✍🏻 Z S Razzaqi | अंतरराष्ट्रीय विश्लेषक एवं वरिष्ठ पत्रकार
भूमिका: उठता बारूद, गहराता तनाव
13 जून 2025 की सुबह पश्चिम एशिया के लिए एक बड़ा भूचाल बनकर आई। इसराइल ने आधिकारिक तौर पर ईरान पर 'ऑपरेशन राइज़िंग लायन' के तहत हमला किया, जिसके तहत ईरान के परमाणु संवर्धन से जुड़े मुख्य सैन्य और तकनीकी ठिकानों को निशाना बनाया गया। यह हमला उस समय हुआ जब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मध्य-पूर्व में शांति बनाए रखने की अपीलें की जा रही थीं।
ऑपरेशन राइज़िंग लायन: इसराइली प्रधानमंत्री का ऐलान
इसराइल के प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतन्याहू ने राष्ट्र को संबोधित करते हुए कहा:
"कुछ ही समय पहले इसराइल ने ऑपरेशन राइज़िंग लायन शुरू किया। यह हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा और अस्तित्व पर मंडराते ईरानी परमाणु खतरे को समाप्त करने के लिए शुरू किया गया एक सैन्य अभियान है। जब तक आवश्यक होगा, यह अभियान जारी रहेगा।"
नेतन्याहू ने आगे कहा कि ईरान अब अपने यूरेनियम संवर्धन कार्यक्रम को ऐसे चरण में ले जा चुका है जहाँ वह कुछ महीनों के भीतर परमाणु हथियार बना सकता है। यह इसराइल के लिए एक सीधा और तात्कालिक खतरा है।
ईरानी प्रतिक्रिया: 'कड़ी सज़ा' की चेतावनी
ईरान के सर्वोच्च धार्मिक और राजनीतिक नेता अयातुल्लाह अली ख़ामेनेई ने इसराइल के इस हमले पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा:
"ज़ायनिस्ट शासन को इस दुस्साहस की कड़ी सज़ा भुगतनी होगी। ईरान की सशस्त्र सेनाएं उन्हें सज़ा दिए बिना नहीं छोड़ेंगी।"
उन्होंने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर यह बयान जारी कर संकेत दिया कि ईरान जल्द ही प्रतिशोध ले सकता है।
ईरानी मीडिया की रिपोर्ट: रिहायशी इलाकों पर हमला, बच्चों की मौत की पुष्टि
ईरान के सरकारी मीडिया का दावा है कि इसराइल ने सिर्फ सैन्य ठिकानों पर ही नहीं, बल्कि रिहायशी इलाकों पर भी बमबारी की है। राजधानी तेहरान और अन्य शहरों में कई मकान ध्वस्त हो गए हैं। स्थानीय रिपोर्टों के मुताबिक, मारे गए लोगों में मासूम बच्चे भी शामिल हैं।
प्रमुख लक्ष्यों में शामिल:
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तेहरान स्थित रिवॉल्यूशनरी गार्ड्स का मुख्यालय, जहां के प्रमुख हुसैन सलामी हमले में मारे गए।
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नतांज़ शहर, जो यूरेनियम संवर्धन के लिए ईरान का सबसे संवेदनशील केंद्र है।
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परमाणु वैज्ञानिक फिरेदून अब्बासी और मोहम्मद मेहदी तेहरानची की मौत की पुष्टि।
अमेरिका की भूमिका: 'हम शामिल नहीं हैं' लेकिन बचाव किया इसराइल का
अमेरिका के विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने प्रेस वार्ता में स्पष्ट किया:
"हम इस सैन्य अभियान में प्रत्यक्ष रूप से शामिल नहीं हैं। हमारी प्राथमिकता क्षेत्र में अमेरिकी सैनिकों की सुरक्षा है।"
हालाँकि उन्होंने इसराइल की 'आत्मरक्षा के अधिकार' का समर्थन किया और कहा कि अमेरिकी प्रशासन पहले से ही इस संभावना के लिए तैयार था।
अब तक अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस मुद्दे पर कोई सार्वजनिक टिप्पणी नहीं की है, लेकिन आंतरिक सूत्रों के अनुसार, अमेरिका क्षेत्र में अपने सैनिक ठिकानों पर उच्चतम अलर्ट पर है।
पूर्व चेतावनियाँ: क्या हमला पहले से तय था?
वॉल स्ट्रीट जर्नल और रॉयटर्स जैसे प्रतिष्ठित मीडिया संस्थानों ने पहले ही आशंका जताई थी कि अगर ईरान अमेरिकी शर्तों पर परमाणु वार्ता के लिए सहमत नहीं होता, तो इसराइल सैन्य कार्रवाई कर सकता है।
पूर्व अमेरिकी काउंटर टेररिज़्म डायरेक्टर जावेद अली ने बीबीसी को बताया:
"अमेरिका की कुछ हालिया गतिविधियों जैसे कि बगदाद स्थित दूतावास को खाली कराना और सैन्य परिवारों को बाहर निकालना इस हमले की तैयारी का संकेत थे।"
अब क्या? संभावित परिणाम और आगे का रास्ता
इस हमले से पूरे पश्चिम एशिया में अस्थिरता और युद्ध की संभावना गहराती जा रही है। यह केवल ईरान और इसराइल के बीच सीमित संघर्ष नहीं रह सकता, क्योंकि:
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ईरान ने चेतावनी दी है कि वह अमेरिका को इस हमले के लिए ज़िम्मेदार मानेगा।
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लेबनान स्थित हिज़्बुल्लाह और यमन के हूती विद्रोही जैसे ईरानी समर्थित संगठन सक्रिय हो सकते हैं।
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तेल की कीमतों में उछाल और वैश्विक बाजार पर असर तय है।
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संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की आपात बैठक बुलाए जाने की संभावना है।
निष्कर्ष: एक नए युद्ध का आरंभ या आख़िरी चेतावनी?
इसराइल और ईरान के बीच लंबे समय से चला आ रहा छद्म युद्ध अब खुली सैन्य टकराव की ओर बढ़ चुका है। क्या यह हमला सिर्फ चेतावनी भर है या भविष्य के एक व्यापक युद्ध की शुरुआत? यह तो आने वाला सप्ताह बताएगा। लेकिन इतना तय है कि यह हमला सिर्फ मध्य-पूर्व को नहीं, पूरी दुनिया को झकझोरने वाला है।
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