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पहलगाम आतंकी हमले पर भाजपा सांसद राम चंदर जांगड़ा का विवादास्पद बयान: "महिलाओं में नहीं थी योद्धा भावना", बाद में दी सफाई और माफी


क्या महिलाएं दोषी हैं या असंवेदनशील राजनीति?

नई दिल्ली / भिवानी, 25 मई 2025 — जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले को लेकर हरियाणा से भाजपा राज्यसभा सांसद राम चंदर जांगड़ा ने एक विवादास्पद टिप्पणी कर दी, जिसके बाद राजनीतिक गलियारों में भूचाल आ गया है। उन्होंने कहा कि अगर पीड़ित पर्यटक ‘अग्निवीर प्रशिक्षण’ ले चुके होते और महिलाएं “योद्धा भावना” से ओतप्रोत होतीं, तो आतंकी हमले में इतनी जानें नहीं जातीं।

उनके इस बयान को न सिर्फ राजनीतिक दलों ने बल्कि सामाजिक संगठनों और आम नागरिकों ने भी ‘असंवेदनशील’, ‘स्त्री-विरोधी’ और ‘निंदनीय’ बताया है। विरोध बढ़ता देख, सांसद जांगड़ा ने सफाई देते हुए कहा कि “उनके बयान को तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया”, और अगर किसी की भावनाएं आहत हुई हों तो वे माफी मांगने को तैयार हैं



बयान का पूरा संदर्भ: क्या कहा जांगड़ा ने?

यह विवाद 24 मई को भिवानी में आयोजित अहिल्याबाई होल्कर जयंती कार्यक्रम के दौरान शुरू हुआ। यहां बोलते हुए 75 वर्षीय राम चंदर जांगड़ा ने कहा:

“अगर हमारे पर्यटक मोदी जी के ‘अग्निवीर प्रशिक्षण’ को अपनाते, तो वे तीन आतंकवादियों को घेर सकते थे और उनमें से कुछ को मार सकते थे। हमारे वीर शहीदों की पत्नियाँ, यदि अहिल्याबाई की तरह इतिहास पढ़ी होतीं, तो folded hands से जान की भीख न माँगतीं बल्कि मरते-मरते भी लड़ाई करतीं।”

उन्होंने अफसोस जताया कि "हमें हमारा गौरवशाली इतिहास नहीं पढ़ाया गया, बल्कि एक ही गांधी परिवार का इतिहास पढ़ाया गया।"


विपक्ष का तीखा पलटवार: 'बयान शर्मनाक और स्त्रीविरोधी'

भाजपा सांसद के इस बयान पर विपक्ष ने तीखी प्रतिक्रिया दी। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने ‘X’ (पूर्व ट्विटर) पर लिखा:

“प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस शर्मनाक बयान के लिए माफी मांगनी चाहिए और सांसद राम चंदर जांगड़ा को पार्टी से बर्खास्त करना चाहिए। भाजपा नेताओं की यह प्रवृत्ति हमारे शहीदों और उनकी वीरांगनाओं का अपमान है।”

समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा:

“यह बयान इतना घिनौना और अमानवीय है कि 'निंदनीय' शब्द भी इसके लिए छोटा पड़ जाए। यह भाजपा की स्त्री-विरोधी मानसिकता को उजागर करता है।”

 


भाजपा सांसद की सफाई: “मेरे शब्दों को गलत ढंग से प्रस्तुत किया गया”

विवाद के बाद जांगड़ा ने एक चार मिनट की वीडियो क्लिप जारी कर सफाई दी। उन्होंने कहा:

“मैंने कहा कि अगर हमें हमारे वीरों का इतिहास पढ़ाया जाता, तो हमारी बहनें भी उस वक्त आतंकियों का मुकाबला करतीं। मैं महिलाओं को कायर नहीं मानता। हमारी बहनें बहुत बहादुर हैं, उनमें रानी लक्ष्मीबाई और अहिल्याबाई होल्कर की भावना है, बस उसे जगाने की जरूरत है।”

उन्होंने यह भी कहा कि अगर किसी को उनके बयान से ठेस पहुंची हो, तो वे खेद प्रकट करते हैं।


राजनीतिक संदर्भ: अग्निवीर योजना को आगे बढ़ाने की कोशिश या महिला शक्ति का अपमान?

इस बयान को प्रधानमंत्री मोदी द्वारा प्रस्तावित अग्निवीर योजना से जोड़कर देखा जा रहा है, जिसमें युवाओं को स्वदेशी सैन्य प्रशिक्षण देने की योजना है। लेकिन इस योजना की आड़ में शहीदों की विधवाओं की बहादुरी पर सवाल उठाना क्या उचित है?

यह बयान उस समय आया है जब देश पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले की त्रासदी से अब तक उबर नहीं पाया है। इस हमले में 26 निर्दोष लोग मारे गए, जिनमें अधिकांश पर्यटक थे और कई महिलाएं भी थीं।


स्त्री शक्ति पर प्रश्नचिन्ह या महिला सशक्तिकरण की जरूरत?

यह सवाल अब आम जनता के बीच भी गूंज रहा है कि क्या आतंकियों के सामने असहाय महिलाओं का अपमान करना, उन्हें “योद्धा भावना” से रहित कहना, सही है? या यह वक्त है महिलाओं को आत्मरक्षा और साहस की शिक्षा देने का, बिना उनकी वर्तमान पीड़ा का मज़ाक उड़ाए?


निष्कर्ष: क्या राजनीति में संवेदनशीलता की कमी है?

राम चंदर जांगड़ा का यह बयान भारत की राजनीति में सहानुभूति, संवेदना और ज़िम्मेदारी की कमी को दर्शाता है। विपक्ष इसे सत्ता के नशे में चूर 'स्त्रीविरोधी मानसिकता' बता रहा है, जबकि भाजपा की ओर से अब तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है।

शायद यह वक्त है जब नेताओं को समझना चाहिए कि आतंकवाद के शिकार लोगों का अपमान करना नहीं, बल्कि उनका समर्थन करना ही एक सच्चे जनसेवक की पहचान है।

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