लेखक: Z.S. Razzaqi | 25 मई 2025
भूमिका: एक हमले के जवाब में एकजुटता और दृढ़ संकल्प
22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए क्रूर आतंकवादी हमले ने पूरे भारत को झकझोर कर रख दिया। इस हमले में 26 निर्दोष लोगों की जान चली गई, जिनमें अधिकांश पर्यटक थे। भारत ने इस आतंकी हमले के जवाब में "ऑपरेशन सिंदूर" नामक सैन्य कार्रवाई शुरू की, जिसने वैश्विक स्तर पर ध्यान खींचा। इस घटनाक्रम के बीच, कांग्रेस सांसद और वरिष्ठ राजनयिक डॉ. शशि थरूर अमेरिका दौरे पर थे, जहाँ उन्होंने भारतीय प्रतिक्रिया, आतंकवाद और राष्ट्रीय एकता पर विस्तृत टिप्पणी की।
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“मैं सरकार में नहीं हूँ, लेकिन देश के साथ हूँ” — शशि थरूर
न्यूयॉर्क स्थित भारतीय वाणिज्य दूतावास में बोलते हुए, थरूर ने स्पष्ट किया कि भले ही वे सरकार का हिस्सा नहीं हैं, लेकिन भारत की प्रतिक्रिया उचित और आवश्यक थी। उन्होंने कहा:
“मैं सरकार में नहीं हूँ, जैसा कि आप जानते हैं। मैं विपक्ष की पार्टी से हूँ, लेकिन मैंने भारत के प्रमुख समाचार पत्र में एक लेख लिखा था, जिसमें मैंने कहा था कि अब समय आ गया है कि भारत को सटीक और निर्णायक कार्रवाई करनी चाहिए — और मुझे खुशी है कि भारत ने वैसा ही किया।”
भारत की संगठित प्रतिक्रिया: आतंकवाद के विरुद्ध स्पष्ट संदेश
थरूर ने इस बात पर ज़ोर दिया कि भारत ने "ठोस, स्मार्ट और सटीक" जवाब दिया, जिससे दुनिया को यह संदेश गया कि आतंकवाद को अब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने बताया कि ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान और पाकिस्तान-ऑक्यूपाइड कश्मीर (PoK) में नौ प्रमुख आतंकवादी ठिकानों को निशाना बनाया गया, जिनमें लश्कर-ए-तैयबा का मुरिदके स्थित अड्डा और जैश-ए-मोहम्मद का बहावलपुर मुख्यालय शामिल थे।
“भारत ने यह दिखाया कि वह आतंक के सामने झुकेगा नहीं। लेकिन साथ ही उसने यह भी स्पष्ट किया कि यह कोई युद्ध की शुरुआत नहीं थी, बल्कि एक संतुलित प्रतिशोध था। यदि पाकिस्तान प्रतिक्रिया नहीं करता, तो भारत भी यहीं रुक जाएगा।”
एकता का प्रतीक बना आतंकवादी हमला
थरूर ने इस आतंकी हमले की ‘विभाजनकारी मंशा’ की निंदा करते हुए कहा कि—
“इस हमले का उद्देश्य भारत को बाँटना था, लेकिन इसके विपरीत, इसने देश को पहले से कहीं अधिक जोड़ा। धर्म या क्षेत्रीयता जैसी विभाजक रेखाएँ मिटती दिखीं और पूरे भारत में एक असाधारण एकजुटता देखने को मिली।”
उन्होंने यह भी कहा कि भारत को इस हमले के पीछे किसका हाथ है, इसमें कोई भ्रम नहीं है।
9/11 मेमोरियल से संदेश: आतंक कहीं का भी हो, अस्वीकार्य है
शशि थरूर ने अपने अमेरिकी दौरे के दौरान 9/11 मेमोरियल का दौरा भी किया। वहाँ उन्होंने अमेरिका में हुए सबसे बड़े आतंकी हमले और भारत में निरंतर जारी पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद के बीच समानता पर प्रकाश डाला।
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“हम दुनिया को यह बताना चाहते हैं कि भारत आतंकवाद को बिल्कुल भी स्वीकार नहीं करेगा — चाहे वो हमारे देश में हो या कहीं और। 9/11 की तरह, पहलगाम भी एक ‘wake-up call’ है।”
ऑपरेशन सिंदूर में भारत की सैन्य तैयारी का प्रदर्शन
भारत की ओर से 7 मई को तड़के शुरू किया गया ऑपरेशन सिंदूर, न केवल बदले की कार्यवाही थी बल्कि यह देश की सैन्य रणनीतिक क्षमता और सटीकता का भी प्रतीक बना। थरूर ने इसे “कैलिब्रेटेड स्ट्राइक” की संज्ञा दी और स्पष्ट किया कि यह किसी युद्ध की शुरुआत नहीं थी, बल्कि एक सीमित और चेतावनीपूर्ण कार्रवाई थी।
बहुपक्षीय प्रतिनिधिमंडल: भारतीय लोकतंत्र की सामूहिक आवाज़
इस दौरे में थरूर के साथ विभिन्न दलों के सांसद शामिल थे — बीजेपी से तेजस्वी सूर्या और भुवनेश्वर कलीता, जेएमएम से सरफराज अहमद और टीडीपी से गंती हरीश मधुर। यह प्रतिनिधिमंडल बताता है कि आतंकवाद के मुद्दे पर भारत में राजनीतिक मतभेद भले हों, लेकिन राष्ट्रीय सुरक्षा और आतंकवाद के विरुद्ध संघर्ष में एकजुटता अडिग है।
निष्कर्ष: भारत बदलेगा नहीं, डटेगा
शशि थरूर की टिप्पणियाँ यह दर्शाती हैं कि भारत अब आतंकवादी हमलों के आगे झुकेगा नहीं। न सरकार और न ही विपक्ष — इस बार पूरा देश एक साथ खड़ा है। पाकिस्तान को साफ संदेश मिल चुका है: भारत अब केवल सहन नहीं करेगा, वह कार्रवाई करेगा — और वह भी सटीक, सीमित लेकिन असरदार ढंग से।