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वोट चोरी, डेटा फ्रॉड और भाजपा पर राहुल का हमला – सच्चाई क्या है



स्थान: बेंगलुरु, कर्नाटक: 8 अगस्त 2025 | ✍🏻 Z S Razzaqi | अंतरराष्ट्रीय विश्लेषक एवं वरिष्ठ पत्रकार  


🔍 मुख्य बिंदु (Key Takeaways):

  • राहुल गांधी का आरोप: महादेवपुरा में भाजपा को 1,00,250 फर्जी वोटों का फायदा।

  • कांग्रेस के अनुसार: 11,965 फर्जी वोटर, 40,009 नकली पते, 10,452 वोटर कुछ गिने-चुने पते पर दर्ज।

  • चिलुमे प्रकरण (2022) ने खोला वोटर डेटा के गैरकानूनी प्रयोग का राज।

  • महादेवपुरा व के आर पुरा: भाजपा के लिए रणनीतिक वोट-बैंक।

  • भाजपा की हर लोकसभा जीत में इन क्षेत्रों की निर्णायक भूमिका।

  • कांग्रेस शुक्रवार को बेंगलुरु में बड़ा प्रदर्शन करने को तैयार।


📌 महादेवपुरा: 'वोट चोरी' का ग्राउंड ज़ीरो क्यों बना?

राहुल गांधी का आरोप यूं ही नहीं है। बेंगलुरु का महादेवपुरा विधानसभा क्षेत्र, जो कभी खेतों और झीलों की पहचान रखता था, आज शहरी प्रवासियों का गढ़ बन चुका है। 2008 में अस्तित्व में आया यह इलाका आज रियल एस्टेट के बेतहाशा विस्तार, झुग्गी-झोपड़ियों और ऊँची रिहायशी इमारतों का मिश्रण है — जहाँ 3.25 लाख से अधिक वोटर हैं।

राहुल गांधी ने दावा किया कि भाजपा ने इसी जनसांख्यिकीय परिवर्तन का फायदा उठाकर फर्जी वोटिंग करवाई और बेंगलुरु सेंट्रल लोकसभा सीट पर विजय प्राप्त की।


🗂️ राहुल गांधी के आरोप का विश्लेषण: आंकड़ों की जुबानी

आरोपसंख्या
फर्जी वोटर11,965
नकली पते वाले वोटर40,009
सीमित पते पर दर्ज हजारों वोटर10,452
कुल कथित फर्जी वोट1,00,250 (लगभग)


यदि ये आरोप सही हैं, तो भाजपा की 2024 की बेंगलुरु सेंट्रल सीट पर 32,707 वोटों की जीत ही अवैध साबित होती है।


🕵️‍♂️ 2022 का चिलुमे प्रकरण: इस साज़िश की पृष्ठभूमि

2022 में BBMP (बृहत बेंगलुरु महानगर पालिका) ने एक निजी एजेंसी 'चिलुमे ग्रुप' को SVEEP (मतदाता शिक्षा और भागीदारी) कार्यक्रम के तहत वोटर डेटा इकट्ठा करने का ठेका दिया। लेकिन बाद में खुलासा हुआ कि:

  • चिलुमे ने अपने निजी कर्मियों को सरकारी अधिकारी बनाकर काम करवाया।

  • EC के Garuda App और अन्य निजी ऐप्स के माध्यम से आधार से लिंकिंग, नाम हटाना और जोड़ना, और मतदाता सूची में हेराफेरी की संभावनाएँ बढ़ीं।

  • वोटर डेटा को एक विदेशी सर्वर पर स्टोर किया गया — जिससे डेटा सिक्योरिटी और गुप्त वोटिंग अधिकार पर सवाल खड़े हुए।

हालाँकि चुनाव आयोग की जांच (IAS अधिकारी अमलान आदित्य बिस्वास के नेतृत्व में) में सीधे तौर पर डेटा में छेड़छाड़ का प्रमाण नहीं मिला, लेकिन रिपोर्ट में यह स्पष्ट रूप से कहा गया:

"चिलुमे ग्रुप ने एक अवैध डिजिटल ऐप पर मतदाता डेटा संग्रह किया, जिससे निजी लाभ के लिए गलत अवसर उत्पन्न हुए।"


🏛️ भाजपा की रणनीति: माइग्रेंट्स को 'वोट बैंक' में बदलना

महादेवपुरा और के आर पुरा जैसे क्षेत्रों में भाजपा के नेताओं ने वर्षों से निजी एजेंसियों के माध्यम से प्रवासी मज़दूरों के बीच वोटर पहचान बनवाई और उन्हें पार्टी के पक्ष में संगठित किया। पूर्व विधायक नंदीश रेड्डी और अरविंद लिम्बावली के बीच इन गतिविधियों की पुष्टि खुद उनके बयानों से होती है।

भाजपा की राज्य इकाई पर संगठित मतदाता हेराफेरी, डाटा संग्रहण का दुरुपयोग, और चुनाव में संस्थागत लाभ उठाने के आरोप कांग्रेस द्वारा बार-बार लगाए गए।


📉 बेंगलुरु सेंट्रल: वोटों की गणित और गड़बड़ियों की राजनीति

वर्षBJP जीत का अंतरमुख्य योगदान क्षेत्र
200935,218महादेवपुरा, के आर पुरा
20141,37,000महादेवपुरा, के आर पुरा
201970,968महादेवपुरा, के आर पुरा
202432,707महादेवपुरा, के आर पुरा

2024 की सबसे कम जीत को अगर राहुल गांधी द्वारा बताए गए 1 लाख अवैध वोटों से जोड़ें, तो यह विजय ‘कानूनी रूप से’ शून्य मानी जा सकती है।


📢 कांग्रेस का संघर्ष और प्रतिक्रिया

अब कांग्रेस पूरे घटनाक्रम को आधार बनाकर चुनाव आयोग, न्यायपालिका और जनता से लोकतंत्र की सुरक्षा के लिए हस्तक्षेप की मांग कर रही है। पार्टी आज बेंगलुरु में महत्वपूर्ण प्रदर्शन करने जा रही है, जिसका उद्देश्य है:

  • चुनावी पारदर्शिता की मांग

  • दोषियों के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई

  • मतदाता डेटा की पुनः जांच

  • चुनाव आयोग की भूमिका पर स्वतंत्र निगरानी समिति की मांग


🔎 कांग्रेस बनाम चुनाव आयोग: कौन सही, कौन गलत?

चुनाव आयोग की रिपोर्ट तकनीकी रूप से "डाटा टेम्परिंग" को खारिज करती है। लेकिन एक सवाल अनुत्तरित है — अगर वोटर डेटा अवैध रूप से इकट्ठा किया गया और उसे किसी राजनीतिक दल से जोड़ा गया, तो क्या चुनाव निष्पक्ष माना जा सकता है?

यह वह प्रश्न है जिसे राहुल गांधी जनता के बीच ले जाकर "लोकतंत्र बनाम डेटा फ्रॉड" के रूप में स्थापित करने की कोशिश कर रहे हैं।


⚖️ निष्कर्ष: यह केवल सीट का मामला नहीं, लोकतंत्र की साख का सवाल है

राहुल गांधी का यह आरोप कोई चुनावी भाषण नहीं, बल्कि स्थापित तथ्यों, घटनाओं और जांच रिपोर्टों पर आधारित गंभीर चेतावनी है।
यह मामला सिर्फ कांग्रेस या भाजपा का नहीं, बल्कि हर भारतीय नागरिक का है, जो मानता है कि उसका वोट उसकी आवाज़ है।

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