वॉशिंगटन/नई दिल्ली:
दक्षिण एशिया में बढ़ते तनाव को देखते हुए अमेरिका ने सक्रिय कूटनीतिक पहल करते हुए अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रूबियो ने पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर से फोन पर बातचीत की और भारत के साथ तनाव कम करने की अपील की। अमेरिका के विदेश विभाग की प्रवक्ता टैमी ब्रूस के अनुसार, इस वार्ता का उद्देश्य दोनों परमाणु संपन्न देशों के बीच बिगड़ते हालात को नियंत्रण में लाना था।
रूबियो ने यह भी प्रस्ताव दिया कि संयुक्त राज्य अमेरिका दोनों देशों के बीच 'रचनात्मक और प्रत्यक्ष संवाद' शुरू कराने में मदद करने को तैयार है, ताकि भविष्य में संघर्ष की स्थिति से बचा जा सके।
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अमेरिका ने मध्यस्थता की पेशकश की
टैमी ब्रूस ने बताया, “विदेश मंत्री रूबियो ने संयम बरतने की आवश्यकता पर बल दिया और यह स्पष्ट किया कि अमेरिका क्षेत्र में स्थिरता के लिए कूटनीतिक समर्थन देने को तैयार है।”
इससे पहले रूबियो ने भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ से भी अलग-अलग बातचीत की थी, जिसमें उन्होंने पाकिस्तान से आतंकी समूहों को समर्थन देना बंद करने के लिए ठोस कदम उठाने की मांग दोहराई।
व्हाइट हाउस और अमेरिकी उपराष्ट्रपति की प्रतिक्रिया
व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरोलिन लेविट ने बताया कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप इस संकट की स्थिति पर करीबी नजर बनाए हुए हैं और शीघ्र समाधान की इच्छा रखते हैं।
उन्होंने कहा, “राष्ट्रपति चाहते हैं कि तनाव जल्द से जल्द कम हो। उन्हें दोनों देशों के बीच लंबे समय से चली आ रही दुश्मनी का अंदाजा है, लेकिन वे आशान्वित हैं कि जिम्मेदारी से काम लिया जाएगा।”
वहीं, अमेरिका के उपराष्ट्रपति जेडी वांस, जो अंतरराष्ट्रीय सैन्य हस्तक्षेप के विरोधी माने जाते हैं, ने स्पष्ट किया कि अमेरिका सैन्य संघर्ष में प्रत्यक्ष रूप से शामिल नहीं होगा।
“यह अमेरिका का युद्ध नहीं है। हम केवल कूटनीतिक प्रयासों के जरिए दोनों देशों को संयम बरतने के लिए प्रोत्साहित कर सकते हैं। हम किसी को हथियार डालने का आदेश नहीं दे सकते,” उपराष्ट्रपति वांस ने कहा।
पृष्ठभूमि: ऑपरेशन सिंदूर और बढ़ता सीमा विवाद
भारत और पाकिस्तान के बीच हालिया तनाव 22 अप्रैल के पहलगाम आतंकी हमले के बाद शुरू हुआ, जिसके जवाब में भारत ने एक सुनियोजित सैन्य अभियान 'ऑपरेशन सिंदूर' शुरू किया। इस अभियान में भारत ने पाकिस्तान और पाक अधिकृत कश्मीर (PoK) में स्थित कई आतंकी अड्डों को निशाना बनाया।
भारतीय सेना ने पुष्टि की कि ये ठिकाने जैश-ए-मोहम्मद (JeM) और लश्कर-ए-तैयबा (LeT) जैसे संगठनों के ऑपरेशनल बेस थे। इसके बाद पाकिस्तान की ओर से ड्रोन और मिसाइल हमले शुरू हो गए, जो जम्मू-कश्मीर, राजस्थान और पंजाब के सैन्य ठिकानों को निशाना बना रहे हैं।
सीमा पर तनाव चरम पर
शनिवार सुबह तक, भारत के 26 अलग-अलग स्थानों पर पाकिस्तानी सशस्त्र ड्रोन देखे गए — जम्मू-कश्मीर से लेकर गुजरात तक। साथ ही, इस्लामाबाद के पास एक महत्वपूर्ण सैन्य ठिकाने पर हुए विस्फोटों के बाद पाकिस्तान ने अपना हवाई क्षेत्र बंद कर दिया।
भारतीय सेना ने बताया, “आज सुबह 5 बजे के करीब अमृतसर स्थित खासा छावनी पर कई दुश्मन ड्रोन देखे गए, जिन्हें हमारी वायु रक्षा इकाइयों ने तुरंत नष्ट कर दिया।”
निष्कर्ष: क्षेत्रीय शांति के लिए कूटनीतिक प्रयास आवश्यक
भारत और पाकिस्तान के बीच मौजूदा हालात दक्षिण एशिया में एक बड़े सैन्य टकराव की चेतावनी दे रहे हैं। अमेरिका द्वारा तनाव कम करने के प्रयास, खासकर विदेश मंत्री रूबियो द्वारा की गई कूटनीतिक पहल, इस बात का संकेत हैं कि वाशिंगटन इस संघर्ष को एक अंतरराष्ट्रीय संकट के रूप में देख रहा है।
आने वाले कुछ दिन इस बात के लिए निर्णायक होंगे कि क्या कूटनीति युद्ध के बादलों को छांट सकती है या नहीं।
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