भोपाल — मध्यप्रदेश की राजनीति में उस वक्त हड़कंप मच गया जब राज्य की उच्च न्यायालय ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ मंत्री कुँवर विजय शाह के खिलाफ भारतीय सेना की अधिकारी कर्नल सोफिया कुरैशी को लेकर की गई आपत्तिजनक और अपमानजनक टिप्पणी पर एफआईआर दर्ज करने के आदेश दे दिए। यह आदेश न्यायमूर्ति अतुल श्रीधरन की एकल पीठ द्वारा बुधवार को सुनाया गया, जिसमें स्पष्ट रूप से पुलिस महानिदेशक को शाम तक कार्रवाई सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए।
🔴 कोर्ट का सख़्त रुख: अवमानना की चेतावनी
न्यायालय ने स्पष्ट किया कि यदि पुलिस इस आदेश का पालन करने में विफल रहती है, तो यह 'अवमानना अधिनियम' के तहत कार्यवाही को आमंत्रित करेगा। मंत्री के वकील ने जब तर्क दिया कि कोर्ट का आदेश सिर्फ अखबारों की रिपोर्टिंग पर आधारित है, तो अदालत ने फौरन कहा कि अब इस मामले में वीडियो लिंक भी रिकार्ड में जोड़े जाएंगे, ताकि साक्ष्य और ठोस बन सकें।
न्यायमूर्ति श्रीधरन ने राज्य के महाधिवक्ता (एडवोकेट जनरल) द्वारा समय की मांग को खारिज करते हुए भावुक टिप्पणी की, “मैं कल रहूं या न रहूं, इस पर कोई भरोसा नहीं... यह मामला आज ही निपटाया जाना चाहिए।”
⚖️ कानूनी प्रावधान: धार्मिक वैमनस्यता फैलाने पर कार्रवाई
कोर्ट ने प्राथमिक दृष्टया माना कि 'भारतीय न्याय संहिता (Bharatiya Nyaya Sanhita) की धारा 196' इस मामले में लागू होती है, जो धार्मिक आधार पर दो समूहों के बीच वैमनस्य या शत्रुता फैलाने वाली टिप्पणियों या कृत्यों को दंडनीय बनाती है।
🪖 कौन हैं कर्नल सोफिया कुरैशी?
कर्नल सोफिया कुरैशी, भारतीय सेना की एक सशक्त महिला अधिकारी हैं जिन्होंने हाल ही में 'ऑपरेशन सिंदूर' के अंतर्गत भारत-पाक संघर्षविराम और सैन्य कार्रवाई से जुड़ी मीडिया ब्रीफिंग्स में अहम भूमिका निभाई थी। वह विंग कमांडर व्योमिका सिंह और विदेश सचिव विक्रम मिस्री के साथ मिलकर नियमित प्रेस ब्रीफिंग्स का नेतृत्व कर रही थीं।
🗣️ क्या बोले भाजपा मंत्री विजय शाह?
इंदौर में एक सार्वजनिक कार्यक्रम के दौरान विजय शाह ने टिप्पणी करते हुए कहा:
“जिन्होंने हमारी बेटियों को विधवा बनाया, उनके घर में घुसकर सबक सिखाने के लिए हमने उन्हीं की बिरादरी की बहन को भेजा।”
इस कथन को व्यापक रूप से जातीय और धार्मिक विद्वेष फैलाने वाला माना गया। सोशल मीडिया पर यह टिप्पणी आग की तरह फैल गई और देशभर से तीखी प्रतिक्रिया आई।
🔵 राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW) की तीखी प्रतिक्रिया
एनसीडब्ल्यू की अध्यक्ष विजय रहाटकर ने इस बयान को नारी गरिमा के लिए अपमानजनक बताते हुए कहा:
“यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है कि जिम्मेदार पदों पर बैठे कुछ व्यक्ति इस तरह की अस्वीकार्य और अपमानजनक टिप्पणियाँ कर रहे हैं। यह न केवल महिलाओं की गरिमा को ठेस पहुँचाता है, बल्कि उन बेटियों का भी अपमान है जो देश की रक्षा में अपनी भूमिका निभा रही हैं।”
🔴 विपक्ष का हमला: कांग्रेस ने की मंत्री को बर्खास्त करने की मांग
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने बयान को “शर्मनाक और अश्लील” बताते हुए भाजपा की नीतियों पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि जिस देश की महिलाएं सेना में जाकर देश की रक्षा कर रही हैं, उनके सम्मान की रक्षा करना सरकार की प्राथमिक जिम्मेदारी होनी चाहिए।
कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी दलों ने मंत्री को तत्काल मंत्रिमंडल से हटाने और उनके खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की मांग की है।
⚠️ मंत्री की सफाई: “अगर किसी को ठेस पहुँची, तो मैं दस बार माफ़ी मांगने को तैयार हूँ”
चुनाव पूर्व के माहौल में सियासी नुकसान को भांपते हुए मंत्री विजय शाह ने मंगलवार को सफाई देते हुए कहा कि उनके बयान को तोड़ा-मरोड़ा गया है।
उन्होंने कहा, “अगर किसी को मेरी बात से ठेस पहुंची हो तो मैं दस बार माफ़ी मांगने को तैयार हूं। मैं कर्नल सोफिया कुरैशी का सम्मान करता हूं, उनसे ज्यादा तो अपनी बहन से भी नहीं करता।”
हालांकि, उनके इस बयान को आलोचकों ने "कूटनीतिक बचाव" करार दिया है।
🧾 निष्कर्ष:
मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय का यह आदेश भारतीय राजनीति में एक नजीर बन सकता है, जहाँ राजनीतिक वक्तव्यों की जवाबदेही और संवैधानिक गरिमा को प्राथमिकता दी गई है। यह मामला महिला सैन्य अधिकारियों के सम्मान, धार्मिक सद्भावना, और राजनीतिक नैतिकता की परीक्षा के रूप में सामने आया है।
यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या भाजपा मंत्री के खिलाफ सच में एफआईआर दर्ज होती है, और क्या यह मामला देश में राजनीति की भाषा और मर्यादा को फिर से परिभाषित करने की शुरुआत बनेगा।
ये भी पढ़े
2 -प्रीमियम डोमेन सेल -लिस्टिंग