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Sanchar Saathi विवाद: प्राइवेसी चिंताओं, Apple–Samsung की असहमति और उद्योग दबाव के बीच केंद्र ने क्यों वापस लिया अनिवार्य प्री-इंस्टॉलेशन आदेश

 7 दिसंबर 2025 |✍🏻 Z S Razzaqi |वरिष्ठ पत्रकार   

भारत में बढ़ते साइबर अपराधों से निपटने के उद्देश्य से सरकार ने मई 2023 में Sanchar Saathi पोर्टल लॉन्च किया था। यह प्लेटफॉर्म नागरिकों को उनके नाम से जारी मोबाइल नंबरों की जानकारी, फर्जी सिम रजिस्ट्रेशन की शिकायत, फोन ट्रैकिंग और साइबर धोखाधड़ी की रिपोर्टिंग जैसी सुविधाएँ देता है। इस वर्ष मोबाइल एप्लिकेशन संस्करण भी जारी किया गया, जिसे डिजिटल सुरक्षा को मजबूत बनाने के प्रयासों का महत्वपूर्ण हिस्सा माना गया।

लेकिन नवंबर 2025 में केंद्र द्वारा जारी एक नई अधिसूचना ने देशभर में निजता (Privacy) को लेकर बहस छेड़ दी। सरकार ने स्मार्टफोन कंपनियों को निर्देश दिया था कि वे सभी नए मोबाइल फोनों में Sanchar Saathi ऐप को अनिवार्य रूप से प्री-इंस्टॉल करें, तथा इसे न तो हटाया जा सके, न ही डिसेबल।

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यह आदेश जैसे ही सार्वजनिक हुआ, प्राइवेसी विशेषज्ञों, डिजिटल अधिकार संगठनों, टेक इंडस्ट्री और विपक्षी दलों ने तीखी प्रतिक्रिया दी। आरोप लगाया गया कि यह कदम नागरिकों के मूलभूत अधिकारों का उल्लंघन है और इसे सरकार के “डिजिटल निगरानी” (Digital Surveillance) के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है।


क्यों मच गई इतनी बड़ी आपत्ति?

1. उपयोगकर्ता की निजता पर गंभीर सवाल

ऐप को हटाने या बंद करने की अनुमति न देना, डिजिटल राइट्स समूहों को अस्वीकार्य लगा। उनका कहना था कि ऐसा कदम व्यक्ति की निजता और डिवाइस पर नियंत्रण के अधिकार के विपरीत है।

2. अंतरराष्ट्रीय कंपनियों की नाराज़गी

रॉयटर्स और उद्योग सूत्रों के अनुसार, तकनीकी दिग्गज Apple और Samsung ने इस आदेश पर साफ़ इनकार कर दिया।
Apple की नीति है कि वह किसी भी क्षेत्रीय सरकार के दबाव में अतिरिक्त ऐप्स को मजबूरी में प्री-इंस्टॉल नहीं करता, ताकि उपयोगकर्ता-प्राइवेसी और अनुभव समान रहे।
Samsung ने भी इस निर्देश को “व्यवहारिक रूप से असंगत” बताया।

3. उद्योग पर बढ़ता दबाव

सूत्रों के अनुसार, दूरसंचार विभाग (DoT) पर उद्योग की ओर से इतना दबाव था कि अंततः आदेश वापस लेने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा।
HT से जुड़े एक स्रोत ने बताया:

“अगर ऐप को हटाया जा सकता है तो कोई भी व्यक्ति, जो धोखाधड़ी करना चाहता है, इसे तुरंत डिलीट कर देगा। ऊपर से भारी विरोध और कानूनी कमजोरियों के कारण यह आदेश आगे टिक ही नहीं सकता था।”

4. संवैधानिक वैधता पर सवाल

कानूनी विशेषज्ञों से अनौपचारिक परामर्श के दौरान सरकार को बताया गया कि यह आदेश निजी स्वतंत्रता और निजता को लेकर सुप्रीम कोर्ट के ‘पुट्टस्वामी निर्णय’ की कसौटी पर खरा नहीं उतरेगा।


केंद्र का यू-टर्न: आदेश क्यों वापस लिया?

सरकार ने बुधवार को बयान जारी कर कहा कि ऐप की “बढ़ती लोकप्रियता” को देखते हुए अनिवार्य प्री-इंस्टॉलेशन का निर्णय वापस ले लिया गया है।
हालाँकि उद्योग जगत का मानना है कि:

  • तीखी आलोचना,

  • कानूनी चुनौतियाँ,

  • Apple-Samsung की असहमति,

  • और संभावित संवैधानिक संकट

—ये सभी प्रमुख कारण थे जिनके चलते केंद्र को पीछे हटना पड़ा।


क्या Sanchar Saathi से निगरानी (Snooping) का खतरा था?

विरोध के बीच सोशल मीडिया पर यह आरोप भी उछला कि कहीं यह ऐप सरकारी “स्नूपिंग टूल” तो नहीं है?
इस पर लोकसभा में संचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने स्पष्ट रूप से कहा:

“Sanchar Saathi न तो निजी डेटा एक्सेस करता है और न ही इसका उपयोग जासूसी (snooping) के लिए किया जा सकता है। यह पूरी तरह सुरक्षित है।”

उन्होंने जोर देकर कहा कि ऐप उपयोगकर्ता चाहे तो चाहे तो इसे अनइंस्टॉल भी कर सकता है।


Sanchar Saathi ऐप: सरकार का उद्देश्य क्या था?

मोबाइल सिम कार्ड धोखाधड़ी, डिजिटल फ्रॉड, और साइबर अपराधों में तेजी से वृद्धि को देखते हुए सरकार चाहती थी कि:

  • हर स्मार्टफोन में यह ऐप मौजूद रहे

  • नागरिक तुरंत फर्जी मोबाइल कनेक्शन चेक कर सकें

  • साइबर शिकायतें आसान हों

  • खोए हुए मोबाइल फोन जल्दी ट्रेस किए जा सकें

सरकार की मंशा डिजिटल सुरक्षा बढ़ाने की थी, लेकिन इसके क्रियान्वयन की पद्धति विवादों में घिर गई।


अंत में क्या निष्कर्ष निकलता है?

Sanchar Saathi को लेकर विवाद यह दर्शाता है कि डिजिटल सुरक्षा और डिजिटल निजता — दोनों ही आधुनिक लोकतंत्र के केंद्र में हैं।
ऐसे किसी भी कदम में:

  • पारदर्शिता

  • कानूनी मजबूती

  • टेक इंडस्ट्री के साथ संवाद

  • और नागरिक अधिकारों का सम्मान

जरूरी है।
सरकार ने आदेश वापस लेकर विवाद को अस्थायी रूप से शांत कर दिया है, लेकिन भविष्य में ऐसे कदम कहीं बड़े डिजिटल अधिकार विमर्श को जन्म दे सकते हैं।





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