9 जून 2025 | ✍🏻 Z S Razzaqi | अंतरराष्ट्रीय विश्लेषक एवं वरिष्ठ पत्रकार
इज़राइली सेना ने अंतरराष्ट्रीय जलक्षेत्र में ‘फ़्रीडम फ़्लोटिला’ अभियान के तहत जा रहे मानवीय सहायता जहाज़ Madleen को रोककर उस पर सवार सभी कार्यकर्ताओं को हिरासत में ले लिया है। इस जहाज़ पर जलवायु कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग और फ्रांस की यूरोपीय संसद सदस्य रीमा हसन समेत कई अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार कार्यकर्ता सवार थे।
क्या है पूरा मामला?
ब्रिटिश झंडे वाला यह निजी नौका Madleen, ‘फ़्रीडम फ़्लोटिला कोएलिशन (FFC)’ द्वारा संचालित किया जा रहा था, जिसका उद्देश्य गाज़ा में मानवीय सहायता पहुँचाना और इज़राइल द्वारा लगाए गए नौसैनिक प्रतिबंध को चुनौती देना था। यह जहाज़ सिसिली (इटली) से रवाना हुआ था।
9 जून को तड़के लगभग 2 बजे, अंतरराष्ट्रीय जलक्षेत्र में इस्राइली नौसैनिक बलों ने जहाज़ को घेर लिया और उस पर सवार सभी लोगों को हिरासत में ले लिया। रीमा हसन ने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर इस कार्रवाई की पुष्टि करते हुए एक तस्वीर साझा की, जिसमें कार्यकर्ता जीवन रक्षक जैकेट पहनकर हाथ ऊपर किए हुए बैठे दिख रहे हैं।
इज़राइल की प्रतिक्रिया: “यह एक प्रचार स्टंट था”
इज़राइली विदेश मंत्रालय ने इस अभियान को "सेल्फी यॉट" और "सेलेब्रिटीज़ का प्रचार तंत्र" करार देते हुए कहा कि इसमें वास्तविक मानवीय सहायता बहुत कम थी। मंत्रालय के अनुसार:
“यह एक सेल्फी स्टंट था जिसका उद्देश्य सिर्फ मीडिया में सुर्खियाँ बटोरना था। इस जहाज़ में 100 पाउंड से भी कम मदद सामग्री थी, जबकि अकेले पिछले दो हफ्तों में इज़राइल के ज़रिए 1,200 से अधिक ट्रक गाज़ा में मानवीय सहायता पहुँचा चुके हैं।”
इज़राइली अधिकारियों ने यह भी आरोप लगाया कि ऐसे अभियानों के माध्यम से हथियारों की तस्करी की भी आशंका रहती है और इसलिए हर जहाज़ की जाँच आवश्यक है, चाहे उसमें कोई सेलेब्रिटी क्यों न हो।
फ़्रीडम फ़्लोटिला की प्रतिक्रिया: "यह अपहरण है"
FFC ने टेलीग्राम और आधिकारिक बयानों के ज़रिए इस पूरी कार्रवाई को "अवैध अपहरण" करार दिया है। संगठन का कहना है कि जहाज़ पूरी तरह निहत्था था और अंतरराष्ट्रीय समुद्री कानूनों के अनुसार सहायता सामग्री लेकर जा रहा था।
“हम डरने वाले नहीं हैं। दुनिया देख रही है। Madleen एक नागरिक जहाज़ है, जो मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और सहायता सामग्री के साथ गाज़ा की ओर शांतिपूर्वक जा रहा था। इज़राइल को इसे रोकने का कोई अधिकार नहीं है।”
संगठन ने यह भी स्वीकार किया कि जहाज़ में सहायता की मात्रा प्रतीकात्मक थी – जैसे कि चावल और शिशु आहार – जिसका उद्देश्य था गाज़ा के लोगों के प्रति अंतरराष्ट्रीय समर्थन दर्शाना।
पहले भी हो चुका है प्रयास
यह Madleen का पहला प्रयास नहीं था। मई 2025 में FFC का एक और जहाज़ “Conscience” गाज़ा की ओर रवाना हुआ था, लेकिन अंतरराष्ट्रीय जलक्षेत्र में माल्टा के पास कथित ड्रोन हमले में जहाज़ को भारी नुकसान हुआ और मिशन रद्द करना पड़ा। FFC ने इस हमले के लिए इज़राइल को जिम्मेदार ठहराया था, हालांकि इस्राइली सरकार ने न तो हमले की पुष्टि की और न ही इनकार किया।
इज़राइल का नौसैनिक प्रतिबंध: सुरक्षा या दमन?
इज़राइल ने 2007 से गाज़ा पर समुद्री प्रतिबंध लगा रखा है, जिसका औपचारिक उद्देश्य है – हथियारों की तस्करी को रोकना। लेकिन आलोचकों का कहना है कि इस प्रतिबंध ने गाज़ा के नागरिकों को मानवीय संकट में डाल दिया है। FFC और अन्य मानवाधिकार संगठनों का मानना है कि यह प्रतिबंध अंतरराष्ट्रीय कानूनों के खिलाफ है और इसे चुनौती देना ज़रूरी है।
राजनीतिक और मानवीय प्रतिक्रियाएँ
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अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अब तक मिश्रित प्रतिक्रियाएँ मिली हैं। कुछ मानवाधिकार समूहों ने इज़राइल की कार्रवाई की निंदा की है।
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वहीं, इस्राइली समर्थकों का कहना है कि यह आवश्यक सुरक्षा उपाय है ताकि आतंकी संगठन हमास तक हथियार न पहुँच सकें।
निष्कर्ष: मीडिया प्रचार या मानवीय साहस?
यह घटनाक्रम वैश्विक मंच पर गाज़ा संकट और इज़राइली नीतियों पर एक बार फिर चर्चा का केंद्र बन गया है। एक ओर इज़राइल इसे “प्रचार का मंचन” मानता है, तो दूसरी ओर Freedom Flotilla इसे मानवता के पक्ष में एक साहसिक प्रयास बताता है।
सवाल यह है – क्या अंतरराष्ट्रीय कानूनों की अवहेलना कर मानवता की आवाज़ को दबाया जा सकता है? और क्या महज़ सेल्फियों से बदलाव की लहर उठ सकती है?
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