अमेरिका में H1B वीज़ा का मुद्दा इन दिनों राजनीति और तकनीकी जगत में बड़ा विषय बन गया है। H1B वीज़ा ऐसा कार्यक्रम है जो अमेरिका की कंपनियों को विदेशों से कुशल पेशेवरों को नौकरी पर रखने की अनुमति देता है। यह खासतौर पर भारतीय आईटी पेशेवरों के लिए एक बड़ा मौका है। लेकिन हाल ही में राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार विवेक रामास्वामी और एलन मस्क के बयान इस मुद्दे को नए सिरे से चर्चा में ले आए हैं।
H1B वीज़ा: आसान शब्दों में समझें
H1B वीज़ा एक खास तरह का वीज़ा है, जो अमेरिकी कंपनियों को ऐसे विदेशी पेशेवरों को काम पर रखने का मौका देता है जिनकी अमेरिका में जरूरत है। उदाहरण के लिए, अगर किसी कंपनी को सॉफ्टवेयर इंजीनियर की जरूरत है और अमेरिका में उस काम के लिए सही व्यक्ति नहीं मिल रहा, तो वे भारत, चीन या किसी और देश से कुशल व्यक्ति को बुला सकते हैं।
विवेक रामास्वामी ने क्या कहा?
विवेक रामास्वामी, जो भारतीय मूल के अमेरिकी हैं और राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार हैं, ने H1B वीज़ा को लेकर कहा कि यह "आधुनिक दासता" जैसा है। उनका मानना है कि इस वीज़ा पर काम करने वाले पेशेवर कंपनी के प्रति बंधे हुए होते हैं और उनके पास ज्यादा विकल्प नहीं होते। उन्होंने कहा कि इस सिस्टम को खत्म कर कुछ नया और बेहतर लाना चाहिए, जिससे अमेरिकी नागरिकों को नौकरी के ज्यादा मौके मिलें।
एलन मस्क का रुख
एलन मस्क, जो टेस्ला और स्पेसएक्स जैसी बड़ी कंपनियों के मालिक हैं, अप्रत्यक्ष रूप से H1B वीज़ा का समर्थन करते नजर आए। मस्क ने इस प्रोग्राम को अमेरिकी तकनीकी क्षेत्र की सफलता का आधार बताया। मस्क की कंपनियों में भी कई विदेशी पेशेवर काम करते हैं। उनका मानना है कि अगर यह वीज़ा प्रोग्राम खत्म होता है तो तकनीकी क्षेत्र को बड़ा नुकसान होगा।
ट्रंप समर्थक क्यों हैं इसके खिलाफ?
डोनाल्ड ट्रंप और उनके समर्थक लंबे समय से "अमेरिका फर्स्ट" नीति का समर्थन करते हैं। उनका कहना है कि H1B वीज़ा की वजह से अमेरिकी नागरिकों के लिए नौकरियां कम हो जाती हैं। उनका मानना है कि अमेरिकी कंपनियों को सबसे पहले अपने देश के लोगों को नौकरी देनी चाहिए।
नए ग्रेजुएट्स के लिए क्या मायने रखता है यह विवाद?
अगर आप अमेरिका में पढ़ाई करके वहीं नौकरी करने का सपना देख रहे हैं, तो H1B वीज़ा आपके लिए बेहद अहम है। यह वीज़ा उन विदेशी छात्रों को मौका देता है, जिन्होंने अमेरिका में अपनी पढ़ाई पूरी की है। लेकिन अगर यह प्रोग्राम खत्म होता है, तो अमेरिका में विदेशी छात्रों और पेशेवरों के लिए अवसर कम हो सकते हैं।
क्या हो सकता है आगे?
H1B वीज़ा पर यह बहस अगले साल होने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति चुनावों में बड़ा मुद्दा बन सकती है। तकनीकी क्षेत्र की कंपनियां चाहती हैं कि यह प्रोग्राम जारी रहे, जबकि कुछ राजनेता इसे बदलने की मांग कर रहे हैं।
निष्कर्ष
यह मुद्दा सिर्फ अमेरिका के लिए नहीं, बल्कि उन लाखों विदेशी छात्रों और पेशेवरों के लिए भी महत्वपूर्ण है जो अमेरिका में अपने करियर के सपने देखते हैं। अब यह देखना होगा कि इस विवाद का असर राष्ट्रपति चुनावों और अमेरिका की वीज़ा पॉलिसी पर कैसे पड़ता है।