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मुर्शिदाबाद में ‘बाबरी मस्जिद-शैली’ मस्जिद की नींव को लेकर सियासी हलचल तेज, सुरक्षा कड़ी—जिले में हाई अलर्ट जारी

  6 दिसंबर 2025 |✍🏻 Z S Razzaqi |वरिष्ठ पत्रकार   

पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में शनिवार का दिन अत्यंत संवेदनशील माहौल के बीच बीता, जब निलंबित टीएमसी विधायक हुमायूँ कबीर ने अपने विवादित कार्यक्रम—‘बाबरी मस्जिद-स्टाइल’ मस्जिद की नींव रखने—को लेकर अंतिम तैयारी पूरी की।

जिला प्रशासन ने संभावित भीड़, राजनीतिक तनाव और तारीख के प्रतीकात्मक महत्व को देखते हुए पूरे इलाके को हाई-सिक्योरिटी ज़ोन में तब्दील कर दिया है।

Symbolic Image 

कबीर द्वारा चुनी गई तारीख—6 दिसंबर, यानी बाबरी विध्वंस की बरसी—ने इस आयोजन के राजनीतिक तथा सांप्रदायिक संकेतों को और तेज कर दिया है, जिसकी वजह से राज्य सरकार, पुलिस और न्यायपालिका सभी की निगाहें इस कार्यक्रम पर टिक गई हैं।


कबीर बोले: “दोपहर 12 बजे कुरान का पाठ, उसके बाद नींव का काम—प्रशासन पूरा सहयोग दे रहा है”

कार्यक्रम शुरू होने से कुछ घंटे पहले हुमायूँ कबीर ने मीडिया से कहा कि तैयारियाँ नियंत्रण में हैं और प्रशासन भी समर्थन दे रहा है।
उन्होंने दोहराया कि:

“दोपहर 12 बजे कुरान पढ़ा जाएगा, उसके बाद नींव रखी जाएगी। मुर्शिदाबाद पुलिस, स्टेट पुलिस—सबका सहयोग मिल रहा है। मैं उनका धन्यवाद करता हूँ।”

कबीर का दावा है कि इस आयोजन में तीन लाख से अधिक लोगों की उपस्थिति हो सकती है।


बेलडांगा को ‘हाई सिक्योरिटी कॉरिडोर’ में बदला गया

पुलिस ने किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिए राष्ट्रीय राजमार्ग-12 के दोनों ओर

  • रैपिड एक्शन फोर्स (RAF)

  • जिला पुलिस

  • केंद्रीय सुरक्षा बल

की तैनाती की है।

पूरे क्षेत्र में ड्रोन निगरानी, बैरिकेडिंग, चेकपोस्ट्स और भीड़ प्रबंधन व्यवस्था स्थापित की गई है। PTI के अनुसार, सुरक्षा एजेंसियाँ पूरे दिन सतर्क मोड पर रहेंगी।


हाई कोर्ट ने कार्यक्रम की मंजूरी दी, लेकिन कानून-व्यवस्था की पूरी ज़िम्मेदारी राज्य पर

शुक्रवार को कलकत्ता हाई कोर्ट ने याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए कार्यक्रम को रोकने से इंकार किया, लेकिन राज्य सरकार को कड़े शब्दों में कहा कि:

“किसी भी स्थिति में कानून-व्यवस्था बिगड़ने नहीं दी जाएगी—पूरी ज़िम्मेदारी राज्य प्रशासन की होगी।”

इसके बाद पुलिस ने आयोजन समिति से देर रात तक बैकचैनल बातचीत कर सुरक्षा व्यवस्था में समन्वय सुनिश्चित किया।


राज्यपाल की अपील—‘उत्तेजक बयानों से दूर रहें, अफवाहों पर विश्वास न करें’

पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सी.वी. आनंद बोस ने संवेदनशील स्थिति को देखते हुए लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की और प्रशासन को निर्देश दिए कि:

“किसी भी जगह कोई गड़बड़ी न होने पाए—अफवाहों और भड़काऊ बयानों से सावधान रहें।”


हुमायूँ कबीर: राजनीतिक सफर उतना ही विवादित जितने उनके बयान

कबीर टीएमसी—कांग्रेस—बीजेपी की तीनों राजनीतिक धाराओं से जुड़े रहे हैं।
उनकी राजनीतिक यात्रा कई बार नाटकीय मोड़ ले चुकी है, और उनके बयान प्रायः विवादों को जन्म देते रहे हैं।

टीएमसी ने दो दिन पहले ही उन्हें पार्टी-विरोधी गतिविधियों और “सांप्रदायिक राजनीति” के आरोप में निलंबित किया था।
कबीर ने घोषणा की है कि वे

  • विधायक पद से इस्तीफा देंगे

  • और इस महीने के अंत तक अपनी नई राजनीतिक पार्टी लॉन्च करेंगे

इसलिए कई विश्लेषकों के अनुसार यह कार्यक्रम उनके लिए “पॉलिटिकल शो ऑफ स्ट्रेंथ” बन गया है।


नींव का कार्यक्रम—राजनीति, धर्म और जनसमर्थन का विशाल प्रदर्शन

PTI की रिपोर्ट के अनुसार बेलडांगा के आयोजन स्थल को बड़े पैमाने पर तैयार किया गया है। खेतों के बीच एक 150 फुट लंबा और 80 फुट चौड़ा विशाल मंच बनाया गया है।

  • लगभग 400 अतिथियों के बैठने की व्यवस्था

  • कई VIP एंट्री पॉइंट

  • मंच तक विशेष मार्ग

तैयार किए गए हैं।

सऊदी अरब से दो मौलाना बुलाए गए

आयोजकों का दावा है कि सऊदी अरब के दो आलिम (धार्मिक विद्वान) कोलकाता एयरपोर्ट से विशेष काफिले के साथ कार्यक्रम में पहुंचेंगे।


भव्य भोजन व्यवस्था: 60,000 बिरयानी पैकेट, ₹30 लाख का अनुमानित फूड बिल

कार्यक्रम को किसी उत्सव जैसा भव्य रूप दिया गया है।

  • मुर्शिदाबाद की 7 बड़ी कैटरिंग कंपनियों को जिम्मेदारी दी गई है।

  • मेहमानों के लिए लगभग 40,000 बिरयानी पैकेट

  • स्थानीय निवासियों के लिए 20,000 अतिरिक्त पैकेट

तैयार किए जा रहे हैं।

कबीर के एक नजदीकी सहयोगी के अनुसार:
“सिर्फ खाने पर ₹30 लाख से अधिक खर्च आएगा और पूरा आयोजन ₹70 लाख तक पहुंच सकता है।”


6 दिसंबर की संवेदनशीलता और राजनीतिक संदेश

6 दिसंबर, यानी अयोध्या की बाबरी मस्जिद ढहाए जाने की वर्षगांठ, देश की धार्मिक-राजनीतिक स्मृति में अत्यंत संवेदनशील तारीख है।
इस दिन किसी भी मस्जिद निर्माण की नींव रखना स्वाभाविक रूप से राजनीतिक और धार्मिक बहस को जन्म देता है।

विपक्ष इसे “सोची-समझी राजनीति” बता रहा है, जबकि कबीर इसे “आस्था और अधिकार” से जोड़ रहे हैं।


निष्कर्ष:-

 कार्यक्रम सिर्फ धार्मिक नहीं, राजनीतिक समीकरणों की नई दिशा तय कर सकता है

मुर्शिदाबाद का यह आयोजन सिर्फ एक मस्जिद की नींव रखने का कार्यक्रम नहीं—
यह बंगाल की राजनीति, हुमायूँ कबीर की नई राजनीतिक पारी, और राज्य में सांप्रदायिक संवेदनशीलता के बीच उभरते समीकरणों का बड़ा संकेतक है।

राज्य सरकार, पुलिस, हाई कोर्ट और राजभवन सभी की निगाहें इस कार्यक्रम पर हैं, क्योंकि इसका असर स्थानीय शांति, राजनीतिक संतुलन और आने वाले महीनों की चुनावी रणनीतियों पर पड़ सकता है।





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