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मेटा ने मार्क जुकरबर्ग के भारत चुनाव पर बयान को लेकर मांगी माफी

मेटा, जो फेसबुक की मूल कंपनी है, ने हाल ही में अपने सीईओ मार्क जुकरबर्ग द्वारा भारत के 2024 के आम चुनावों पर दिए गए विवादित बयान पर माफी मांगी है। जुकरबर्ग ने एक पॉडकास्ट में दावा किया था कि 2024 में भारत समेत कई देशों की सरकारें कोविड-19 महामारी के दौरान किए गए कार्यों के कारण सत्ता से बाहर हो गईं।

वास्तविकता और चुनावी परिणाम

जुकरबर्ग का यह बयान पूरी तरह से गलत था। 2024 के आम चुनावों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सत्ता में वापसी करने में सफल रही, लेकिन इस बार पार्टी लोकसभा में 300 से अधिक सीटों का आंकड़ा छूने में विफल रही। भाजपा 244 सीटों पर सिमट गई, जो 2019 में मिली सीटों की तुलना में काफी कम थी।

इस कमजोर प्रदर्शन के बावजूद, भाजपा ने क्षेत्रीय दलों और निर्दलीय सांसदों के साथ गठबंधन कर सरकार बनाने में सफलता हासिल की। पार्टी ने कुशल राजनीतिक रणनीति और गठबंधन बनाने की क्षमता का प्रदर्शन करते हुए सत्ता पर पकड़ बनाए रखी। यह चुनाव भारतीय लोकतंत्र की जटिलता और भाजपा की लचीलापन भरी राजनीति को दर्शाता है।


भारत में बयान पर तीखी प्रतिक्रिया

मार्क जुकरबर्ग के इस गलत बयान पर भारत में तीखी प्रतिक्रिया हुई। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इसे न केवल भ्रामक बल्कि भारत की लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं का अपमान बताया। उन्होंने कहा कि ऐसे बयान भारत की छवि को वैश्विक स्तर पर नुकसान पहुंचा सकते हैं।

मेटा की प्रतिक्रिया और माफी

विवाद बढ़ने के बाद, मेटा के भारतीय प्रवक्ता ने बयान जारी कर इसे "अनजाने में हुई गलती" बताया और माफी मांगी। प्रवक्ता ने कहा कि इस बयान का उद्देश्य भारत की छवि को नुकसान पहुंचाना नहीं था। मेटा ने भरोसा दिलाया कि भविष्य में इस तरह की गलतियों से बचने के लिए अतिरिक्त सतर्कता बरती जाएगी।

भारतीय संसद में मुद्दा उठाने की तैयारी

संसद की स्थायी समिति के अध्यक्ष निशिकांत दुबे ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए मेटा के प्रतिनिधियों को स्पष्टीकरण के लिए बुलाने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि जुकरबर्ग का यह बयान न केवल तथ्यात्मक रूप से गलत है, बल्कि भारत की लोकतांत्रिक साख पर भी सवाल खड़ा करता है।

क्या है बड़ा संदेश?

इस विवाद ने एक बार फिर दिखा दिया कि वैश्विक तकनीकी कंपनियों को राजनीतिक और संवेदनशील मुद्दों पर अत्यधिक सतर्कता बरतनी चाहिए। जुकरबर्ग जैसे प्रभावशाली व्यक्तित्व की एक गलत टिप्पणी वैश्विक विवाद को जन्म दे सकती है।

निष्कर्ष

भाजपा का 244 सीटों पर सिमटना और गठबंधन के माध्यम से सत्ता में लौटना भारतीय लोकतंत्र की विविधता और चुनौतीपूर्ण राजनीतिक माहौल को दर्शाता है। यह घटना मेटा जैसी कंपनियों के लिए भी यह संदेश है कि उन्हें अपने शीर्ष नेतृत्व के बयानों की सत्यता सुनिश्चित करने के लिए अतिरिक्त प्रयास करने की आवश्यकता है।

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