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ट्रंप की AI महत्वाकांक्षा और चीन का डीपसीक: पेरिस AI समिट पर हावी

पेरिस, 9 फरवरी 2025  – फ्रांस में एक प्रमुख शिखर सम्मेलन में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) की वैश्विक राजनीति केंद्र बिंदु बनी हुई है, जहां विश्व नेता, टेक उद्योग के दिग्गज और विशेषज्ञ इस तेज़ी से विकसित हो रही तकनीक के दिशा-निर्देश तय करने के लिए एकजुट हो रहे हैं।

इस वैश्विक संवाद का यह नवीनतम संस्करण ऐसे समय में हो रहा है जब चीन का किफायती और चर्चित डीपसीक चैटबॉट उद्योग में हलचल मचा रहा है।

अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वांस – जो पदभार संभालने के बाद अपनी पहली विदेश यात्रा पर हैं – 10 फरवरी से शुरू हो रहे पेरिस AI एक्शन समिट में भाग लेंगे। वहीं, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग अपने विशेष दूत को भेज रहे हैं, जिससे इस बैठक का महत्व और बढ़ जाता है।

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समिट के प्रमुख बिंदु

फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस दो दिवसीय सम्मेलन की मेज़बानी कर रहे हैं। इस आयोजन का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि AI का उपयोग मानवता के लाभ के लिए किया जाए और इसके संभावित खतरों को नियंत्रित किया जाए।

यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन, जर्मनी के चांसलर ओलाफ शोल्ज़, कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो, ओपनAI के CEO सैम ऑल्टमैन, माइक्रोसॉफ्ट के अध्यक्ष ब्रैड स्मिथ और गूगल के CEO सुंदर पिचाई सहित 80 देशों के अधिकारी और CEO इस समिट में भाग ले रहे हैं।

टेस्ला के CEO एलन मस्क, जिन्होंने 2023 में इंग्लैंड में आयोजित उद्घाटन शिखर सम्मेलन में भाग लिया था, और डीपसीक के संस्थापक लियांग वेनफेंग को भी आमंत्रित किया गया है, लेकिन उनके भाग लेने की पुष्टि नहीं हुई है।

सोमवार को ग्रैंड पैलेस में पैनल चर्चाओं और कार्यशालाओं के बाद, एलिसी प्रेसिडेंशियल पैलेस में वैश्विक नेताओं और CEO के लिए एक आधिकारिक रात्रिभोज आयोजित किया जाएगा। मंगलवार के समापन सत्र में नेताओं और कंपनियों के प्रमुखों के संबोधन होंगे।


AI समिट का महत्व

चैटजीपीटी के लॉन्च के दो साल बाद भी, जनरेटिव AI आश्चर्यजनक गति से विकसित हो रहा है। यह तकनीक, जो चैटबॉट्स को उच्च गुणवत्ता वाला टेक्स्ट, इमेज या वीडियो उत्पन्न करने और जटिल कार्य करने में सक्षम बनाती है, जीवन के कई क्षेत्रों को प्रभावित कर रही है।

2023 में यूके में आयोजित समिट के दौरान, 28 देशों ने AI से जुड़े जोखिमों को नियंत्रित करने के लिए एक गैर-बाध्यकारी संकल्प लिया था। इसके बाद, दक्षिण कोरिया में एक बैठक के दौरान AI सुरक्षा अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए सार्वजनिक संस्थानों के नेटवर्क की स्थापना पर सहमति बनी।

इस बार, पेरिस में होने वाले समिट में AI सुरक्षा के साथ-साथ अन्य विषयों पर भी चर्चा होगी। हालांकि, इस सम्मेलन से कोई बाध्यकारी नियमन लागू होने की संभावना नहीं है।

राष्ट्रपति मैक्रों के अनुसार, “यह सम्मेलन एक ऐसे समय में हो रहा है जब कई देश वैश्विक प्रतिस्पर्धा में अपनी स्थिति मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं। यह गेम के नियम तय करने का अवसर है। AI को वाइल्ड वेस्ट नहीं बनने दिया जा सकता।”


संभावित घोषणाएँ

समिट आयोजकों का लक्ष्य देशों को एक संयुक्त राजनीतिक घोषणा पर हस्ताक्षर करने के लिए सहमत कराना है, जिसमें AI के अधिक नैतिक, लोकतांत्रिक और पर्यावरणीय रूप से टिकाऊ विकास के लिए प्रतिबद्धताएँ शामिल होंगी। लेकिन अमेरिका की सहमति इस पर संदिग्ध बनी हुई है।

एक अन्य महत्वपूर्ण उद्देश्य एक सार्वजनिक-हित AI साझेदारी स्थापित करना है। पेरिस सरकार, व्यवसायों और परोपकारी संगठनों को मिलाकर 2.5 बिलियन यूरो ($2.6 बिलियन) जुटाने का प्रयास कर रही है, जिससे AI अनुसंधान को बढ़ावा देने और ‘विश्वसनीय’ AI डेवलपर्स को संसाधन उपलब्ध कराने की योजना है।

मैक्रों इस सम्मेलन के माध्यम से ध्यान इस बात पर केंद्रित करना चाहते हैं कि AI कैंसर और लॉन्ग COVID जैसी समस्याओं के समाधान में कैसे मदद कर सकता है, न कि केवल कंप्यूटिंग शक्ति की प्रतिस्पर्धा पर।

समिट के विशेष AI राजदूत मार्टिन टिस्ने ने कहा, “यह एक महत्वपूर्ण अवसर है कि हम यह तय करें कि AI के संभावित खतरों को कैसे रोका जाए और यह सुनिश्चित करें कि इसका उपयोग मानवता के कल्याण के लिए किया जाए।”


ट्रंप की AI रणनीति

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका को “कृत्रिम बुद्धिमत्ता की वैश्विक राजधानी” बनाने की इच्छा जताई है, जिसके लिए वह तेल और गैस संसाधनों का उपयोग AI के ऊर्जा संकट को हल करने के लिए करना चाहते हैं। साथ ही, उन्होंने पेरिस जलवायु समझौते से अमेरिका को फिर से हटाने और पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडेन के AI गार्डरेल्स को रद्द करने का निर्णय लिया है।

ट्रंप ने AI नीति को अमेरिकी नेतृत्व बनाए रखने के लिए पुनर्गठित किया है, जिसमें “वैचारिक पूर्वाग्रह मुक्त” AI सिस्टम बनाने और नियामक बाधाओं को कम करने पर जोर दिया गया है।

विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रंप की वैश्विक शासन प्रणाली के प्रति अस्वीकृति इस सम्मेलन के किसी भी संयुक्त बयान को कमजोर कर सकती है। यूरेशिया ग्रुप के वरिष्ठ विश्लेषक निक रेनर्स ने कहा, “AI सुरक्षा और विनियमन पर सहमति बनाना एक बात है, लेकिन समावेशिता, पर्यावरण और श्रम बाज़ार जैसे व्यापक मुद्दों पर वैश्विक सहमति बनाना कठिन होगा।”


चीन की भूमिका और डीपसीक का प्रभाव

चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग इस समिट में अपने विशेष प्रतिनिधि, उप प्रधानमंत्री झांग गुओकिंग को भेज रहे हैं। यह 2023 के ब्लेचली बैठक से एक बड़ा कदम है, जब चीन ने विज्ञान और प्रौद्योगिकी उप मंत्री को भेजा था। विशेषज्ञों के अनुसार, यह दर्शाता है कि ट्रंप के वैश्विक मंच से पीछे हटने के बीच चीन AI शासन में बड़ी भूमिका निभाना चाहता है।

चीन के डीपसीक चैटबॉट के हालिया लॉन्च ने AI उद्योग को चौंका दिया है, क्योंकि इसकी क्षमता पश्चिमी चैटजीपीटी जैसी प्रणालियों के समकक्ष मानी जा रही है। साथ ही, यह अमेरिका और चीन के बीच तकनीकी वर्चस्व की प्रतिस्पर्धा को भी तेज कर रहा है।

ट्रंप के AI सलाहकार डेविड सैक्स ने आरोप लगाया कि डीपसीक को OpenAI के डेटा पर प्रशिक्षित किया गया है। इस कारण अमेरिका और कुछ अन्य देशों में डीपसीक पर सुरक्षा और गोपनीयता जांच शुरू कर दी गई है।

फ्रांस इस समिट के जरिए AI के क्षेत्र में अमेरिका और चीन के प्रभुत्व के बीच अपनी स्थिति मजबूत करने की कोशिश कर रहा है। मैक्रों का लक्ष्य फ्रांसीसी स्टार्टअप मिस्त्राल को भी इस प्रतिस्पर्धा में स्थान दिलाना है।


निष्कर्ष:-

पेरिस AI समिट इस बात का संकेत है कि वैश्विक AI नेतृत्व को लेकर भू-राजनीतिक तनाव बढ़ रहा है। अमेरिका, चीन और यूरोप की विभिन्न रणनीतियाँ स्पष्ट रूप से इस सम्मेलन में परिलक्षित होंगी, जिससे AI के भविष्य को लेकर महत्वपूर्ण दिशा तय होने की संभावना है।

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