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सुवास शेट्टी की हत्या: मंगलुरु को झकझोर देने वाला हत्याकांड और उसके पीछे की राजनीति

दक्षिण कर्नाटक का तटीय इलाका एक बार फिर हिंसा और तनाव के साए में है। मंगलुरु में गुरुवार की शाम उस वक्त सनसनी फैल गई जब 42 वर्षीय सुवास शेट्टी की सरेआम निर्मम हत्या कर दी गई। सुवास, जो पहले बजरंग दल से जुड़े थे और मोहम्मद फाज़िल हत्या कांड के मुख्य अभियुक्तों में शामिल थे, उनकी हत्या ने न केवल क्षेत्र में दहशत फैलाई बल्कि राजनीतिक गलियारों में भी गूंज पैदा कर दी है।


कौन थे सुवास शेट्टी?

सुवास शेट्टी एक विवादास्पद शख्सियत थे, जिनका नाम कर्नाटक की तटीय राजनीति में लंबे समय से सुर्खियों में रहा है। वे मंगलुरु शहर और दक्षिण कन्नड़ जिले में दर्ज पांच आपराधिक मामलों में वांछित थे। हिंदुत्व संगठनों से उनका गहरा जुड़ाव था और वे बजरंग दल के सक्रिय सदस्य रह चुके थे।

2022 में उनका नाम अचानक राष्ट्रीय स्तर पर तब सामने आया जब उन्हें 23 वर्षीय मुस्लिम युवक मोहम्मद फाज़िल की हत्या के मामले में मुख्य आरोपी बताया गया। यह हत्या उस समय हुई थी जब भाजपा युवा मोर्चा के नेता प्रवीण नेत्तरू की हत्या के ठीक दो दिन बाद फाज़िल की हत्या कर दी गई थी। इसे राजनीतिक और सांप्रदायिक बदले की भावना से जुड़ा कृत्य माना गया, जिसने पूरे कर्नाटक के तटीय इलाकों में तनाव और असुरक्षा की लहर पैदा कर दी थी।

हत्या की सनसनीखेज वारदात

पुलिस के अनुसार, सुवास शेट्टी की हत्या गुरुवार शाम करीब 8:27 बजे हुई, जब वे किन्नीपदावू के पास पांच अन्य साथियों के साथ एक वाहन में यात्रा कर रहे थे। तभी दो अज्ञात गाड़ियों ने उनकी गाड़ी को रोका और पांच से छह हथियारबंद हमलावरों ने तलवारों और धारदार हथियारों से उन पर बेरहमी से हमला किया। शेट्टी को गंभीर अवस्था में ए.जे. अस्पताल ले जाया गया, जहां उन्होंने दम तोड़ दिया।

यह हमला पूरी तरह सुनियोजित और निर्ममता की पराकाष्ठा को छूता प्रतीत होता है। पुलिस ने बजपे थाने में मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है और हत्यारों की तलाश के लिए कई टीमें गठित कर दी गई हैं।

हत्या के बाद का माहौल: शहर में दहशत और निषेधाज्ञा

सुवास शेट्टी की हत्या के बाद मंगलुरु शहर में हालात तेजी से बिगड़ने लगे। हिंसा की आशंका को देखते हुए शहर के पुलिस आयुक्त अनुपम अग्रवाल ने भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNS) की धारा 163 के तहत सार्वजनिक सभा, प्रदर्शन, और भड़काऊ गतिविधियों पर पूर्ण रोक लगाते हुए निषेधाज्ञा लागू कर दी है। ये प्रतिबंध 6 मई तक प्रभावी रहेंगे।

वहीं, विश्व हिंदू परिषद और अन्य हिंदू संगठनों ने शुक्रवार को दक्षिण कन्नड़ जिले में बंद का आह्वान किया। इस दौरान हम्पनकट्टा, सूरतकल, उल्लाल और पुत्तूर जैसे क्षेत्रों में व्यापक बंद देखा गया। केएसआरटीसी और निजी बसों पर पथराव की घटनाएं भी सामने आईं, जिसके बाद उपनगरीय क्षेत्रों से बस सेवाएं स्थगित कर दी गईं। संवेदनशील इलाकों में शराब की बिक्री पर भी रोक लगा दी गई।

सियासत गरमाई, सीबीआई जांच की मांग

हत्या के बाद राज्य की राजनीति में भी उबाल आ गया है। भाजपा नेताओं ने इस हत्याकांड को सांप्रदायिक चश्मे से देखने की कोशिश करते हुए इसे हिंदू नेताओं को टारगेट करने की साजिश बताया है। उन्होंने केंद्र सरकार से मामले की सीबीआई या एनआईए जांच की मांग की है। वहीं कांग्रेस और अन्य दलों ने इसे कानून-व्यवस्था की विफलता करार दिया है और राज्य सरकार से जवाबदेही की मांग की है।

सांप्रदायिक तनाव और कानून व्यवस्था पर गंभीर सवाल

सुवास शेट्टी की हत्या सिर्फ एक व्यक्ति की मौत नहीं, बल्कि कर्नाटक के तटीय इलाकों में पल-पल बढ़ते धार्मिक ध्रुवीकरण और प्रतिशोध की संस्कृति की भयावह तस्वीर पेश करती है। फाज़िल और प्रवीण नेत्तरू की हत्याएं पहले ही इलाके में भय का माहौल बना चुकी थीं, और अब सुवास की हत्या ने इस भय को और गहरा कर दिया है।

प्रशासन पर एक बार फिर यह सवाल खड़ा हो गया है कि क्या वह इन सिलसिलेवार हत्याओं को रोकने में सक्षम है? क्या यह सिर्फ अपराध है या धार्मिक और राजनीतिक टकराव का नतीजा?

आगे क्या?

मंगलुरु और दक्षिण कन्नड़ जिला आज एक बार फिर नफरत की राजनीति का शिकार बन गया है। सुवास शेट्टी की हत्या के बाद जिस तरह से बंद, हिंसा, और राजनीतिक प्रतिक्रियाएं सामने आई हैं, उससे साफ है कि यह मामला जल्द शांत नहीं होगा। पुलिस और प्रशासन की ज़िम्मेदारी अब केवल दोषियों को पकड़ना ही नहीं, बल्कि समाज में भरोसे और शांति का माहौल बहाल करना भी है।


निष्कर्ष
सुवास शेट्टी की हत्या ने एक बार फिर दिखा दिया है कि तटीय कर्नाटक एक संवेदनशील क्षेत्र है, जहां राजनीति, धर्म और अपराध का घातक मिश्रण समाज की जड़ों को खोखला कर रहा है। यह वक्त है जब सरकार और समाज दोनों को आत्ममंथन करना होगा—वरना कल किसी और का नाम सुर्खियों में होगा।

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