बिहार की राजनीति में हाल के दिनों में आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला तेज हो गया है। राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के सांसद सुधाकर सिंह ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर वसूली की परंपरा को लेकर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार के शासनकाल में वसूली का सिलसिला लगातार जारी है, जिसमें समय-समय पर केवल एजेंट बदलते रहते हैं।
सुधाकर सिंह का आरोप
सुधाकर सिंह ने हाल ही में अपने एक बयान में कहा,
"नीतीश कुमार के शासन में वसूली की परंपरा वर्षों से चली आ रही है। समय-समय पर एजेंट बदल जाते हैं, लेकिन वसूली का सिलसिला रुकता नहीं।"
उनका दावा है कि यह प्रवृत्ति मुख्यमंत्री के लंबे शासनकाल का हिस्सा बन चुकी है। सुधाकर सिंह ने नीतीश कुमार पर नौकरियों की बिक्री का भी आरोप लगाया और कहा कि उनके शासन में पेपर लीक जैसे कांड बार-बार होते रहे हैं।
उन्होंने यह भी कहा कि नीतीश कुमार की नीतियों ने संवैधानिक संस्थाओं की स्वायत्तता को कमजोर किया है। उन्होंने मांग की कि बिहार में एक नई राजनीतिक दिशा की जरूरत है ताकि इस वसूली और भ्रष्टाचार की परंपरा को समाप्त किया जा सके।
तेजस्वी यादव का 'डीके टैक्स' का आरोप
सुधाकर सिंह के बयान के पहले, नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने भी नीतीश कुमार सरकार पर हमला बोला था। उन्होंने कहा था कि बिहार में 'डीके टैक्स' नामक एक प्रणाली चल रही है, जिसमें वसूली और अधिकारियों के ट्रांसफर-पोस्टिंग में हेरफेर किया जा रहा है।
तेजस्वी यादव ने आरोप लगाया कि बिहार में प्रशासन की कमान अब रिटायर्ड अधिकारियों के हाथ में है, जबकि डीजीपी और मुख्य सचिव जैसी शीर्ष संस्थाएं केवल नाममात्र की भूमिका निभा रही हैं। उन्होंने सरकार पर यह भी आरोप लगाया कि ट्रांसफर और पोस्टिंग के नाम पर बड़े पैमाने पर लेनदेन हो रहा है।
नीतीश कुमार की चुप्पी
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अब तक इन आरोपों पर कोई सीधी प्रतिक्रिया नहीं दी है। हालांकि, उनके करीबी सूत्रों ने इन आरोपों को राजनीति से प्रेरित बताते हुए खारिज किया है। नीतीश कुमार, जो अपनी साफ-सुथरी छवि के लिए जाने जाते रहे हैं, इन आरोपों के चलते दबाव में दिखाई दे रहे हैं।
राजनीतिक प्रभाव
राजद के इन आरोपों ने बिहार की राजनीति में हलचल मचा दी है। जहां एक तरफ महागठबंधन के भीतर तनाव की खबरें हैं, वहीं विपक्षी दल भी नीतीश कुमार पर लगातार हमलावर हैं। बिहार में जनता के बीच इन आरोपों की गूंज साफ सुनाई दे रही है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इन आरोपों का असर नीतीश कुमार की राजनीतिक स्थिति और उनके भविष्य पर पड़ सकता है। 2024 के लोकसभा चुनाव और उसके बाद बिहार विधानसभा चुनाव में यह मुद्दा अहम साबित हो सकता है।
आगे का रास्ता
नीतीश कुमार को इन आरोपों का जवाब देकर अपनी छवि को साफ करना होगा। साथ ही, उन्हें अपनी सरकार की नीतियों और कामकाज का बचाव भी करना होगा। यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले दिनों में इन आरोपों पर सरकार की क्या प्रतिक्रिया होती है और बिहार की राजनीति में क्या नया मोड़ आता है।