रिपोर्ट:✍🏻 Z S Razzaqi | अंतरराष्ट्रीय विश्लेषक एवं वरिष्ठ पत्रकार
काबुल/जलालाबाद, 2 सितम्बर 2025 – अफ़ग़ानिस्तान के पूर्वी इलाक़ों में रविवार देर रात आए शक्तिशाली भूकंप ने तबाही मचा दी है। रिक्टर पैमाने पर 6.0 तीव्रता के इस भूकंप ने सबसे ज़्यादा असर कुनर और नंगरहार प्रांतों में डाला, जहाँ सैकड़ों घर पूरी तरह ढह गए और कई गांव मानचित्र से मिट गए। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक़, अब तक 800 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है और 2,800 से ज़्यादा लोग घायल हैं।
मलबे में ज़िंदगी की तलाश
बचाव दल लगातार मलबे के नीचे फंसे लोगों को निकालने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन पहाड़ी इलाक़ों और कटे हुए मोबाइल नेटवर्क की वजह से राहत कार्यों में बड़ी मुश्किलें आ रही हैं। कुनर प्रांत के कई इलाक़ों तक अब भी राहतकर्मी नहीं पहुँच पाए हैं। सरकारी प्रवक्ता ज़बीहुल्लाह मुजाहिद के अनुसार, कुनर में सबसे अधिक तबाही हुई है, जबकि नंगरहार और लग़मान प्रांतों से भी भारी नुकसान और घायलों की ख़बरें मिल रही हैं।
भय और अफ़रातफ़री
नूरग़ल ज़िले के कृषि विभाग के अधिकारी इजाज़ उलहक़ याद ने मीडिया को बताया:
"लोग दहशत में बाहर भाग रहे थे, बच्चे और औरतें चिल्ला रहे थे। हमने अपने जीवन में ऐसा खौफ़नाक मंजर कभी नहीं देखा।"
अधिकांश अफ़ग़ान लोग मिट्टी-गारे के घरों में रहते हैं, जो ज़रा-सी हलचल में ढह जाते हैं। यही वजह है कि इस बार मौतों और घायलों की संख्या बेहद ज़्यादा है।
विस्थापितों की मुश्किलें और बढ़ीं
भूकंप से प्रभावित कई गांवों में वे परिवार रहते थे जो हाल ही में पाकिस्तान और ईरान से अफ़ग़ानिस्तान लौटे हैं। चार मिलियन से अधिक प्रवासी पहले ही बेरोज़गारी और संसाधनों की कमी झेल रहे थे, और अब यह प्राकृतिक आपदा उनकी मुसीबतें कई गुना बढ़ा देगी।
भूकंप क्यों आया?
वैज्ञानिकों के अनुसार, धरती की सतह कई टेक्टोनिक प्लेटों में बंटी हुई है। जब ये प्लेटें एक-दूसरे से टकराती हैं या अचानक खिसकती हैं तो धरती हिलती है और भूकंप आता है। अफ़ग़ानिस्तान जिस भौगोलिक पट्टी में स्थित है, वह पहले से ही भूकंपीय गतिविधियों के लिए बेहद संवेदनशील मानी जाती है। यही वजह है कि यहां बार-बार विनाशकारी भूकंप आते हैं।
राहत और बचाव कार्य जारी
जिला प्रशासन ने घायलों को नंगरहार की राजधानी जलालाबाद और आसपास के अस्पतालों में भर्ती करवाना शुरू कर दिया है। लेकिन मेडिकल सुविधाओं की भारी कमी के चलते स्थिति और गंभीर होती जा रही है। अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों से मदद की गुहार लगाई गई है, जबकि स्थानीय लोगों ने खुद मलबा हटाने और बचाव में हाथ बंटाना शुरू कर दिया है।
अंतरराष्ट्रीय समुदाय की नज़र
यह घटना उस वक्त हुई है जब अफ़ग़ानिस्तान पहले से ही आर्थिक संकट, पलायन और राजनीतिक अस्थिरता से जूझ रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने त्वरित मदद नहीं की, तो यह आपदा मानवीय त्रासदी का सबसे भयावह रूप ले सकती है।
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