20 सितम्बर 2025:कविता शर्मा | पत्रकार
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योजना की पृष्ठभूमि
‘मुख्यमंत्री माझी लाडकी बहिन योजना’ जुलाई 2024 में विधानसभा चुनावों से ठीक पहले शुरू की गई थी। इसका प्रमुख उद्देश्य गरीब और वंचित वर्ग की महिलाओं को हर महीने ₹1,500 की सीधी नकद सहायता प्रदान करना है। इस योजना ने देखते ही देखते लाखों महिलाओं को आकर्षित किया और राजनीतिक स्तर पर भी यह चर्चा का विषय बनी।
लेकिन योजना के प्रारंभिक चरण में एक बड़ी खामी सामने आई – लाभार्थियों के सत्यापन की कोई ठोस प्रक्रिया लागू नहीं की गई। केवल स्व-घोषणा (Self Declaration) के आधार पर आवेदन स्वीकार किए गए और पात्रता की जांच बाद में करने की बात कही गई।
विवाद और आलोचना
योजना की शुरुआत के तुरंत बाद से विपक्षी दलों ने इसे “चुनावी तोहफ़ा” कहकर आलोचना की। उनका आरोप था कि सरकार ने बिना सत्यापन के लाखों लोगों को शामिल कर दिया है, जिससे योजना का राजकोषीय बोझ अनियंत्रित हो जाएगा और असली जरूरतमंदों को मिलने वाला लाभ प्रभावित होगा।
इसी बीच, राज्य की सूचना प्रौद्योगिकी विभाग ने अगस्त 2025 में एक रिपोर्ट प्रस्तुत की, जिसमें लगभग 26 लाख संदिग्ध और संभावित अयोग्य लाभार्थियों की सूची सामने आई। इसके बाद सरकार पर दबाव और बढ़ गया कि वह योजना में सुधार के लिए ठोस कदम उठाए।
ई-केवाईसी क्यों ज़रूरी?
ई-केवाईसी की प्रक्रिया के तहत लाभार्थियों का आधार कार्ड और बायोमेट्रिक विवरण ऑनलाइन सत्यापित किया जाएगा। इससे यह सुनिश्चित होगा कि—
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केवल वही महिलाएं लाभ प्राप्त करेंगी जो वास्तव में पात्र हैं।
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डुप्लीकेट या फर्जी आवेदन स्वतः बाहर हो जाएंगे।
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सरकारी धन का सही उपयोग और पारदर्शिता सुनिश्चित होगी।
महिला एवं बाल विकास मंत्री अदिती तटकरे ने स्पष्ट किया:
“हम यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि योजना का लाभ केवल पात्र बहनों तक ही पहुँचे। आंगनवाड़ी कार्यकर्ता घर-घर जाकर सर्वेक्षण कर रही हैं और आने वाले दो हफ्तों में हमें जिलावार रिपोर्ट प्राप्त होगी। पात्र महिलाओं को किसी प्रकार की चिंता करने की आवश्यकता नहीं है, लेकिन जो अयोग्य पाई जाएंगी उन्हें अब यह सहायता नहीं मिलेगी।”
योजना की पात्रता और शर्तें
‘मुख्यमंत्री माझी लाडकी बहिन योजना’ के अंतर्गत लाभ प्राप्त करने के लिए निम्नलिखित मानदंड तय किए गए हैं:
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लाभार्थी महिला की आयु 21 से 65 वर्ष के बीच हो।
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परिवार की वार्षिक आय ₹2.5 लाख से कम हो।
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लाभार्थी किसी अन्य सरकारी नकद सहायता योजना से लाभान्वित न हो।
वर्तमान में इस योजना के तहत लगभग 2.25 करोड़ महिलाएं लाभ प्राप्त कर रही हैं। सरकार हर माह इस पर करीब ₹3,800 करोड़ खर्च कर रही है।
सामाजिक प्रभाव
इस योजना ने ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों की महिलाओं को आर्थिक संबल और आत्मनिर्भरता का अवसर दिया है। कई महिलाओं ने बताया कि ₹1,500 की मासिक सहायता से उन्हें घर चलाने, बच्चों की पढ़ाई, दवाइयाँ खरीदने और छोटे-मोटे कारोबार शुरू करने में मदद मिली है।
हालाँकि, अयोग्य लाभार्थियों के जुड़ने से असली हकदारों का हक प्रभावित हो रहा था। सरकार का मानना है कि ई-केवाईसी लागू होने के बाद योजना का सामाजिक प्रभाव और अधिक सशक्त होगा।
राजनीतिक महत्व
‘मुख्यमंत्री माझी लाडकी बहिन योजना’ महाराष्ट्र की राजनीति में एक केंद्रबिंदु बन गई है। विपक्षी दल लगातार इसे चुनावी रणनीति से जोड़कर देखते रहे हैं, वहीं सत्ताधारी दल इसे महिलाओं के सशक्तिकरण और कल्याणकारी शासन का प्रतीक बता रहा है।
ई-केवाईसी का कदम सरकार के लिए विश्वसनीयता बहाल करने का प्रयास भी माना जा रहा है। इससे यह संदेश जाएगा कि योजना सिर्फ वोट बैंक की राजनीति नहीं, बल्कि वास्तविक महिला कल्याण के लिए है।
चुनौतियाँ और भविष्य
विशेषज्ञों का मानना है कि ई-केवाईसी के बावजूद कुछ चुनौतियाँ बनी रहेंगी:
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ग्रामीण क्षेत्रों में इंटरनेट और आधार सत्यापन की तकनीकी समस्याएँ।
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आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं पर अतिरिक्त कार्यभार।
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अयोग्य घोषित लाभार्थियों में असंतोष और राजनीतिक विरोध।
फिर भी, यह कदम योजना को दीर्घकालिक रूप से मजबूत करेगा और महाराष्ट्र सरकार के लिए गुड गवर्नेंस का मॉडल साबित हो सकता है।
निष्कर्ष:-
‘मुख्यमंत्री माझी लाडकी बहिन योजना’ ने लाखों महिलाओं के जीवन में बदलाव लाया है। लेकिन इस योजना की असली सफलता तभी मानी जाएगी जब इसका लाभ सिर्फ पात्र और जरूरतमंद बहनों तक पहुँचे।
ई-केवाईसी सत्यापन की पहल इस दिशा में एक सकारात्मक और ऐतिहासिक कदम है, जो न केवल पारदर्शिता बढ़ाएगा बल्कि यह भी सुनिश्चित करेगा कि हर रुपये का लाभ सही हाथों तक पहुँचे।
