केरल के पतनमथिट्टा जिले में एक दलित छात्रा के साथ हुए सीरियल गैंगरेप का मामला सामने आया है, जिसने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। यह मामला सिर्फ एक अपराध नहीं, बल्कि समाज में व्याप्त गहरी समस्याओं की ओर भी इशारा करता है।
घटना की पृष्ठभूमि:
पीड़ित छात्रा उस समय मात्र 13 साल की थी जब पहली बार उसके साथ यह भयावह घटना घटी। उसका सबसे पहला आरोपी उसके बचपन का दोस्त और पड़ोसी था। उसने छात्रा की नग्न तस्वीरें और वीडियो बनाईं और फिर उन्हें दिखाकर उसे ब्लैकमेल किया। यह सिलसिला यहीं नहीं रुका। आरोपी ने छात्रा को अपने दोस्तों और अन्य लोगों के पास ले जाकर उनके द्वारा भी उसका शोषण करवाया।
यह मामला तब उजागर हुआ जब ‘स्नेहिता’ कार्यक्रम के तहत काउंसलिंग टीम ने छात्रा से बातचीत की। इस दौरान छात्रा ने अपनी पीड़ा व्यक्त की और कहा कि वह किसी वरिष्ठ अधिकारी से बात करना चाहती है। इसके बाद बाल कल्याण समिति (CWC) के अध्यक्ष एन राजीव ने पुलिस को इस घटना की सूचना दी।
जांच और गिरफ्तारियां:
अब तक इस मामले में कुल 59 आरोपियों की पहचान की गई है, जिनमें से 45 को गिरफ्तार किया जा चुका है। इनमें दो नाबालिग और बाकी 19 से 47 साल की उम्र के लोग शामिल हैं।
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पहले चरण में जांच: पतनमथिट्टा के पुलिस अधीक्षक वीजी विनोद कुमार की अगुवाई में एक विशेष जांच दल (SIT) का गठन किया गया। इस टीम में डीएसपी नंदकुमार एस को जांच अधिकारी बनाया गया।
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गिरफ्तारियों का विवरण: – एक आरोपी को तिरुअनंतपुरम से गिरफ्तार किया गया है। – तीन आरोपी अभी भी फरार हैं, जिनमें से दो भारत से बाहर हैं। – पुलिस का कहना है कि बाकी आरोपियों को जल्द ही गिरफ्तार कर लिया जाएगा।
कानूनी कार्रवाई और आरोप:
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कानून की धाराएं: इस मामले में आईपीसी की विभिन्न धाराओं के साथ-साथ एससी/एसटी (अत्याचार निवारण) अधिनियम और पॉक्सो एक्ट के तहत मामले दर्ज किए गए हैं।
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एफआईआर और बयान: पीड़िता ने अब तक 30 एफआईआर में से 6 मामलों में मजिस्ट्रेट के सामने अपना बयान दर्ज कराया है। बाकी एफआईआर में भी वह इन-कैमरा बयान दर्ज कराएगी। यह प्रक्रिया भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) की धारा 183 के तहत पूरी की जा रही है, जो सीआरपीसी की धारा 164 के समान है।
घटना की गहराई:
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पांच साल का दर्द: पुलिस के अनुसार, पिछले पांच वर्षों में पीड़िता के साथ तीन बार गैंगरेप हुआ।
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साक्ष्य और ब्लैकमेल: पुलिस ने बताया कि पहले आरोपी के फोन से कई अश्लील वीडियो और तस्वीरें मिली हैं। इनका इस्तेमाल पीड़िता को ब्लैकमेल करने और उसका यौन शोषण करने के लिए किया गया।
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पीड़िता का संघर्ष: काउंसलिंग के दौरान पीड़िता ने बताया कि उसे घर में भी सुरक्षा महसूस नहीं होती थी। उसने अपने पिता के फोन पर आए संदिग्ध कॉल्स के बारे में भी जानकारी दी, जिससे कई आरोपियों की पहचान हुई।
सामाजिक प्रतिक्रिया:
इस मामले ने महिला अधिकार संगठनों और नागरिक समाज को झकझोर दिया है।
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महिला आयोग की प्रतिक्रिया: राष्ट्रीय महिला आयोग और केरल महिला आयोग ने इस मामले का स्वतः संज्ञान लिया है और राज्य सरकार से तीन दिनों के भीतर रिपोर्ट मांगी है।
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महिला संगठन ‘सखी’ का बयान: सखी संगठन ने इस घटना को “सकते में डालने वाला” बताया और कहा कि यह मामले महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े करते हैं।
वर्तमान स्थिति:
पीड़िता और उसकी मां को एक सुरक्षित घर में भेज दिया गया है। पुलिस ने पीड़िता के मानसिक स्वास्थ्य के लिए मनोवैज्ञानिक और चिकित्सा सहायता की व्यवस्था की है। इस बीच, जांच तेजी से आगे बढ़ रही है, और पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ ठोस सबूत जुटाने का दावा किया है।
निष्कर्ष:
पतनमथिट्टा का यह मामला न केवल कानून और व्यवस्था की विफलता को उजागर करता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि समाज में यौन अपराधों के प्रति अभी भी जागरूकता की कमी है। पीड़िता की हिम्मत और जांच एजेंसियों की तत्परता इस बात की मिसाल है कि न्याय की प्रक्रिया कैसे काम कर सकती है।
यह घटना एक बार फिर इस बात की याद दिलाती है कि बच्चों और महिलाओं के खिलाफ अपराधों को रोकने के लिए कठोर कानूनों के साथ-साथ सामाजिक समर्थन और जागरूकता की भी आवश्यकता है।
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