13 दिसम्बर 2025 |✍🏻 Z S Razzaqi |वरिष्ठ पत्रकार
निगमों में सत्ता-संतुलन बदला
छह नगर निगमों में से चार—कोल्लम, कोच्चि, त्रिशूर और कन्नूर—UDF के खाते में गए। यह जीत केवल संख्यात्मक नहीं, बल्कि प्रतीकात्मक भी है, क्योंकि इन निगमों में विकास, कचरा प्रबंधन, शहरी आधारभूत ढांचे और पारदर्शिता जैसे मुद्दों पर जनता की नाराज़गी निर्णायक साबित हुई।
कोझिकोड में LDF ने अपनी पकड़ बनाए रखी, जबकि तिरुवनंतपुरम निगम को NDA ने LDF से छीन लिया—यह परिणाम राजधानी में सत्ता-विरोधी लहर और भाजपा-नीत गठबंधन के संगठित अभियान की सफलता को दर्शाता है।
पंचायती स्तर पर UDF की व्यापक स्वीकृति
ग्रामीण केरल में भी UDF की पकड़ मज़बूत हुई है।
-
UDF: 59 जिला पंचायतें, 1063 ब्लॉक पंचायतें, 7451 ग्राम पंचायतें
-
LDF: 30 जिला पंचायतें, 823 ब्लॉक पंचायतें, 6137 ग्राम पंचायतें
-
NDA: 1 जिला पंचायत, 50 ब्लॉक पंचायतें, 1363 ग्राम पंचायतें
इन आंकड़ों से स्पष्ट है कि ग्रामीण मतदाताओं ने शासन की कार्यशैली, स्थानीय विकास और जनसेवाओं के क्रियान्वयन पर अपना मत दिया—और इसमें UDF को स्पष्ट बढ़त मिली।
LDF के लिए आत्ममंथन का वक्त
मुख्यमंत्री पिनरायी विजयन ने नतीजों को ‘अप्रत्याशित’ बताते हुए स्वीकार किया कि मोर्चा अपेक्षित प्रदर्शन नहीं कर सका। उन्होंने माना कि LDF को पूरे राज्य में सहज जीत की उम्मीद थी, जो पूरी नहीं हो पाई।
तिरुवनंतपुरम में NDA की जीत को लेकर मुख्यमंत्री ने सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की आशंकाओं का ज़िक्र करते हुए कहा कि धर्मनिरपेक्ष मूल्यों की रक्षा के लिए सतर्कता बढ़ाने की ज़रूरत है। LDF नेतृत्व ने नतीजों की सूक्ष्म स्तर पर समीक्षा और संगठनात्मक सुधारों का संकेत दिया है।
UDF का राजनीतिक संदेश
विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष वी डी सतीशन ने UDF की जीत को “राज्य सरकार के कुशासन के खिलाफ जनता की चेतावनी” बताया। KPCC अध्यक्ष सनी जोसेफ के मुताबिक, यह जनादेश LDF सरकार की नीतियों और प्रशासनिक शैली की अस्वीकृति है। UDF नेतृत्व का आकलन है कि यह परिणाम 2026 विधानसभा चुनावों के लिए मनोवैज्ञानिक बढ़त प्रदान करेगा।
तिरुवनंतपुरम: NDA का शहरी ब्रेकथ्रू
101 सदस्यीय तिरुवनंतपुरम निगम परिषद में NDA ने 50 सीटें जीतकर निर्णायक बढ़त हासिल की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे सुशासन और विकास के एजेंडे के प्रति जनता के भरोसे के रूप में प्रस्तुत किया। भाजपा के कई प्रमुख उम्मीदवारों की जीत ने राजधानी में पार्टी के सांगठनिक विस्तार और शहरी मतदाताओं में बढ़ती स्वीकार्यता को रेखांकित किया।
जिलावार तस्वीर: निर्णायक मोड़
-
कोल्लम निगम: UDF ने बहुमत डिवीज़नों में जीत दर्ज कर मज़बूत स्थिति बनाई।
-
त्रिशूर निगम: दो कार्यकाल से सत्तारूढ़ LDF को करारी हार; UDF ने 33/56 डिवीज़नों के साथ ऐतिहासिक वापसी की।
-
कोट्टायम जिला पंचायत: UDF ने सत्ता वापसी की, जबकि पाला जैसे पारंपरिक गढ़ में LDF और केरल कांग्रेस (एम) को झटका लगा—जो वोट-बेस में बदलाव का संकेत है।
समग्र विश्लेषण
2025 के स्थानीय निकाय चुनावों ने केरल की राजनीति में त्रिकोणीय प्रतिस्पर्धा को और स्पष्ट कर दिया है—जहाँ UDF का पुनरुत्थान, LDF के लिए चेतावनी और NDA का शहरी विस्तार समानांतर रूप से उभरकर सामने आया है। यह जनादेश आने वाले महीनों में नीति-निर्धारण, संगठनात्मक रणनीतियों और गठबंधन समीकरणों को गहराई से प्रभावित करेगा।
