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ट्रंप के खुलासों ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर पीएम मोदी के संबोधन को ढक दिया: कांग्रेस ने अमेरिकी दावों पर केंद्र सरकार से मांगा जवाब

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को 'ऑपरेशन सिंदूर' को लेकर देश को संबोधित करते हुए एक भावनात्मक बयान दिया, लेकिन उससे ठीक पहले अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के एक बड़े खुलासे ने राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी। ट्रंप ने दावा किया कि उनके कार्यकाल के दौरान अमेरिका ने भारत और पाकिस्तान के बीच एक संभावित "परमाणु संघर्ष" को इस वादे के ज़रिए रोका था कि अगर दोनों देश अपने विवादों को शांतिपूर्वक सुलझाते हैं तो अमेरिका उनके साथ "बड़े पैमाने पर व्यापार" करेगा।

ट्रंप के इस कथन के सामने आने के कुछ ही मिनटों बाद प्रधानमंत्री मोदी का संबोधन हुआ, लेकिन उन्होंने इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। इस चुप्पी को लेकर कांग्रेस पार्टी ने सरकार पर तीखा हमला बोला है। पार्टी का आरोप है कि क्या भारत ने अमेरिका के दबाव में पाकिस्तान के खिलाफ सैन्य कार्रवाई को रोका? क्या भारत ने कश्मीर पर अमेरिकी मध्यस्थता स्वीकार कर ली है? कांग्रेस ने इन सवालों को लेकर केंद्र सरकार से स्पष्टता की मांग की है।

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जयराम रमेश का तीखा सवाल: क्या भारत ने अमेरिकी मध्यस्थता को मंजूरी दी?

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा:

"प्रधानमंत्री, उनके समर्थक और प्रवक्ता इस पर जवाब दें। प्रधानमंत्री का यह लंबे समय से प्रतीक्षित संबोधन, ट्रंप के बयान से पूरी तरह ढक गया। प्रधानमंत्री ने ट्रंप के दावे पर एक शब्द नहीं कहा। क्या भारत ने अमेरिकी मध्यस्थता को स्वीकार कर लिया है? क्या भारत पाकिस्तान के साथ बातचीत के लिए 'तटस्थ स्थल' पर जाने को तैयार है? क्या भारत ने अमेरिकी बाजार के लिए अपने ऑटोमोबाइल, कृषि और अन्य क्षेत्रों को खोलने की शर्तें मान ली हैं?"

उन्होंने यह भी कहा कि देश एकजुटता और परिपक्व कूटनीति की मांग कर रहा है, न कि नारेबाज़ी और संवादबाज़ी की।


‘सरकार बताए ऑपरेशन सिंदूर क्यों रोका गया?’ – कांग्रेस की तीखी मांग

कांग्रेस के मीडिया विभाग के प्रमुख पवन खेड़ा ने ट्रंप के बयान को "चिंताजनक और असहज करने वाला" बताया। उन्होंने कहा:

"हमें सरकार से यह स्पष्ट जानकारी चाहिए कि क्या यह सैन्य कार्रवाई अमेरिका के साथ व्यापारिक समझौतों के चलते रोकी गई थी? यदि अमेरिका ने कश्मीर पर मध्यस्थता की पेशकश की थी, तो भारत सरकार ने उस पर क्या प्रतिक्रिया दी?"

खेड़ा ने आगे कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि दो बार सभी दलों की बैठकें बुलाई गईं, लेकिन प्रधानमंत्री ने उनमें भाग नहीं लिया।


कांग्रेस की मांग: विशेष संसद सत्र बुलाया जाए

कांग्रेस ने 'ऑपरेशन सिंदूर' को लेकर विशेष संसद सत्र बुलाने की मांग को फिर दोहराया है। पार्टी का कहना है कि इतने गंभीर और संवेदनशील विषय पर संसद में खुली चर्चा होनी चाहिए, ताकि देश को सही जानकारी मिल सके और विपक्ष को सवाल पूछने का अवसर मिले।


प्रधानमंत्री की चेतावनी: "आतंक और बातचीत एक साथ नहीं चल सकते"

हालांकि प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में पाकिस्तान को स्पष्ट संदेश देते हुए कहा:

"आतंक और वार्ता एक साथ नहीं चल सकते, आतंक और व्यापार एक साथ नहीं चल सकते, और खून और पानी एक साथ नहीं बह सकते। भारत अब परमाणु ब्लैकमेल को बर्दाश्त नहीं करेगा।"

यह वक्तव्य भारत की पाकिस्तान नीति में एक स्पष्ट बदलाव का संकेत देता है, लेकिन कांग्रेस का कहना है कि ट्रंप के दावों के बाद केवल भावनात्मक बातें काफी नहीं हैं, ज़रूरी है कि सरकार तथ्यात्मक रूप से जवाब दे।


राजनीतिक पृष्ठभूमि में बड़ा सवाल: क्या मोदी सरकार ने अमेरिकी दबाव में कदम पीछे खींचे?

ट्रंप का यह बयान कि अमेरिका ने व्यापारिक प्रस्तावों के माध्यम से भारत-पाक युद्ध को रोका, सिर्फ भारत की कूटनीतिक स्थिति पर सवाल नहीं उठाता, बल्कि मोदी सरकार के निर्णयों पर भी संदेह खड़ा करता है। यदि यह सच है, तो इसका अर्थ है कि भारत की विदेश और रक्षा नीति में विदेशी प्रभाव बढ़ता जा रहा है।


कांग्रेस: सेना पर गर्व, पर सरकार को देना होगा जवाब

कांग्रेस ने भारतीय सेना की वीरता और समर्पण की खुलकर प्रशंसा की, लेकिन यह भी जोड़ा कि सेना की उपलब्धियों की आड़ में सरकार जवाबदेही से बच नहीं सकती। जयराम रमेश ने कहा:

"हमारी सेना ने देश का मान बढ़ाया है और हम उनके साथ 100 प्रतिशत खड़े हैं। लेकिन प्रधानमंत्री को अब भी कई सवालों के जवाब देने हैं।"

 


निष्कर्ष: लोकतंत्र में पारदर्शिता जरूरी है

डोनाल्ड ट्रंप का बयान भारत के लिए एक गंभीर कूटनीतिक चुनौती है। अगर उनकी बातें सही हैं, तो यह भारत की रणनीतिक स्वायत्तता और विदेश नीति की पारदर्शिता पर प्रश्नचिह्न लगाता है। इस बीच, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण में इस मुद्दे पर मौन रहना, विपक्ष को सरकार की मंशा पर शक करने का अवसर दे रहा है।
कांग्रेस ने स्पष्ट रूप से मांग की है कि सरकार इस पूरे घटनाक्रम पर संसद और जनता के सामने आकर जवाब दे – ताकि लोकतंत्र में पारदर्शिता और विश्वास बना रह सके।

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