✍🏻 Z S Razzaqi | अंतरराष्ट्रीय विश्लेषक एवं वरिष्ठ पत्रकार
ईरान और इसराइल के बीच जारी सैन्य संघर्ष अब केवल क्षेत्रीय तनाव तक सीमित नहीं रहा है, बल्कि इसने उन देशों में मौजूद भारतीय नागरिकों की सुरक्षा को लेकर गंभीर चिंताएं खड़ी कर दी हैं। भारत से ईरान और इसराइल गए छात्र, पेशेवर, देखभालकर्ता और प्रतिनिधिमंडल के सदस्य प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से इस टकराव की जद में आ चुके हैं। हालांकि फिलहाल अधिकांश भारतीय सुरक्षित हैं, लेकिन हालात अब भी नाजुक बने हुए हैं।
ईरान में 1200 से अधिक भारतीय छात्र, स्थानांतरित किए गए सुरक्षित क्षेत्रों में
ईरान की राजधानी तेहरान में स्थित यूनिवर्सिटी में भारत के करीब 1200 छात्र मेडिकल और रिसर्च जैसे कोर्सेज़ की पढ़ाई कर रहे हैं। इनमें से अनेक छात्र दक्षिण भारत, विशेष रूप से कर्नाटक और केरल से ताल्लुक रखते हैं। तेहरान में रह रहे छात्रों को स्थानीय प्रशासन की मदद से राजधानी से लगभग 200 किलोमीटर दूर स्थित क़ज़वीन नामक शहर में स्थानांतरित किया गया है। क़ज़वीन को ईरान की कैलीग्राफ़ी की राजधानी माना जाता है और यह अपेक्षाकृत शांत और सुरक्षित स्थान है।
बेंगलुरु निवासी सैयद इम्तियाज़ हैदर ने बताया कि उनका बेटा सैयद आबिस, जो तेहरान यूनिवर्सिटी से डॉक्टरेट कर रहा है, फिलहाल वहां अन्य छात्रों के साथ सुरक्षित है। आबिस ने पहले बेंगलुरु से फिजियोथेरेपी में ग्रेजुएशन किया था और अब मास्टर्स के बाद पीएचडी कर रहे हैं।
छात्रों की भारत वापसी की मांग तेज
तेहरान में रह रहे छात्रों के परिवारों की चिंता स्वाभाविक है। कर्नाटक निवासी छात्र नदीम हुसैन ने भारत लौटने की अपील राज्य की एनआरआई समिति से की है। समिति की उपाध्यक्ष आरती कृष्णा ने इस पर संज्ञान लेते हुए विदेश मंत्री को पत्र लिखकर छात्रों की तत्काल निकासी की मांग की है। उन्होंने बताया कि वह दिल्ली जाकर खुद विदेश मंत्री से मिलने का प्रयास कर रही हैं ताकि तेहरान में फंसे सभी नौ छात्रों को जल्द से जल्द स्वदेश लाया जा सके।
इसराइल में अर्बन गवर्नेंस पर अध्ययन करने गया प्रतिनिधिमंडल फंसा
ईरान के साथ-साथ इसराइल में भी भारतीय नागरिकों की एक टोली संघर्ष के बीच फंस गई है। बेंगलुरु से गया बी-पैक नामक संस्था का एक प्रतिनिधिमंडल, जिसमें अठारह सदस्य शामिल हैं, इसराइल में अर्बन गवर्नेंस के मुद्दों पर अध्ययन यात्रा पर था। प्रतिनिधिमंडल में विभिन्न राजनीतिक दलों, जैसे बीजेपी और कांग्रेस, के सदस्य और सामाजिक कार्यकर्ता शामिल थे।
यात्रा के अंतिम चरण में ही अचानक हवाई अड्डों के बंद हो जाने से यह प्रतिनिधिमंडल इसराइल में फंस गया। प्रतिनिधिमंडल के एक सदस्य ने जानकारी दी कि वे भारत सरकार के विदेश मंत्रालय से संपर्क में हैं और स्थानीय प्रशासन की ओर से उन्हें जरूरी सहायता और सावधानियों की जानकारी दी जा रही है। सभी सदस्य सुरक्षित हैं और प्रशासन उनके लिए हरसंभव व्यवस्था कर रहा है।
इसराइल में बुजुर्गों की देखभाल करने वाले भारतीय देखभालकर्ता भी प्रभावित
केरल राज्य से बड़ी संख्या में लोग इसराइल में बुजुर्गों की देखभाल जैसे सेवा कार्यों में लगे हुए हैं। नॉन रेसिडेंट्स केरलाइट्स अफेयर्स (NORKA) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अजित कोलास्सेरी ने बताया कि इसराइल में मौजूद कई केरलवासी कर्मचारियों ने युद्ध आरंभ होने के समय बाल-बाल बचने की जानकारी दी है। उन्होंने यह भी कहा कि वे लगातार वहां के प्रवासी समुदाय के संपर्क में हैं और स्थानीय प्रशासन की ओर से मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) का सख्ती से पालन किया जा रहा है।
इसराइल में ‘केरल सभा’ नामक एक स्थानीय संस्था भी सक्रिय रूप से प्रवासी भारतीयों की मदद कर रही है। हालांकि ईरान में इस प्रकार की कोई संगठनात्मक संरचना मौजूद नहीं है क्योंकि वहां मौजूद भारतीयों की संख्या तुलनात्मक रूप से बहुत कम है और वे ज़्यादातर कारोबारी पृष्ठभूमि से आते हैं।
भारत सरकार की एडवाइजरी और दूतावास की सक्रियता
भारत सरकार ने इस गंभीर स्थिति को देखते हुए दोनों देशों के लिए अलग-अलग एडवाइजरी जारी की है। विदेश मंत्रालय ने इसराइल और ईरान में रह रहे भारतीय नागरिकों से सतर्क रहने और स्थानीय प्रशासन द्वारा जारी सुरक्षा निर्देशों का पालन करने को कहा है। विशेष रूप से यह सलाह दी गई है कि अनावश्यक यात्राओं से बचें, सार्वजनिक स्थानों से दूर रहें और हर परिस्थिति में दूतावास के संपर्क में बने रहें।
तेहरान स्थित भारतीय दूतावास ने विशेष रूप से छात्रों और अन्य भारतीय नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक कदम उठाए हैं। दूतावास ने कई छात्रों को सुरक्षित स्थानों पर भेजने की व्यवस्था की है और आगे के लिए अन्य विकल्पों पर भी विचार किया जा रहा है।
सरकार ने आधिकारिक बयान में कहा कि स्थिति पर लगातार नज़र रखी जा रही है और दूतावास प्रवासी भारतीय समुदाय के नेताओं के साथ मिलकर काम कर रहा है ताकि किसी भी आपात स्थिति में त्वरित प्रतिक्रिया दी जा सके।
निष्कर्ष:-
ईरान और इसराइल के बीच सैन्य तनाव ने एक बार फिर यह सिद्ध कर दिया है कि वैश्विक संघर्षों का असर सीमाओं से बहुत आगे तक जाता है। भारत जैसे देशों के हजारों नागरिक शिक्षा, रोजगार या अध्ययन के उद्देश्य से इन क्षेत्रों में रहते हैं और जब युद्ध जैसी स्थितियाँ उत्पन्न होती हैं, तो उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करना प्राथमिक जिम्मेदारी बन जाती है।
सरकार की सक्रियता और दूतावास की संवेदनशीलता ने यह दिखाया है कि भारत अपने नागरिकों की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देता है। फिर भी इस पूरे प्रकरण से यह आवश्यक सबक मिलता है कि भविष्य में छात्रों और कर्मचारियों को युद्ध-प्रभावित क्षेत्रों के चयन में अधिक सतर्कता और जानकारी से काम लेना होगा।
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