चेन्नई, जून 2, 2025:
तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई में बीते साल दिसंबर में अन्ना यूनिवर्सिटी की एक 19 वर्षीय छात्रा के साथ हुई दरिंदगी ने पूरे राज्य को झकझोर दिया था। अब इस सनसनीखेज मामले में चेन्नई की एक विशेष अदालत ने ऐसा फैसला सुनाया है, जो आने वाले वक्त में एक नज़ीर बन सकता है।
अदालत ने आरोपी, बिरयानी विक्रेता ए गणसेकरन को दोषी करार देते हुए बिना किसी छूट या रियायत के 30 साल की कठोर उम्रकैद की सज़ा सुनाई है। इस ऐतिहासिक निर्णय ने न केवल पीड़िता को इंसाफ दिलाया है, बल्कि महिला सुरक्षा को लेकर समाज में गंभीर सवाल भी खड़े किए हैं।
कैसे हुआ जघन्य अपराध का खुलासा
यह वारदात दिसंबर 2024 की है, जब 19 वर्षीय छात्रा अपने मित्र के साथ विश्वविद्यालय परिसर में थी। तभी गणसेकरन, जो पास ही बिरयानी बेचने का काम करता था, अचानक वहां आ धमका। उसने पहले लड़की के दोस्त की पिटाई की, फिर छात्रा को धमकाते हुए कहा कि उसके पास उनकी "निजी पलों" की वीडियो रिकॉर्डिंग है। अगर वह उसकी बात नहीं मानेगी, तो वह वीडियो उसके पिता और कॉलेज को भेज देगा।
इस धमकी के बाद आरोपी ने छात्रा के मित्र को वहां से हटा दिया और उसे करीब 200 मीटर दूर एक सुनसान जगह ले जाकर बेरहमी से यौन शोषण किया। यही नहीं, आरोपी ने छात्रा की तस्वीरें लीं, आईडी कार्ड और पिता का नंबर लेकर उसे बार-बार मिलने की धमकी दी।
पुलिस जांच और अदालत में तेज़ कार्यवाही
चेन्नई पुलिस ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए 24 घंटे के अंदर आरोपी को गिरफ्तार किया और मात्र 60 दिनों में चार्जशीट दाखिल कर दी। कुल 20 आपराधिक मामलों में लिप्त गणसेकरन पूर्व में चोरी और सेंधमारी जैसे अपराधों में छह बार दोषी ठहराया जा चुका था।
जांच में पता चला कि आरोपी ने खुद को अधिक शक्तिशाली दिखाने के लिए फर्जी तरीके से किसी “सर” से बात करने का नाटक किया। इस बात पर AIADMK ने सवाल उठाया कि आख़िर “वो सर” कौन है? DMK और पुलिस ने स्पष्ट किया कि आरोपी ने फोन को एयरप्लेन मोड पर रखकर यह नाटक रचा था।
राजनीति में मचा भूचाल
मामला सामने आने के बाद राजनीतिक गलियारों में भी हलचल मच गई।
-
DMK पर आरोप लगे कि आरोपी गणसेकरन पार्टी से जुड़ा है। विपक्षी दलों ने सोशल मीडिया पर उसकी तस्वीरें DMK नेताओं के साथ साझा कीं।
-
मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने सफाई दी कि गणसेकरन पार्टी का केवल समर्थक था, सदस्य नहीं।
-
BJP नेता के अन्नामलाई ने आत्मअनुशासन दिखाते हुए खुद को कोड़ा मारकर विरोध जताया और पुलिस पर पीड़िता की पहचान उजागर करने का आरोप लगाया।
-
AIADMK ने विधानसभा तक “वो सर कौन है” जैसे पोस्टरों के साथ धरना प्रदर्शन किए।
अदालत का सख्त रुख और मानवीय दृष्टिकोण
विशेष न्यायाधीश एम राजलक्ष्मी ने अपने फैसले में कहा कि यह अपराध सिर्फ एक छात्रा पर हमला नहीं, बल्कि पूरे समाज पर धब्बा है। अदालत ने गणसेकरन को भारतीय न्याय संहिता, आईटी एक्ट और तमिलनाडु महिला उत्पीड़न निषेध अधिनियम की धाराओं के तहत दोषी पाया।
इसके अलावा, मद्रास हाई कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेते हुए राज्य सरकार को पीड़िता को 25 लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया और अन्ना यूनिवर्सिटी को उसकी शिक्षा की संपूर्ण जिम्मेदारी निभाने को कहा। साथ ही एक महिला विशेष जांच टीम (SIT) का गठन भी किया गया।
अब क्या बदला विश्वविद्यालय में
घटना के बाद अन्ना यूनिवर्सिटी ने:
-
परिसर में सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत किया
-
अधिक संख्या में महिला सुरक्षाकर्मियों की तैनाती की
-
सीसीटीवी कैमरों की संख्या बढ़ाई
-
और एक संयुक्त सुरक्षा ऑडिट कराया
न्याय की इस लड़ाई से क्या सीखा देश ने
यह मामला एक दुखद याद दिलाता है कि विश्वविद्यालय जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में भी छात्राएं सुरक्षित नहीं हैं। लेकिन यह भी दिखाता है कि यदि सरकार, पुलिस और न्यायपालिका ईमानदारी से काम करें तो न्याय संभव है।
गणसेकरन को मिली सज़ा सिर्फ एक अपराधी को दंड नहीं, बल्कि यह एक चेतावनी है उन दरिंदों के लिए जो मासूम जीवन को अपने हवस का शिकार बनाते हैं।