उर्दू शायरी
उर्दू शायरी एक ऐसी साहित्यिक कला है जो अपनी गहराई, नज़ाकत और शिद्दत के लिए मशहूर है। यह एक ऐसा गुलदस्ता है जिसमें इश्क़-ओ-मुहब्बत, हिज्र-ओ-फ़िराक़, समाजी ना-इंसाफ़ी और इंक़िलाबी जज़्बात के रंग-बिरंगे फूल खिले हैं। हर दौर के शायर ने अपनी कलम से इस गुलदस्ते को और भी मुकम्मल और नायाब बनाया है। उर्दू शायरी ने न केवल भारतीय उपमहाद्वीप की तहज़ीब को समृद्ध किया है, बल्कि विश्व साहित्य में भी अपनी एक अलग पहचान बनाई है।
उर्दू शायरी का इतिहास और अहमियत
उर्दू शायरी का सफ़र सैकड़ों साल पुराना है। यह फ़ारसी, अरबी और हिंदवी भाषाओं के मेल से वजूद में आई। मुग़ल दौर में उर्दू शायरी ने अपनी पहचान बनाई और धीरे-धीरे यह आम लोगों की ज़बान बन गई। शायरी ने न केवल इश्क़ और मुहब्बत को अभिव्यक्ति दी, बल्कि समाज के सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक मसाइल को भी उजागर किया। शायरों ने अपनी कलम से समाज की बुराइयों को चुनौती दी और इंसानियत के लिए संघर्ष का पैग़ाम दिया।
उर्दू शायरी के सितारे
1. **मीर तक़ी मीर (1723-1810)**
मीर तक़ी मीर को उर्दू शायरी का "ख़ुदा-ए-सुख़न" कहा जाता है। वह उर्दू ग़ज़ल के बादशाह थे और उनकी शायरी में दर्द और मुहब्बत का गहरा एहसास होता है। उनकी शायरी ने उर्दू साहित्य को एक नई ऊंचाई दी। उनके अशआर में जीवन के दर्द और विरह की अभिव्यक्ति साफ़ झलकती है।
**मशहूर अशआर:**
- "देख तो दिल के जां से उठता है, ये धुआं सा कहाँ से उठता है।"
- "ज़िंदगी अपनी तमाम उम्र रोई, हम जहाँ में आए हँसे थोड़ी दूर।"
2. **मिर्ज़ा ग़ालिब (1797-1869)**
मिर्ज़ा ग़ालिब उर्दू शायरी के सबसे बड़े नामों में से एक हैं। उनकी शायरी में फलसफा, तसव्वुफ़ और ज़िंदगी की गहराई का बयान है। ग़ालिब ने अपनी शायरी के ज़रिए इंसानी ज़िंदगी के हर पहलू को छुआ है।
**मशहूर अशआर:**
- "हज़ारों ख़्वाहिशें ऐसी, कि हर ख़्वाहिश पे दम निकले,
बहुत निकले मेरे अरमान, मगर फिर भी कम निकले।"
"दिल-ए-नादाँ तुझे हुआ क्या है,
आख़िर इस दर्द की दवा क्या है।"
3. **अल्लामा इक़बाल (1877-1938)**
अल्लामा इक़बाल एक मशहूर शायर, फ़िलॉसफ़र और मुस्लिम विचारक थे। उनकी शायरी में ख़ुदी, इंक़िलाब और इस्लामी सोच का बयान है। इक़बाल ने अपनी शायरी के ज़रिए युवाओं को जागृत करने का काम किया।
**मशहूर अशआर:**
सितारों से आगे जहाँ और भी हैं
अभी इश्क़ के इम्तिहाँ और भी हैं
सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्ताँ हमारा
हम बुलबुलें हैं इस की ये गुलसिताँ हमारा
4. **फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ (1911-1984)**
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ उर्दू शायरी के एक अहम नाम हैं। उनकी शायरी में इश्क़, इंक़िलाब और समाजी ना-इंसाफ़ी का बयान है। फ़ैज़ ने अपनी शायरी के ज़रिए समाज के शोषित वर्ग की आवाज़ उठाई।
**मशहूर अशआर:**
सुना है लोग उसे आँख भर के देखते हैं
सो उस के शहर में कुछ दिन ठहर के देखते हैं
हम देखेंगें
लाज़िम है कि हम भी देखेंगें
जो लोह-ए-अज़ल पे लिखा है
वो दिन कि जिसका वादा है
हम देखेंगें
5. **साहिर लुधियानवी (1921-1980)**
साहिर लुधियानवी एक मशहूर शायर और गीतकार थे। उनकी शायरी में इश्क़, मुहब्बत और समाजी मसाइल का बयान है। साहिर ने अपनी शायरी के ज़रिए समाज की कुरीतियों को चुनौती दी।
**मशहूर अशआर:**
मैं ज़िंदगी का साथ निभाता चला गया
हर फ़िक्र को धुएँ में उड़ाता चला गया
कभी कभी मिरे दिल में ख़याल आता है
कि ज़िंदगी तिरी ज़ुल्फ़ों की नर्म छाँव में
6. **जोश मलीहाबादी (1898-1982)**
जोश मलीहाबादी को "शायर-ए-इंक़िलाब" कहा जाता है। उनकी शायरी में इंक़िलाब, जज़्बात और क़ौमी सोच का बयान है। जोश ने अपनी शायरी के ज़रिए युवाओं को संघर्ष के लिए प्रेरित किया।
**मशहूर अशआर:**
जब से मरने की जी में ठानी है
किस क़दर हम को शादमानी है
ये बात ये तबस्सुम ये नाज़ ये निगाहें
आख़िर तुम्हीं बताओ क्यूँकर न तुम को चाहें
7. **अहमद फ़राज़ (1931-2008)**
अहमद फ़राज़ आधुनिक उर्दू शायरी के एक अहम नाम हैं। उनकी शायरी में इश्क़, इंक़िलाब और समाजी ना-इंसाफ़ी का बयान है। फ़राज़ ने अपनी शायरी के ज़रिए समाज के शोषित वर्ग की आवाज़ उठाई।
**मशहूर अशआर:**
सुना है लोग उसे आँख भर के देखते हैं
सो उस के शहर में कुछ दिन ठहर के देखते हैं
सुना है रब्त है उस को ख़राब-हालों से
सो अपने आप को बरबाद कर के देखते हैं
8. **परवीन शाकिर (1952-1994)**
पर्वीन शाकिर आधुनिक उर्दू शायरी की एक मशहूर शायरा थीं। उनकी शायरी में इश्क़, मुहब्बत और औरत की ज़िंदगी के तजुर्बे का बयान है।
**मशहूर अशआर:**
बहुत रोया वो हम को याद कर के
हमारी ज़िंदगी बरबाद कर के
अब भला छोड़ के घर क्या करते
शाम के वक़्त सफ़र क्या करते
निष्कर्ष :-
उर्दू शायरी एक ऐसी कला है जो इंसानी ज़िंदगी के हर पहलू को छूती है। यह न केवल इश्क़ और मुहब्बत का बयान करती है, बल्कि समाज की बुराइयों को चुनौती देती है और इंसानियत के लिए संघर्ष का संदेश देती है। मीर, ग़ालिब, इक़बाल, फ़ैज़, साहिर, जोश, फ़राज़ और परवीन जैसे शायरों ने उर्दू शायरी को एक नई ऊंचाई दी है। उर्दू शायरी की यह विरासत आज भी हमें प्रेरणा देती है और हमारी संस्कृति को समृद्ध करती है। यह सिर्फ़ एक भाषा नहीं, बल्कि एक जज़्बा है, एक तहज़ीब है, और एक तारीख़ है जो हमेशा ज़िंदा रहेगी।
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