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भारत-पाकिस्तान तनाव पर अमेरिकी उप-राष्ट्रपति जे.डी. वांस का बड़ा बयान: “यह हमारा मामला नहीं, हम युद्ध में नहीं पड़ेंगे

नई दिल्ली, 9 मई 2025 — भारत और पाकिस्तान के बीच जारी तनाव के बीच अमेरिका ने स्पष्ट कर दिया है कि वह इस विवाद में प्रत्यक्ष हस्तक्षेप नहीं करेगा। अमेरिकी उप-राष्ट्रपति जे.डी. वांस (J.D. Vance) ने एक टेलीविज़न इंटरव्यू में कहा कि यह एक क्षेत्रीय संघर्ष है और अमेरिका इसमें पक्ष नहीं लेगा, लेकिन वह दोनों देशों को तनाव कम करने के लिए प्रेरित करता रहेगा

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"यह युद्ध हमारे मूल हितों का हिस्सा नहीं है": वांस

जे.डी. वांस ने शुक्रवार को दिए गए साक्षात्कार में कहा,

“हम उस युद्ध में शामिल नहीं होने जा रहे हैं जो बुनियादी रूप से हमारे लिए कोई मामला नहीं है। हम जरूर चिंतित हैं जब दो परमाणु शक्ति संपन्न देश आमने-सामने होते हैं, लेकिन हम उनकी सेनाओं को नियंत्रित नहीं कर सकते।”

यह बयान उस समय आया है जब भारत ने हाल ही में “ऑपरेशन सिंदूर” के तहत पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में आतंकी ठिकानों पर सटीक हवाई हमले किए हैं। यह कार्रवाई 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के जवाब में की गई, जिसमें 26 नागरिक मारे गए थे।

पाकिस्तानी जवाबी हमला विफल, भारत की सुरक्षा तैयार

भारत की कार्रवाई के एक दिन बाद, गुरुवार रात पाकिस्तान ने मिसाइलों और ड्रोन के जरिए जम्मू, पठानकोट, उधमपुर सहित कई सैन्य ठिकानों को निशाना बनाने की कोशिश की। लेकिन भारतीय वायु रक्षा प्रणाली ने इसे विफल कर दिया। भारत ने बाद में कहा कि वह अपनी संप्रभुता की रक्षा और नागरिकों की सुरक्षा के लिए पूरी तरह तैयार है।

अमेरिका की भूमिका: कूटनीति के जरिए शांति की कोशिश

जे.डी. वांस ने यह भी बताया कि उनका परिवार पहलगाम हमले के समय भारत में आधिकारिक दौरे पर था, और वे इस घटना की गंभीरता को समझते हैं। हालांकि उन्होंने कहा:

“हम भारत से यह नहीं कह सकते कि वे अपने हथियार छोड़ दें, न ही पाकिस्तान से। हम सिर्फ यही कर सकते हैं कि हम उन्हें तनाव घटाने की सलाह दें और कूटनीतिक रास्ते तलाशें।”

उन्होंने यह भी उम्मीद जताई कि यह संघर्ष किसी व्यापक क्षेत्रीय युद्ध या परमाणु टकराव में नहीं बदलेगा, लेकिन ऐसी आशंका से इनकार नहीं किया। उन्होंने कहा,

“अगर ऐसा हुआ तो वह निश्चित ही विनाशकारी होगा। लेकिन अभी के हालात को देखते हुए हमें लगता है कि ऐसा नहीं होने जा रहा।”

अमेरिका के कूटनीतिक प्रयास तेज़

इस बीच, अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रूबियो (Marco Rubio) ने गुरुवार को भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ से फोन पर बात की। अमेरिकी विदेश विभाग के अनुसार, उन्होंने दोनों पक्षों से “तत्काल तनाव घटाने” का आग्रह किया।

जयशंकर से बातचीत में रूबियो ने पहलगाम हमले पर अमेरिका की संवेदना व्यक्त की और भारत के आतंकवाद विरोधी प्रयासों के प्रति समर्थन दोहराया। उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिका चाहता है कि नई दिल्ली और इस्लामाबाद के बीच प्रत्यक्ष संवाद बहाल हो और संचार तंत्र मजबूत किया जाए।


निष्कर्ष:

भारत-पाकिस्तान के बीच यह नया सैन्य तनाव न केवल क्षेत्रीय स्थिरता के लिए खतरा है बल्कि वैश्विक स्तर पर परमाणु टकराव की चिंताओं को भी जन्म दे रहा है। हालांकि अमेरिका इस संघर्ष से स्वयं को दूर रखने की नीति अपना रहा है, लेकिन वह कूटनीतिक हस्तक्षेप और संवाद के माध्यम से इसे नियंत्रण में रखने की कोशिश कर रहा है।
वर्तमान परिस्थिति में यह देखना अहम होगा कि क्या दोनों देश परिपक्वता और शांति के मार्ग को अपनाते हैं या तनाव और बढ़ता है।

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