील पक्षाघात वाले उत्परिवर्तित कीड़ों की पहचान की। यह खोज तंत्रिका संकेतों के उत्पादन और संप्रेषण के अध्ययन में मील का पत्थर साबित हुई, और इसने न्यूरोजेनेटिक्स के क्षेत्र में एक नया दृष्टिकोण प्रस्तुत किया।
TIFR में रहते हुए, उबैद सिद्दीकी और उनकी छात्रा वेरोनिका रोड्रिग्स ने ड्रोसोफिला में गंध और स्वाद से संबंधित उत्परिवर्तित कीटों का विश्लेषण किया। उनकी यह खोज यह स्पष्ट करती है कि मस्तिष्क में गंध और स्वाद को कैसे पहचाना और कोडित किया जाता है। इन शोधों ने तंत्रिका विज्ञान और व्यवहार संबंधी आनुवंशिकी के क्षेत्र में आधारभूत ज्ञान का निर्माण किया, जिसे आज भी वैज्ञानिक समुदाय में महत्व दिया जाता है।
सम्मान और पुरस्कार
उबैद सिद्दीकी को उनके अद्वितीय वैज्ञानिक योगदान के लिए कई महत्वपूर्ण पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। इनमें से कुछ प्रमुख पुरस्कार हैं:
- पद्म विभूषण (2006): भारत सरकार द्वारा दिया गया सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार।
- पद्म भूषण (1984): भारत सरकार द्वारा दिया गया तीसरा सर्वोच्च नागरिक सम्मान।
- बातनागर पुरस्कार (1976): विज्ञान के क्षेत्र में उनके अद्वितीय योगदान के लिए।
- डॉ. बी. सी. रॉय पुरस्कार (2004): चिकित्सा और जीवन विज्ञान के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए।
- शर्मन फेयरचाइल्ड डिस्टिंग्विश्ड स्कॉलरशिप: कैलटेक में दो बार।
- Sir Syed Ahmad Khan International Award for Life Sciences (2009)
इसके अलावा, उबैद सिद्दीकी को भारतीय विज्ञान अकादमी के अध्यक्ष, रॉयल सोसाइटी, लंदन और यूएस नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज, वाशिंगटन के सदस्य के रूप में भी सम्मानित किया गया।
मृत्यु और धरोहर
उबैद सिद्दीकी का निधन 26 जुलाई 2013 को बेंगलुरु में हुआ। यह घटना एक सड़क दुर्घटना के कारण हुई, जिसमें उनके मस्तिष्क को गंभीर चोटें आईं। उनके निधन ने वैज्ञानिक समुदाय को गहरे शोक में डुबो दिया, क्योंकि वह न केवल एक महान वैज्ञानिक थे, बल्कि एक आदर्श शिक्षक और मार्गदर्शक भी थे। उनका परिवार, जिसमें उनकी पत्नी असिया, पुत्र इमरान और कलीम, और पुत्रियाँ युम्ना और दीबा शामिल थीं, उनके साथ था।
उबैद सिद्दीकी का जीवन एक प्रेरणा था, और उनके कार्यों ने भारतीय विज्ञान को एक नई दिशा दी। उनका योगदान हमेशा जीवित रहेगा, और उनका नाम हमेशा याद किया जाएगा। उनके शोध और शिक्षाओं ने ना केवल भारतीय विज्ञान को नई ऊँचाइयों तक पहुँचाया, बल्कि उन्होंने विज्ञान को एक ऐसी धरोहर बना दिया, जिसे आने वाली पीढ़ियाँ हमेशा संजोए रखेंगी। उनका जीवन, कार्य और समर्पण आज भी हम सभी के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं।
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