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हार्वर्ड बनाम ट्रंप प्रशासन: अमेरिका की शिक्षा प्रणाली पर राजनीतिक तूफान और अंतरराष्ट्रीय छात्रों का संकट

परिचय: क्या अमेरिका की शिक्षा स्वतंत्र है?

शिक्षा की स्वतंत्रता, शैक्षणिक संस्थानों की स्वायत्तता और वैश्विक प्रतिभाओं के स्वागत की भावना — यही वे मूल्य हैं जिन पर अमेरिका का उच्च शिक्षा तंत्र दशकों से खड़ा है। लेकिन अब यही तंत्र एक अभूतपूर्व राजनीतिक झटके का शिकार हो गया है। हार्वर्ड यूनिवर्सिटी — जिसे न केवल अमेरिका बल्कि दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों में गिना जाता है — को अमेरिकी गृह सुरक्षा विभाग (DHS) ने विदेशी छात्रों को पढ़ाने की कानूनी मान्यता से वंचित कर दिया है।


यह फैसला न केवल शिक्षा की मूल आत्मा को चुनौती देता है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय छात्रों, अमेरिकी लोकतंत्र और वैश्विक बौद्धिक समुदाय पर दूरगामी प्रभाव डाल सकता है।


क्या हुआ है और क्यों?

21 मई 2025 को अमेरिका के गृह सुरक्षा सचिव क्रिस्टी नोएम ने हार्वर्ड की SEVIS (Student and Exchange Visitor Information System) एक्सेस रद्द करने का आदेश दिया। यह वही पोर्टल है जिससे अंतरराष्ट्रीय छात्रों की वैध वीज़ा स्थिति को अपडेट और सत्यापित किया जाता है। SEVIS एक्सेस के बिना हार्वर्ड अब विदेशी छात्रों को वैध रूप से न तो दाख़िला दे सकता है और न ही उनके मौजूदा वीज़ा को बनाए रख सकता है।

DHS का आरोप है कि:

  • हार्वर्ड का परिसर यहूदी छात्रों के लिए असुरक्षित है।

  • विश्वविद्यालय "हमा समर्थक और अमेरिका विरोधी" विचारों को बढ़ावा दे रहा है।

  • DEI (डाइवर्सिटी, इक्विटी एंड इनक्लूजन) नीतियों के ज़रिए एकतरफा राजनीति का पोषण किया जा रहा है।

इन आरोपों के साथ DHS ने विश्वविद्यालय से छात्रों के अनुशासनात्मक रिकॉर्ड, विरोध प्रदर्शनों की सीसीटीवी फुटेज और अन्य गोपनीय जानकारी माँगी है — जिसे हार्वर्ड ने पहले असंवैधानिक मानते हुए देने से इनकार कर दिया था।


6,800 छात्र अनिश्चितता में फंसे

इस निर्णय का सीधा असर हार्वर्ड में पढ़ रहे लगभग 6,800 अंतरराष्ट्रीय छात्रों पर पड़ा है। 2022 की रिपोर्ट के अनुसार:

  • चीन के 1,016 छात्र हार्वर्ड में पढ़ रहे थे,

  • फिर क्रमशः भारत, कनाडा, कोरिया, ब्रिटेन, जर्मनी, ऑस्ट्रेलिया, सिंगापुर और जापान आते हैं।

इन छात्रों को अब 72 घंटे के भीतर:

  1. किसी अन्य SEVIS-सर्टिफाइड संस्था में ट्रांसफर होना होगा,

  2. या अमेरिका में रहने की कानूनी स्थिति समाप्त हो जाएगी।

यह न केवल लॉजिस्टिक बल्कि मानसिक और शैक्षणिक संकट है। किसी भी छात्र के लिए अंतिम सेमेस्टर में ट्रांसफर कर पाना लगभग असंभव है।


क्या वीज़ा अब बेकार हो गए हैं?

तकनीकी रूप से छात्र वीज़ा अभी रद्द नहीं हुए हैं, लेकिन SEVIS एक्सेस के बिना:

  • विश्वविद्यालय पुष्टि नहीं कर सकता कि छात्र अभी भी पूर्णकालिक पढ़ाई कर रहे हैं,

  • इसका अर्थ यह हुआ कि F-1 या J-1 वीज़ा रखने वाले छात्र अब “नो-स्पॉन्सर” की स्थिति में हैं, जो अमेरिकी इमिग्रेशन कानून के तहत अवैध माना जाता है।

ऐसे में छात्र तुरंत deportable यानी निष्कासित किए जा सकते हैं।


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राजनीति की गहराई: गाज़ा, विरोध और संघीय टकराव

ट्रंप प्रशासन और हार्वर्ड के बीच यह टकराव कोई नई बात नहीं है। पिछले कुछ महीनों में:

  • हार्वर्ड ने गाज़ा युद्ध से संबंधित छात्र विरोधों को रोकने से इनकार कर दिया,

  • DEI कार्यक्रमों को हटाने की सरकारी मांगों का भी विरोध किया,

  • और अब तक $2.7 बिलियन की फेडरल रिसर्च ग्रांट को रोक दिया गया है।

ट्रंप ने हार्वर्ड की टैक्स-मुक्त स्थिति समाप्त करने की धमकी दी है और प्रशासन इसे एक राजनीतिक प्रतिशोध की तरह इस्तेमाल कर रहा है।


अदालती लड़ाई और आगे की राह

हार्वर्ड ने इसे “असंवैधानिक, अलोकतांत्रिक और दुर्भावनापूर्ण” करार दिया है और कहा है कि वह छात्रों की सुरक्षा और भविष्य के लिए अदालत का दरवाज़ा खटखटाएगा।

संभावित परिदृश्य:

  • अगर अदालत हस्तक्षेप करती है तो SEVIS एक्सेस बहाल हो सकता है,

  • अन्यथा छात्रों को अन्य संस्थाओं में शरण लेनी होगी या अमेरिका छोड़ना पड़ सकता है,

  • अमेरिकी शिक्षा प्रणाली की विश्वसनीयता को गहरा आघात लगेगा।



निष्कर्ष:
 यह सिर्फ हार्वर्ड की लड़ाई नहीं है
यह लड़ाई सिर्फ एक विश्वविद्यालय की नहीं है 
— यह लड़ाई है:

शिक्षा की आज़ादी की,
विचारों की स्वतंत्रता की,
और अमेरिका के बौद्धिक नेतृत्व की साख की।
अगर प्रतिष्ठित संस्थाएं राजनीतिक आदेशों के आगे झुकने लगें, तो फिर ‘शिक्षा का मंदिर’ केवल सत्ता का औजार बनकर रह जाएगा।

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