इंटरपोल ने भारत में भगोड़े अपराधियों के खिलाफ एक नई पहल की है। इस पायलट प्रोजेक्ट के तहत, इंटरपोल का सिल्वर नोटिस अपराधियों की संपत्तियों की पहचान और उन्हें अटैच करने में मदद करेगा। इस सूची में विजय माल्या, ललित मोदी, नीरव मोदी और मेहुल चौकसी जैसे प्रमुख नाम शामिल हैं। सीबीआई ने 10 जनवरी से इस अभियान को शुरू कर दिया है, जिसमें राज्यों की पुलिस, ईडी, एनआईए और अन्य एजेंसियों के साथ मिलकर इन भगौड़ों की संपत्तियों का पता लगाया जा रहा है।
सिल्वर नोटिस का उद्देश्य
सिल्वर नोटिस इंटरपोल की एक नई प्रणाली है, जो भगौड़े अपराधियों द्वारा अपराध से अर्जित संपत्तियों की पहचान और अटैचमेंट को सक्षम बनाती है। इसका मुख्य उद्देश्य इन अपराधियों की आर्थिक कमर तोड़ना और काले धन के प्रवाह को रोकना है।
सीबीआई का मिशन और तैयारियां
सीबीआई, जो भारत में इंटरपोल के लिए नोडल एजेंसी है, ने देशभर में भगौड़ों की सूची तैयार करने का काम शुरू कर दिया है। इसमें वे अपराधी शामिल हैं जो मनी लॉन्ड्रिंग, आतंकवाद, मानव तस्करी, साइबर क्राइम और अन्य संगीन अपराधों में लिप्त हैं।
सिल्वर नोटिस अभियान के तहत:
- भगौड़ों की संपत्तियों की जांच की जा रही है।
- राज्यों की पुलिस और अन्य एजेंसियों से सहयोग लिया जा रहा है।
- विदेशों में छिपे अपराधियों की पहचान और उनकी संपत्तियों की जानकारी जुटाई जा रही है।
एनआईए और ईडी का योगदान
एनआईए और ईडी जैसी एजेंसियों ने भी इस अभियान में भाग लिया है। इनकी सूची में भी कई ऐसे अपराधी हैं, जिनके खिलाफ सिल्वर नोटिस जारी किए जा रहे हैं।
कैसे काम करेगा सिल्वर नोटिस
इस योजना का सबसे बड़ा लाभ यह है कि यह विदेशों में अपराधियों द्वारा अर्जित संपत्तियों को ट्रैक करने और अटैच करने का मार्ग प्रशस्त करेगा।
- इंटरपोल के माध्यम से देशों के साथ समन्वय किया जाएगा।
- भगौड़ों की संपत्तियों की पहचान कर उन्हें अटैच करने का प्रस्ताव रखा जाएगा।
- आरोपियों के आर्थिक संसाधनों को खत्म कर उन्हें न्याय के दायरे में लाने का प्रयास होगा।
सरकार की विफलता पर सवाल
हालांकि, इन भगोड़ों का वर्षों से पकड़ा न जाना केंद्र सरकार की विफलता को उजागर करता है। विपक्ष इस मुद्दे पर लगातार आवाज उठा रहा है। कांग्रेस नेता श्री राहुल गांधी ने बार-बार संसद में इन भगोड़ों की चर्चा की है और सरकार की निष्क्रियता को लेकर सवाल खड़े किए हैं। उनका कहना है कि मोदी सरकार ने इन अपराधियों को पकड़ने के लिए व्यापक और निर्णायक कदम नहीं उठाए हैं।
अंतरराष्ट्रीय महत्व
इस प्रोजेक्ट की शुरुआत पहले इटली के अनुरोध पर हुई थी। अब भारत ने इसे अपनाकर अपराधियों की संपत्तियों पर शिकंजा कसने की रणनीति बनाई है। यह प्रणाली न केवल अपराधियों पर दबाव बनाएगी, बल्कि काले धन की समस्या से निपटने में भी सहायक होगी।
संपत्ति अटैचमेंट और भविष्य की योजनाएं
विशेषज्ञों का मानना है कि सिल्वर नोटिस अपराधियों की संपत्तियों को अटैच करने में एक प्रभावी कदम साबित होगा। यह काले धन के नेटवर्क को समाप्त करने और भारत के भगौड़ों को न्याय दिलाने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
अधिकारियों का कहना है कि इस नई पहल से भगौड़ों की आर्थिक ताकत को खत्म करना और उनके अपराधों से जुड़े वित्तीय संसाधनों को जब्त करना संभव होगा। लेकिन जब तक सरकार इस अभियान में दृढ़ता और तेजी नहीं दिखाएगी, तब तक इन अपराधियों को पकड़ने और न्याय दिलाने की उम्मीद अधूरी ही रहेगी।
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