भारतीय वायुसेना प्रमुख, एयर चीफ मार्शल अमर प्रीत सिंह ने 29 मई 2025 को नई दिल्ली में एक कार्यक्रम के दौरान रक्षा खरीद और परियोजनाओं में लगातार हो रही देरी पर गहरी चिंता व्यक्त की। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि "मैं ऐसा कोई भी प्रोजेक्ट नहीं जानता जो समय पर पूरा हुआ हो
रक्षा परियोजनाओं में देरी: एक गंभीर चिंता
एयर चीफ मार्शल सिंह ने कहा कि कई बार अनुबंधों पर हस्ताक्षर करते समय ही यह ज्ञात होता है कि संबंधित प्रणाली समय पर नहीं आएगी। उन्होंने पूछा, "हम ऐसी प्रतिबद्धता क्यों करते हैं जो पूरी नहीं हो सकती?" इस तरह की अव्यवहारिक समयसीमाएं क्षमता निर्माण और सशस्त्र बलों की रणनीतिक तैयारी को प्रभावित करती हैं।
तेजस परियोजना में देरी और HAL पर विश्वास की कमी
तेजस लड़ाकू विमान परियोजना में हो रही देरी पर उन्होंने विशेष चिंता जताई। उन्होंने कहा कि 2016 में 40 एलसीए एमके1 विमानों के लिए अनुबंध किया गया था, लेकिन 2024 तक केवल 38 ही प्राप्त हुए हैं। इस देरी के लिए उन्होंने हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) की उत्पादन क्षमता पर सवाल उठाया और कहा कि "मैं HAL पर विश्वास नहीं कर पा रहा हूं, जो कि एक गलत स्थिति है"
चीन की बढ़ती तकनीकी क्षमता पर चिंता
एयर चीफ मार्शल सिंह ने चीन की तेजी से बढ़ती तकनीकी और उत्पादन क्षमताओं पर भी चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि चीन ने रिकॉर्ड समय में दो प्रकार के स्टील्थ लड़ाकू विमान - जे-20 और जे-35 - विकसित किए हैं, जबकि भारत अभी भी तेजस एमके2 के परीक्षण की प्रतीक्षा कर रहा है
आत्मनिर्भरता और रक्षा तैयारियों के बीच संतुलन
उन्होंने आत्मनिर्भरता (आत्मनिर्भर भारत) की आवश्यकता को स्वीकार करते हुए कहा कि यह राष्ट्रीय रक्षा की कीमत पर नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा, "आत्मनिर्भरता महत्वपूर्ण है, लेकिन यह राष्ट्र की रक्षा के लिए खतरा नहीं बननी चाहिए"
निजी क्षेत्र की भागीदारी की आवश्यकता
एयर चीफ मार्शल सिंह ने रक्षा उत्पादन में निजी क्षेत्र की भागीदारी बढ़ाने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि प्रतिस्पर्धा और विविध स्रोतों की उपलब्धता से उत्पादन क्षमता में सुधार होगा और समय पर डिलीवरी सुनिश्चित की जा सकेगी
निष्कर्ष:-
एयर चीफ मार्शल अमर प्रीत सिंह का यह स्पष्ट और तीखा बयान भारतीय रक्षा क्षेत्र में समय पर परियोजनाओं की पूर्ति, उत्पादन क्षमता में सुधार और निजी क्षेत्र की भागीदारी की आवश्यकता को रेखांकित करता है। उनकी टिप्पणियां रक्षा तैयारियों में सुधार और आत्मनिर्भरता के बीच संतुलन बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हैं।