6 नवंबर 2025 |✍🏻 Z S Razzaqi | अंतरराष्ट्रीय विश्लेषक एवं वरिष्ठ पत्रकार
न्यूयॉर्क सिटी की सियासत में एक ऐतिहासिक मोड़ तब आया जब भारतीय मूल के युवा नेता जोहरन ममदानी (Zohran Mamdani) ने मेयर का चुनाव जीत लिया। यह जीत केवल एक राजनीतिक उपलब्धि नहीं, बल्कि पूंजीवादी अमेरिका में समाजवादी सोच की एक नयी लहर का प्रतीक बनकर उभरी है। दिलचस्प यह है कि ममदानी का प्रमुख चुनावी वादा — “फ्री बस राइड” — भारत के अरविंद केजरीवाल के “फ्री ट्रांसपोर्ट मॉडल” की झलक पेश करता है।
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दिल्ली से न्यूयॉर्क तक ‘फ्री बस राइड’ का सफ़र
साल 2019 में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने महिलाओं के लिए मेट्रो और बस यात्रा मुफ्त करने का ऐतिहासिक निर्णय लिया था। यह ‘पिंक टिकट स्कीम’ न केवल महिला सुरक्षा का प्रतीक बनी बल्कि दिल्ली में आम आदमी पार्टी (AAP) की सत्ता वापसी में निर्णायक साबित हुई।
अब वही सोच, एक नए रूप में, न्यूयॉर्क सिटी में लागू होने जा रही है। जोहरन ममदानी ने अपने चुनावी घोषणा-पत्र में यह वादा किया था कि वे न्यूयॉर्क के Metropolitan Transportation Authority (MTA) की बसों में यात्रा पूरी तरह मुफ्त कर देंगे।
राइडर्स एलायंस (Riders Alliance) की रिपोर्ट के अनुसार, इस योजना से शहर पर लगभग $1.2 बिलियन (करीब ₹10,000 करोड़) का वार्षिक बोझ पड़ेगा, लेकिन इससे बस यात्रियों की संख्या में 20 से 30 प्रतिशत तक की वृद्धि संभव है। कोविड-19 महामारी के दौरान हुए ट्रायल्स से भी यही संकेत मिले थे।
‘फ्रीबी मॉडल’ का नया अमेरिकी प्रयोग
केजरीवाल का मॉडल भारत में भले ‘पॉपुलिस्ट पॉलिटिक्स’ के रूप में देखा गया हो, लेकिन ममदानी ने उसी अवधारणा को अमेरिकी समाज के सन्दर्भ में एक सामाजिक समानता के औजार के रूप में प्रस्तुत किया है।
उनका कहना है कि “ट्रांसपोर्ट अधिकार है, सुविधा नहीं।”
इसी सोच के तहत उन्होंने न्यूयॉर्क में करोड़पतियों पर 2% टैक्स लगाने का प्रस्ताव दिया है ताकि इस योजना का वित्त पोषण हो सके।
केजरीवाल से समानता, पर दृष्टिकोण में भिन्नता
दिल्ली में फ्री बस राइड्स का उद्देश्य महिलाओं की सुरक्षा और आर्थिक स्वावलंबन था, वहीं न्यूयॉर्क में ममदानी का फोकस गरीब और कामकाजी वर्ग पर है।
न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, 2023 में हर पांच में से एक न्यूयॉर्कवासी मेट्रो या बस किराया देने में कठिनाई झेल रहा था। ऐसे में यह योजना शहर के निम्न और मध्यम वर्ग के लिए राहत का साधन बन सकती है।
‘फ्रीबियों’ से परे – ममदानी का समाजवादी विज़न
ममदानी केवल फ्री बस यात्रा तक सीमित नहीं हैं। उनका पूरा घोषणापत्र सामाजिक कल्याण और असमानता घटाने पर केंद्रित है:
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यूनिवर्सल चाइल्डकेयर: छह सप्ताह से पांच वर्ष तक के बच्चों के लिए 3-K कार्यक्रम का विस्तार, ताकि गरीब परिवारों की वार्षिक बचत $15,000 तक हो सके।
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किराया स्थिरीकरण (Rent Stabilisation): 10 लाख से अधिक घरों के किराये में बढ़ोतरी को 3% तक सीमित करना।
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पीपल्स मार्केट्स: हर बरो (borough) में पाँच सस्ते बाजार स्थापित कर चावल, दूध और सब्जियाँ थोक दर पर उपलब्ध कराना।
इन योजनाओं की झलक भारत की ‘आम आदमी’ राजनीति में साफ दिखाई देती है।
केजरीवाल मॉडल का वैश्विक विस्तार
अरविंद केजरीवाल के ‘फ्रीबी’ मॉडल की आलोचना भारत में ‘लोकलुभावन राजनीति’ कहकर की जाती रही है। मगर इसकी सफलता ने कई राज्यों को प्रेरित किया —
कर्नाटक में ‘शक्ति योजना’, तमिलनाडु में महिला बस छूट, और पंजाब में स्टूडेंट पास — ये सब उसी सोच की उपज हैं।
अब जब यह मॉडल अमेरिका जैसे पूंजीवादी समाज में अपनाया जा रहा है, तो यह वैश्विक विमर्श को जन्म देता है —
क्या कल्याणकारी राजनीति अब सीमाओं से परे जा चुकी है?
अमेरिकी राजनीति में भारतीय सोच की छाप
ममदानी, जो भारतीय प्रवासी और मुस्लिम समुदाय से आते हैं, ने अमेरिका में पहली बार एक ऐसी नीतिगत सोच को मुख्यधारा में लाया है जो भारत के ‘दिल्ली मॉडल’ से प्रेरित है।
उनकी जीत से यह संदेश स्पष्ट है कि जन-कल्याण आधारित राजनीति अब वैश्विक अपील रखती है, चाहे वह दिल्ली की गलियाँ हों या मैनहटन की सड़कें।
