दिल्ली में एक नए राजनीतिक अध्याय की शुरुआत हो रही है। हाल ही में हुए विधानसभा चुनावों में आम आदमी पार्टी (AAP) को हराने के बाद, भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने राजधानी में अपनी सरकार बनाने की तैयारी पूरी कर ली है। आज, रामलीला मैदान में आयोजित होने वाले शपथ ग्रहण समारोह में बीजेपी की नेता रेखा गुप्ता मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगी। उनके साथ, छह वरिष्ठ भाजपा नेताओं को कैबिनेट मंत्री के रूप में शपथ दिलाई जाएगी।
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शपथ ग्रहण समारोह और कैबिनेट मंत्री
मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के साथ ही, रेखा गुप्ता की सरकार में परवेश वर्मा, कपिल मिश्रा, मंजींदर सिंह सिरसा, रविंद्र राज, आशीष सूद और पंकज सिंह को कैबिनेट मंत्री के रूप में शपथ दिलाई जाएगी।
भाजपा की ओर से यह निर्णय पहले ही तय कर लिया गया था और बुधवार को जारी आधिकारिक अधिसूचना में इन छह मंत्रियों के नामों की पुष्टि की गई।
दिल्ली में नई सरकार का गठन
बीजेपी ने इस बार दिल्ली विधानसभा चुनावों में एक ऐतिहासिक जीत दर्ज की, जिसमें पार्टी ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी को करारी शिकस्त दी। इस जीत के बाद, दिल्ली की सत्ता में एक नया समीकरण देखने को मिलेगा।
रेखा गुप्ता को मुख्यमंत्री के रूप में चुना गया, जबकि कई वरिष्ठ भाजपा नेताओं को कैबिनेट में शामिल किया गया। परवेश वर्मा, जो दिल्ली में भाजपा के प्रभावशाली जाट नेता माने जाते हैं, उन्होंने नई दिल्ली सीट से अरविंद केजरीवाल को हराकर शानदार जीत हासिल की। उनके नाम पर मुख्यमंत्री पद के लिए भी चर्चा थी, लेकिन पार्टी ने रेखा गुप्ता को इस भूमिका के लिए चुना।
कैबिनेट मंत्रियों की सूची और उनकी विधानसभा सीटें
- परवेश वर्मा - नई दिल्ली सीट से निर्वाचित, दिल्ली में भाजपा के जाट समुदाय के प्रमुख नेता।
- कपिल मिश्रा - करावल नगर सीट से जीत दर्ज की। वे पूर्व में आम आदमी पार्टी के नेता थे और भाजपा में शामिल होने के बाद महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।
- मंजींदर सिंह सिरसा - राजौरी गार्डन सीट से निर्वाचित, दिल्ली में सिख समुदाय के बड़े नेता।
- रविंद्र राज - बवाना सीट से निर्वाचित, दलित समुदाय के प्रमुख नेता।
- आशीष सूद - जनकपुरी सीट से जीतकर आए भाजपा के वरिष्ठ नेता।
- पंकज सिंह - विकासपुरी सीट से निर्वाचित, पार्टी के युवा और प्रभावशाली चेहरे में से एक।\
बीजेपी सरकार से दिल्लीवासियों की उम्मीदें
भाजपा की नई सरकार के सामने कई चुनौतियाँ और जिम्मेदारियाँ होंगी। दिल्ली में प्रदूषण नियंत्रण, जल आपूर्ति, शिक्षा, स्वास्थ्य और बुनियादी ढांचे को बेहतर बनाना प्रमुख एजेंडा होगा। इसके अलावा, नगर निगमों के साथ बेहतर तालमेल बिठाना और केंद्र सरकार की नीतियों को प्रभावी ढंग से लागू करना भी सरकार की प्राथमिकताओं में रहेगा।
कपिल मिश्रा और विवादित राजनीति
दिल्ली की नई कैबिनेट में कपिल मिश्रा का शामिल होना भी चर्चा का विषय बना हुआ है। जब वे आम आदमी पार्टी में थे, तब उन्होंने कोई भड़काऊ बयान नहीं दिया था, बल्कि नरेंद्र मोदी पर गंभीर आरोप लगाए थे। उन्होंने दिल्ली विधानसभा में नरेंद्र मोदी की कथित प्रेमिका सोनी सोरी से जुड़े दस्तावेज भी बांटे थे।
लेकिन आम आदमी पार्टी से निष्कासित होने और भाजपा में शामिल होने के बाद, उन्होंने लगातार भड़काऊ भाषण देने शुरू कर दिए। उन्होंने अपनी बयानबाजी से नफरत की राजनीति को बढ़ावा दिया और भाजपा में अपनी जगह बनाई। नफरत की राजनीति के आधार पर उन्होंने भाजपा का टिकट हासिल किया और अब दिल्ली कैबिनेट में भी स्थान बना लिया है।
बीजेपी को इस तरह की राजनीति से बचना चाहिए था। एक ओर नरेंद्र मोदी अरब देशों के शेखों को गले लगाते हैं, तो दूसरी ओर अपनी सरकारों में ऐसे नेताओं को शामिल करते हैं जो नफरत फैलाने में अग्रणी रहे हैं। इससे यह संदेश जाता है कि भाजपा में नफरत फैलाने वालों को सम्मानित किया जाता है और नफरत फैलाना ही भाजपा की नीति और मार्गदर्शक सिद्धांत है।
कम से कम भाजपा के वरिष्ठ नेताओं को इस पर विचार करना चाहिए कि पूरी दुनिया में उनकी छवि किस प्रकार बन रही है। भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था को बनाए रखने और विश्व मंच पर अपनी साख मजबूत करने के लिए भाजपा को नफरत की राजनीति से बचने की आवश्यकता है।
निष्कर्ष:-
दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी की सरकार के गठन से एक नया राजनीतिक परिदृश्य उभर रहा है। रेखा गुप्ता की मुख्यमंत्री के रूप में नियुक्ति और छह वरिष्ठ नेताओं की कैबिनेट में भागीदारी से भाजपा ने यह संदेश दिया है कि वह दिल्ली में स्थायी और प्रभावी शासन देने के लिए प्रतिबद्ध है। हालांकि, विवादास्पद चेहरों को शामिल करना भाजपा के लिए दीर्घकालिक रूप से नुकसानदायक साबित हो सकता है। अब देखना होगा कि यह नई सरकार दिल्ली की जनता की आकांक्षाओं को किस हद तक पूरा कर पाती है।
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