नई दिल्ली: दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 के कार्यक्रम की घोषणा के साथ ही चुनाव आयोग और इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) को लेकर एक बार फिर बहस तेज हो गई है। चुनाव आयोग ने 5 फरवरी को मतदान और 8 फरवरी को मतगणना की तारीख तय की है। लेकिन इस चुनाव से पहले ही, कुछ राजनीतिक दल और सामाजिक संगठनों ने EVM की विश्वसनीयता पर सवाल उठाते हुए पारदर्शिता की माँग की है।
EVM का बहिष्कार: विपक्ष की पुरानी माँग
EVM का उपयोग भारतीय चुनाव प्रणाली में पिछले दो दशकों से हो रहा है। हालांकि, विपक्षी दलों द्वारा इसे लेकर लगातार सवाल उठाए जाते रहे हैं। आरोप है कि ईवीएम में छेड़छाड़ संभव है और यह चुनाव प्रक्रिया की पारदर्शिता और निष्पक्षता को प्रभावित करता है।
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चुनावों के बाद, कई बार हारने वाली पार्टियों द्वारा चुनाव परिणामों पर सवाल उठाए गए हैं। ये मामले अक्सर अदालतों तक पहुँचते हैं और लंबे समय तक लंबित रहते हैं। दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 के दौरान भी यह मुद्दा चर्चा में रहेगा।
EVM के खिलाफ तर्क
- पारदर्शिता की कमी:
विपक्ष का दावा है कि मतदाता यह सुनिश्चित नहीं कर सकते कि उनका वोट सही उम्मीदवार को गया है। भले ही वीवीपैट सिस्टम का उपयोग किया जाता है, लेकिन सभी वोटों की गिनती कागजी पर्चियों से नहीं की जाती। - संदेहपूर्ण घटनाएँ:
कई चुनावों में ईवीएम खराब होने या वोट सही ढंग से रिकॉर्ड न होने की शिकायतें सामने आई हैं। - लंबित मामले:
सुप्रीम कोर्ट में EVM की विश्वसनीयता से जुड़े कई मामले लंबित हैं, जो इस समस्या की जटिलता को दर्शाते हैं।
चुनाव आयोग का रुख
चुनाव आयोग ने इन आरोपों को बार-बार खारिज किया है और ईवीएम को पूरी तरह सुरक्षित और छेड़छाड़-रहित बताया है। आयोग का कहना है कि ईवीएम ने चुनाव प्रक्रिया को तेज, सटीक और अधिक कुशल बनाया है।
चुनाव आयोग के अनुसार, वीवीपैट (वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल) की शुरुआत से पारदर्शिता बढ़ी है। आयोग ने हर चुनाव में निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए कई कदम उठाए हैं, जैसे कि ईवीएम की पहले से जाँच और सुरक्षा के लिए कड़े उपाय।
राजनीतिक दलों की प्रतिक्रिया
दिल्ली के इस चुनाव में जहाँ सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी (AAP) अपनी नीतियों और उपलब्धियों को लेकर जनता के सामने जा रही है, वहीं विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी (BJP) और कांग्रेस (INC) ने चुनाव प्रक्रिया की पारदर्शिता को सुनिश्चित करने की माँग की है।
कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा, "चुनाव आयोग को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि ईवीएम की हर एक गड़बड़ी की पूरी जाँच हो और जनता को भरोसा दिलाया जाए।" वहीं, बीजेपी ने इन आरोपों को विपक्ष की हार के डर का परिणाम बताया।
EVM बहस का समाधान क्या है?
विशेषज्ञों का मानना है कि इस बहस का समाधान EVM के पूर्ण बहिष्कार या हर वोट की गिनती कागजी पर्चियों से करना हो सकता है। इससे चुनाव प्रक्रिया में पारदर्शिता और जनता का विश्वास बढ़ाया जा सकता है।
कुछ राजनीतिक विश्लेषकों का सुझाव है कि भारत को वापस बैलट पेपर प्रणाली अपनाने पर विचार करना चाहिए। हालांकि, ऐसा करने से चुनाव प्रक्रिया धीमी हो सकती है, लेकिन इससे ईवीएम को लेकर उठ रहे सवालों को हमेशा के लिए समाप्त किया जा सकता है।
दिल्ली चुनाव 2025 और इसका महत्व
दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 न केवल स्थानीय प्रशासन के लिए, बल्कि राष्ट्रीय राजनीति के लिए भी अहम होगा। सत्तारूढ़ AAP और विपक्षी दलों के बीच यह चुनाव कड़ी टक्कर का संकेत दे रहा है।
चुनाव आयोग ने अपनी ओर से स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिए सभी तैयारियाँ पूरी करने का दावा किया है। लेकिन EVM विवाद और चुनावी प्रक्रिया पर जनता का भरोसा एक बड़ी चुनौती बना रहेगा।
निष्कर्ष
दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 एक ओर राजनीतिक दलों के लिए जनता का विश्वास जीतने का अवसर है, तो दूसरी ओर यह चुनाव प्रणाली की पारदर्शिता और विश्वसनीयता की परीक्षा भी है। EVM विवाद का समाधान निकाले बिना, भारत के लोकतांत्रिक ढाँचे में बार-बार शंका उठना जारी रहेगा।
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