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डोनाल्ड ट्रंप ने भारतीय मूल के काश पटेल को FBI निदेशक बनाया

 

डोनाल्ड ट्रंप ने भारतीय मूल के काश पटेल को एफबीआई निदेशक के तौर पर नामित किया: मीडिया और संघीय एजेंसियों में बड़े बदलाव की ओर इशारा

डोनाल्ड ट्रंप, जो हाल ही में अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति बने हैं, ने भारतीय मूल के कश पटेल को फेडरल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन (एफबीआई) का अगला निदेशक नियुक्त करने की घोषणा की है। यह फैसला ट्रंप के "अमेरिका फर्स्ट" एजेंडे के तहत उठाया गया एक और बड़ा कदम माना जा रहा है। पटेल की नियुक्ति संघीय एजेंसियों की मौजूदा कार्यप्रणाली को बदलने और मीडिया पर सख्त रुख अपनाने की ओर इशारा करती है।


ट्रंप का ऐलान: ‘काश पटेल एक सच्चे योद्धा हैं’

ट्रंप ने 30 नवंबर 2024 को अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर कश पटेल की नियुक्ति की घोषणा करते हुए लिखा:
"मुझे यह घोषणा करते हुए गर्व हो रहा है कि कश्यप 'काश ' पटेल एफबीआई के अगले निदेशक के रूप में काम करेंगे। काश एक शानदार वकील, इन्वेस्टिगेटर और 'अमेरिका फर्स्ट' योद्धा हैं। उन्होंने अपना करियर भ्रष्टाचार को उजागर करने, न्याय की रक्षा करने और अमेरिकी लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने में समर्पित किया है।"

पटेल के नामांकन के बाद अमेरिकी राजनीतिक हलकों और मीडिया में हड़कंप मच गया है। आलोचकों का कहना है कि यह नियुक्ति ट्रंप की संघीय एजेंसियों को अपने एजेंडे के अनुरूप ढालने की रणनीति का हिस्सा है।


काश पटेल: एक प्रभावशाली करियर और विवादास्पद दृष्टिकोण

काश पटेल, जिनके माता-पिता भारतीय प्रवासी हैं, एक अनुभवी वकील, लेखक और इन्वेस्टिगेटर हैं। वह ट्रंप प्रशासन के दौरान कई अहम पदों पर रह चुके हैं और ट्रंप के सबसे करीबी सहयोगियों में गिने जाते हैं। पटेल ने "गवर्नमेंट गैंगस्टर्स: द डीप स्टेट, द ट्रुथ, एंड द बैटल फॉर अवर डेमोक्रेसी" जैसी किताब लिखी है, जिसमें उन्होंने संघीय संस्थानों और "डीप स्टेट" पर तीखा प्रहार किया है।

उन्होंने “द प्लॉट अगेंस्ट द किंग” नामक बच्चों की किताब भी लिखी है, जो अमेरिकी राजनीति की घटनाओं पर आधारित है। उनकी छवि एक कट्टर ट्रंप समर्थक और "अमेरिका फर्स्ट" एजेंडे के मजबूत प्रचारक के रूप में उभरकर आई है।


क्रिस्टोफर रे की जगह लेंगे काश पटेल

अगर सीनेट पटेल के नामांकन को मंजूरी देती है, तो वह मौजूदा एफबीआई निदेशक क्रिस्टोफर रे की जगह लेंगे। रे को 2017 में ट्रंप ने ही नियुक्त किया था, लेकिन समय के साथ उनके बीच संबंध बिगड़ गए। रे के कार्यकाल में एफबीआई ने ट्रंप के मार-ए-लागो आवास पर छापा मारा और संवेदनशील दस्तावेजों की जब्ती की, जिसके बाद ट्रंप ने बार-बार उनकी आलोचना की।

एफबीआई निदेशक के तौर पर पटेल की नियुक्ति से ट्रंप का उद्देश्य एफबीआई की मौजूदा कार्यप्रणाली को बदलना और इसे अपने एजेंडे के अनुरूप बनाना है।


मीडिया और "डीप स्टेट" पर सख्त रुख

काश पटेल की नियुक्ति के साथ ट्रंप प्रशासन ने यह संकेत दिया है कि मीडिया और "डीप स्टेट" के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी। पटेल ने पहले ही संकेत दिया है कि वह उन पत्रकारों और सरकारी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करेंगे, जो संवेदनशील जानकारी लीक करते हैं।

2023 में एक इंटरव्यू के दौरान पटेल ने कहा था:
"हम उन पत्रकारों और मीडिया संस्थानों पर मुकदमा करेंगे, जिन्होंने झूठ फैलाकर अमेरिकी नागरिकों को बदनाम किया। हम उन्हें आपराधिक और नागरिक मुकदमों के जरिए कटघरे में खड़ा करेंगे।"

उन्होंने मीडिया को "अमेरिका का सबसे बड़ा दुश्मन" करार दिया है और कहा है कि वह संघीय एजेंसियों की "डीप स्टेट" संरचना को पूरी तरह खत्म करेंगे।


एफबीआई और कानून प्रवर्तन में बदलाव की योजना

कश पटेल ने एफबीआई और अन्य संघीय एजेंसियों की शक्ति को सीमित करने और उनके संचालन में व्यापक बदलाव लाने की योजना का खुलासा किया है। वह एफबीआई मुख्यालय को बंद करने और इसकी भूमिका को कम करने की योजना पर भी काम कर सकते हैं।

पटेल ने कहा है कि वह मीडिया के खिलाफ मुकदमों को आसान बनाने के लिए कानूनों में संशोधन करेंगे। उनका दावा है कि अमेरिकी जनता के विश्वास को बहाल करने के लिए यह जरूरी है।


ट्रंप के अन्य नामांकन और रणनीति

पटेल की नियुक्ति ट्रंप द्वारा की गई कई अन्य नियुक्तियों के साथ मेल खाती है। इनमें पाम बॉन्डी को न्याय विभाग का नेतृत्व सौंपना शामिल है। बॉन्डी भी ट्रंप की कट्टर समर्थक मानी जाती हैं।

यह सभी नामांकन ट्रंप की उस रणनीति का हिस्सा लगते हैं, जिसमें उन्होंने उन व्यक्तियों को नियुक्त किया है, जो उनके "अमेरिका फर्स्ट" एजेंडे को लागू करने और उनके आलोचकों के खिलाफ कड़ा रुख अपनाने में सक्षम हों।


राजनीतिक और कानूनी प्रभाव

पटेल की नियुक्ति ने अमेरिकी राजनीतिक हलकों में बड़ी बहस छेड़ दी है। ट्रंप समर्थकों का मानना है कि यह कदम संघीय एजेंसियों और मीडिया की जवाबदेही सुनिश्चित करेगा, जबकि आलोचकों का कहना है कि यह प्रेस स्वतंत्रता और संघीय संस्थाओं की स्वायत्तता पर सीधा हमला है।

पटेल के नामांकन की पुष्टि के बाद यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि वह एफबीआई की कार्यशैली में किस प्रकार के बदलाव लाते हैं और यह अमेरिकी लोकतंत्र पर क्या प्रभाव डालता है।


निष्कर्ष

काश पटेल की नियुक्ति ट्रंप प्रशासन के अगले कार्यकाल में बड़े बदलावों की शुरुआत हो सकती है। मीडिया और संघीय एजेंसियों पर उनके सख्त रुख से यह स्पष्ट है कि आने वाले समय में अमेरिका की राजनीतिक और प्रशासनिक संरचना में गहरा बदलाव देखने को मिलेगा।

अधिक जानकारी और अपडेट के लिए जुड़े रहें।

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