रिपोर्ट:✍🏻 Z S Razzaqi | वरिष्ठ पत्रकार
आरोपों का विस्तार:
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विशेष बोर्ड मीटिंग और G.O.
Reddy के अनुसार, 7 मई 2025 को TTD बोर्ड ने केवल इस जमीन स्वैप को मंजूरी देने के लिए बैठक बुलाई, और एक महीने बाद 7 अगस्त 2025 को सरकार ने इसके लिए G.O. पारित कर दिया -
“Inam Land” का उल्लेख:
उन्होंने यह भी सवाल खड़ा किया कि एजेंडा से जमीन का मूल्य जानबूझकर हटाया गया, और उसे “इनाम जमीन” (भक्तों द्वारा दान स्वरूप मिली जमीन) कहा गया—जो पारदर्शिता की कमी को दर्शाता है ओबेरॉय के लिए अनुकूल स्थान: Reddy ने कहा कि इस स्वैप की साजिश असल में ओबेरॉय होटल को तिरुमला पहाड़ियों के नजदीक एक प्रीमियम लोकेशन देने की दिशा में की गई है—जिसकी पहले Chandrababu ने आलोचना भी की थी
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"दिनदहाड़े की लूट" और सनातन धर्म पर हमला:
इस कार्रवाई को Reddy ने “डे-लाइट रॉबरी” करार दिया, और इसे सनातन धर्म एवं भगवान वेंकटेश्वर के प्रति सीधा हमला बताया। उन्होंने सरकार, उप मुख्यमंत्री Pawan Kalyan, और TTD अध्यक्ष B.R. Naidu को जिम्मेदार ठहराया और G.O. पलटने की मांग की है -
आशंका की वजह:
उन्होंने सवाल उठाया कि जब तिरुपति एयरपोर्ट के पास Renigunta जैसे क्षेत्रों में पर्याप्त सरकारी भूमि उपलब्ध है, तो मंदिर की संपत्ति क्यों चुनी गई? इस कदम को उन्होंने पूर्व नियोजन का उदाहरण बताया
TTD का बयान: आरोप गलत और भक्त संवेदनाओं का अपमान
TTD ने इन आरोपों को पूरी तरह गलत और निराधार करार दिया है। उन्होंने स्पष्ट किया है कि 24.68 एकड़ जमीन नवंबर 2021 में पर्यटन विभाग को ओबेरॉय होटल को अल्प अवधि के लिए आवंटित की गई थी, जिससे भक्ति समूहों में भारी विरोध हुआ था। इसके बाद:
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नवंबर 2024, मई 2025 और जुलाई 2025 में TTD बोर्ड ने उस आवंटन को रद्द करने की सिफारिश की।
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बदले में, Alipiri–Cherlopalli रोड के दक्षिणी किनारे की जमीन पर्यटन विभाग को दी गई, जबकि उत्तर की जमीन, जो तिरुमला पहाड़ी के नजदीक है, को भविष्य के भक्त सुविधाओं के विकास के लिए TTD ने बरकरार रखा
TTD का कहना है कि इस पूरी प्रक्रिया का उद्देश्य साक्षात श्रद्धा का संरक्षण और भक्तों की सुविधाओं की पूर्ति था, किसी भी तरह की ग़लत व्याख्या या राजनीतिक चरित्रहनन शो को निंदनीय और असंवेदनशील करता है
निष्कर्ष:-
YSRCP के नेता का आरोप है कि मुख्यमंत्री और TTD नेतृत्व ने श्रद्धालुओं की भावनाओं को तार-तार करने के लिए मंदिर की प्रीमियम जमीन को होटल निर्माण के लिए सौंपने की साजिश रची। वहीं, TTD ने इन आरोपों को धार्मिक भावनाओं का अपमान बताते हुए पूरी तरह खारिज किया।
यह विवाद जल्द ही राजनीतिक और सामाजिक बहस का विषय बन सकता है, विशेष रूप से जब यह मंदिर भूमि जैसे संवेदनशील मुद्दे से जुड़ा हो।
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