उत्तर प्रदेश के संभल जिले में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के पश्चिमी उत्तर प्रदेश क्षेत्रीय उपाध्यक्ष राजेश सिंघल और उनके भाई कपिल सिंघल पर एक के बाद एक गंभीर आपराधिक आरोप सामने आ रहे हैं। इन आरोपों में महिलाओं से मारपीट, संपत्ति विवाद में धमकी, चोरी के वाहनों की कटाई, और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नाम का दुरुपयोग जैसे संगीन मामले शामिल हैं। इन घटनाओं ने स्थानीय प्रशासन और जनता के बीच चिंता का माहौल पैदा कर दिया है।
🟥 महिला से मारपीट और धमकी का मामला
22 जुलाई 2024 को थाना नखासा क्षेत्र की निवासी बुशरा परवीन ने शिकायत दर्ज कराई कि वह अपने पति सऊद के साथ एसडीएम कार्यालय गई थीं, जहां कपिल सिंघल ने अपने साथियों के साथ उनके पति से गाली-गलौज और मारपीट की। जब बुशरा ने बीच-बचाव की कोशिश की, तो उनके साथ भी मारपीट की गई। आसपास के लोगों के आने पर आरोपी धमकी देकर फरार हो गए। पुलिस ने इस मामले में रिपोर्ट दर्ज कर ली है और जांच जारी है।
🟥 चोरी के वाहनों की कटाई का मामला
18 अप्रैल 2025 को कैला देवी थाना क्षेत्र के रजैदा गांव में स्थित एक स्क्रैप फैक्ट्री पर पुलिस ने छापा मारा, जहां चोरी के वाहनों को काटा जा रहा था। यह फैक्ट्री आरआर एंड आर मैनटेक प्राइवेट लिमिटेड के नाम से पंजीकृत है, जिसके मालिक कपिल सिंघल हैं। पुलिस ने मौके से कई चोरी के वाहन और उनके पुर्जे बरामद किए। कपिल सिंघल से जब इस बारे में पूछताछ की गई, तो उन्होंने संतोषजनक उत्तर नहीं दिया और दावा किया कि फैक्ट्री और जमीन उनके नाम पर नहीं है। (OpIndia)
🟥 मुख्यमंत्री के नाम का दुरुपयोग और फर्जी दस्तावेज़
संबंधित रिपोर्टों के अनुसार, कपिल सिंघल ने अपने पूर्व व्यापारिक साझेदार विपुल गुप्ता पर दबाव बनाने के लिए एक गिरोह को ₹30,000 की राशि दी, जिसने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के हस्ताक्षर और मुहर की नकल कर फर्जी दस्तावेज़ तैयार किए। इस गिरोह ने खुद को गोरखपुर मठ के अधिकारी बताकर विपुल गुप्ता की पत्नी को फोन कर धमकी दी। पुलिस ने इस मामले में तीन लोगों को गिरफ्तार किया है और जांच जारी है।
🟥 संपत्ति विवाद और धोखाधड़ी के अन्य मामले
कपिल सिंघल पर उनके पूर्व साझेदार विपुल गुप्ता ने संपत्ति हड़पने, जालसाजी, धमकी देने और फर्जी मुकदमा दर्ज कराने जैसे संगीन आरोप लगाए हैं। पुलिस ने कपिल सिंघल और अन्य 12 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है। यह मामला 13 दिसंबर 2022 की एक घटना से जुड़ा है, जिसमें विपुल गुप्ता के स्कूटर से महत्वपूर्ण दस्तावेज़ चोरी हो गए थे। बाद में इन दस्तावेज़ों का दुरुपयोग कर कपिल सिंघल और उनके सहयोगियों ने विपुल गुप्ता के खिलाफ फर्जी मुकदमे दर्ज कराए। (Live Hindustan)
🟥 कानूनी कार्यवाही और न्यायालय की भूमिका
कपिल सिंघल ने इन मामलों में राहत पाने के लिए इलाहाबाद उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी, जिसमें उन्होंने एफआईआर को रद्द करने की मांग की थी। हालांकि, न्यायालय ने एफआईआर को रद्द करने से इनकार कर दिया और केवल गिरफ्तारी से सुरक्षा प्रदान की। न्यायालय ने पुलिस को सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुसार गिरफ्तारी की प्रक्रिया का पालन करने का आदेश दिया।
निष्कर्ष
संभल में भाजपा नेता राजेश सिंघल और उनके भाई कपिल सिंघल पर लगे ये गंभीर आरोप न केवल कानून व्यवस्था के लिए चुनौती हैं, बल्कि राजनीतिक नैतिकता पर भी सवाल उठाते हैं। स्थानीय प्रशासन और न्यायपालिका को निष्पक्ष और कठोर कार्रवाई करनी चाहिए ताकि कानून का राज स्थापित हो और आम जनता का विश्वास बना रहे।
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