पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन (उम्र 82) को प्रोस्टेट कैंसर का एक बेहद आक्रामक रूप पाया गया है, जो अब उनकी हड्डियों तक फैल चुका है। यह जानकारी रविवार को उनके कार्यालय द्वारा जारी एक आधिकारिक बयान में दी गई।
बाइडन, जिन्होंने जनवरी 2025 में राष्ट्रपति पद छोड़ा था, पिछले हफ्ते पेशाब से संबंधित समस्याओं के चलते डॉक्टर के पास गए थे। शुक्रवार को जांच के बाद उनके कैंसर की पुष्टि हुई। डॉक्टरों के अनुसार, यह "हाई ग्रेड" प्रोस्टेट कैंसर है, जिसमें Gleason स्कोर 9/10 पाया गया है। यह स्कोर बताता है कि यह कैंसर अत्यधिक आक्रामक है और तेजी से शरीर के अन्य हिस्सों में फैल सकता है।
🧬 बीमारी की प्रकृति और संभावित इलाज
बाइडन के कैंसर को "हॉर्मोन-सेंसिटिव" बताया गया है, जिसका अर्थ है कि यह बीमारी हॉर्मोनल थेरेपी द्वारा काफी हद तक नियंत्रित की जा सकती है। उनके कार्यालय ने यह भी स्पष्ट किया कि फिलहाल उपचार विकल्पों पर विचार चल रहा है। हालांकि बीमारी का रूप गम्भीर है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि उचित उपचार से इसे काफी समय तक नियंत्रित रखा जा सकता है।
डॉ. विलियम डाहट, अमेरिकन कैंसर सोसाइटी के चीफ साइंटिफिक ऑफिसर ने बीबीसी को बताया:
“जब प्रोस्टेट कैंसर हड्डियों तक फैल जाता है, तब इसे पूरी तरह से ठीक कर पाना मुश्किल होता है। लेकिन अधिकतर मरीज शुरुआत में इलाज का अच्छी तरह से जवाब देते हैं और कई सालों तक सामान्य जीवन जी सकते हैं।”
🗣️ राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रियाएँ
जो बाइडन की बीमारी की खबर सामने आते ही देश-विदेश से संवेदनाएँ और शुभकामनाएँ आने लगीं:
-
डोनाल्ड ट्रम्प ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म Truth Social पर लिखा:
“जो बाइडन की स्वास्थ्य स्थिति के बारे में सुनकर हमें दुख हुआ। हम उनके और उनके परिवार के लिए प्रार्थना करते हैं और उनके शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करते हैं।”
-
कमला हैरिस, जो बाइडन के उपराष्ट्रपति के रूप में कार्य कर चुकी हैं, ने कहा:
“जो एक योद्धा हैं, उन्होंने हमेशा चुनौतियों का डटकर सामना किया है। हमें भरोसा है कि वह इस कठिन समय को भी साहस और आशा से पार करेंगे।”
-
बराक ओबामा, जिनके साथ बाइडन ने उपराष्ट्रपति के तौर पर कार्य किया था, ने कहा:
“जो ने कैंसर के खिलाफ लड़ाई में अभूतपूर्व योगदान दिया है। हमें पूरा भरोसा है कि वो इस बीमारी से भी मजबूती से लड़ेंगे। मिशेल और मैं उनके लिए प्रार्थना कर रहे हैं।”
-
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टारमर ने भी संवेदना व्यक्त करते हुए कहा:
“जो बाइडन और उनके परिवार को शुभकामनाएँ – हम उनके शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करते हैं।”
🩺 स्वास्थ्य, राजनीति और जीवन के मोड़
यह ख़बर ऐसे समय पर आई है जब जो बाइडन ने पिछले साल स्वास्थ्य और उम्र संबंधी चिंताओं के कारण 2024 के राष्ट्रपति चुनाव की दौड़ से हटने का फैसला किया था। डेमोक्रेटिक पार्टी की ओर से फिर उपराष्ट्रपति कमला हैरिस को उम्मीदवार बनाया गया।
बाइडन अमेरिकी इतिहास में सबसे बुजुर्ग राष्ट्रपति रहे हैं। पिछले वर्षों में उनकी सार्वजनिक उपस्थिति कम होती गई थी, और उन्होंने अधिकतर समय परिवार और निजी जीवन के साथ बिताया।
🔬 कैंसर के खिलाफ बाइडन की मुहिम और व्यक्तिगत त्रासदी
जो बाइडन कैंसर के खिलाफ लड़ाई में अग्रणी भूमिका निभा चुके हैं। वर्ष 2016 में, बराक ओबामा ने उन्हें “कैंसर मूनशॉट” प्रोजेक्ट का नेतृत्व सौंपा था – जिसका उद्देश्य व्यापक शोध और उपचार के नए रास्ते खोजना था।
2022 में, बाइडन दंपति ने इस पहल को दोबारा शुरू किया, और वर्ष 2047 तक 4 मिलियन कैंसर से होने वाली मौतों को रोकने का लक्ष्य रखा।
यह संघर्ष उनके लिए व्यक्तिगत भी रहा है – बाइडन ने अपने सबसे बड़े बेटे ब्यू बाइडन को 2015 में ब्रेन कैंसर से खो दिया था। यही वजह है कि कैंसर के खिलाफ उनकी लड़ाई सिर्फ राजनीतिक नहीं, बल्कि गहरे व्यक्तिगत स्तर पर भी जुड़ी हुई है।
📉 प्रोस्टेट कैंसर: एक व्यापक रोग
-
अमेरिका में प्रोस्टेट कैंसर पुरुषों में त्वचा कैंसर के बाद दूसरा सबसे सामान्य कैंसर है।
-
CDC के अनुसार, हर 100 में से 13 पुरुषों को यह कैंसर होता है, और उम्र इसका सबसे बड़ा जोखिम कारक है।
-
यदि समय रहते इसका पता चल जाए, तो इसे काफी हद तक काबू में लाया जा सकता है।
📺 हाल के सार्वजनिक कार्यक्रम और इंटरव्यू
-
अप्रैल में जो बाइडन ने शिकागो में Advocates, Counselors, and Representatives for the Disabled सम्मेलन में मुख्य भाषण दिया।
-
मई में उन्होंने BBC को इंटरव्यू देते हुए स्वीकार किया कि 2024 की दौड़ से हटना एक "कठिन फैसला" था।
-
“The View” कार्यक्रम में उन्होंने यह स्पष्ट किया कि उन्हें किसी तरह की मानसिक कमजोरी नहीं है और "ऐसी बातों का कोई आधार नहीं है।"
🔚 निष्कर्ष: एक नई चुनौती, एक पुराना योद्धा
जो बाइडन के जीवन में यह एक और बड़ा मोड़ है – पर वह पहले भी कई बार दर्द, हानि और विपरीत परिस्थितियों से निकल चुके हैं। कैंसर उनके लिए नया नहीं है, लेकिन इस बार चुनौती उनकी अपनी है।
उनका यह संघर्ष न केवल चिकित्सा और विज्ञान की दिशा में दुनिया का ध्यान केंद्रित करेगा, बल्कि यह एक बार फिर दर्शाएगा कि नेतृत्व केवल सत्ता में होने का नाम नहीं, बल्कि कठिन समय में उम्मीद और हिम्मत बनकर खड़े रहने का नाम है।
ये भी पढ़े
2 -प्रीमियम डोमेन सेल -लिस्टिंग