Type Here to Get Search Results !

ADS5

ADS2

वक़्फ़ संशोधन 2025 पर सुप्रीम कोर्ट में बड़ा सुनवाई दिवस: 20 मई को सिर्फ इसी मामले की होगी सुनवाई

भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) डी. वाई. चंद्रचूड़ के उत्तराधिकारी मुख्य न्यायाधीश बी. आर. गवई की अध्यक्षता वाली पीठ ने गुरुवार को यह स्पष्ट कर दिया कि 20 मई 2025 को सुप्रीम कोर्ट में पूरे दिन सिर्फ एक ही मामला सुना जाएगा — वक़्फ़ (संशोधन) अधिनियम 2025 पर अंतरिम स्थगन की याचिका। न्यायमूर्ति ऑगस्टिन जॉर्ज मसीह इस दो-सदस्यीय पीठ में उनके साथ होंगे।

Symbolic Image 

⚖️ सुनवाई की तैयारी: अधिवक्ताओं को स्पष्ट निर्देश

मुख्य न्यायाधीश गवई ने वादी और प्रतिवादी पक्ष के सभी अधिवक्ताओं को यह निर्देश दिया है कि वे अपनी दलीलों और संबंधित कानून बिंदुओं की समेकित नोट (consolidated note) पहले से सुपुर्द करें, ताकि मामला किसी भी स्थिति में स्थगित न किया जाए

“हम मंगलवार, 20 मई को कोई अन्य मामला नहीं लेंगे,” — CJI गवई ने स्पष्ट रूप से कहा।

📜 इस संवेदनशील मामले की पृष्ठभूमि

वक़्फ़ संशोधन कानून 2025 को चुनौती देने वाली याचिकाएं पहली बार सुप्रीम कोर्ट में उस दिन आईं जब CJI गवई ने पदभार ग्रहण किया था, यानी यह मामला उनकी न्यायिक प्राथमिकताओं में से एक बन गया है।

इससे पहले, 5 मई 2025 को यह मामला पूर्व CJI जस्टिस संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली तीन-न्यायाधीशीय पीठ के समक्ष आया था। उस समय जस्टिस खन्ना ने यह कहते हुए मामले की सुनवाई से पीछे हटने की इच्छा जताई कि उनके सेवानिवृत्त होने में बहुत कम समय बचा है (13 मई 2025 को उनका कार्यकाल समाप्त हुआ)। उन्होंने कहा कि इतने गंभीर मुद्दे पर वे आदेश सुरक्षित नहीं रखना चाहेंगे और स्पष्ट कर दिया कि मामला उनके उत्तराधिकारी को सौंपा जाएगा।

🕌 विवाद के मुख्य बिंदु: याचिकाओं में क्या कहा गया है?

वक़्फ़ (संशोधन) अधिनियम 2025 को लेकर 100 से अधिक याचिकाएं दाखिल की गईं। याचिकाकर्ताओं का मुख्य तर्क यह है कि यह संशोधन:

  • मुस्लिम समुदाय के धार्मिक मामलों और संपत्ति प्रबंधन के अधिकारों में हस्तक्षेप करता है

  • वक़्फ़ बाय यूज़र (Waqf-by-User) की अवधारणा को हटाता है, जिसे पहले सुप्रीम कोर्ट ने वैध ठहराया था।

  • वक़्फ़ बोर्ड और केंद्रीय वक़्फ़ परिषद की संरचना में बदलाव करता है, जिसमें गैर-मुस्लिम सदस्यों की नियुक्ति को अनिवार्य कर दिया गया है, जिससे इस्लामी धार्मिक संस्थाओं के स्वायत्त संचालन पर सवाल उठता है।

📈 सरकार का पक्ष: संपत्तियों में बढ़ोतरी और अतिक्रमण

सरकार ने अपने हलफनामे में कहा है कि 2013 से 2024 के बीच वक़्फ़ संपत्तियों में असाधारण वृद्धि देखी गई है और 2025 का संशोधन इस “बढ़ते अतिक्रमण” को नियंत्रित करने के लिए आवश्यक कदम है।

17 अप्रैल 2025 को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से स्पष्ट बयान देने को कहा था कि इन संशोधनों के आधार पर किसी भी वक़्फ़ संपत्ति की प्रकृति या स्थिति को नहीं बदला जाएगा, और अदालत ने इस बयान को अपने आदेश में दर्ज किया था।

🏛️ सुनवाई की रूपरेखा: 20 मई को निर्णायक बहस

अब जबकि मामला पूरी तरह से मुख्य न्यायाधीश गवई की देखरेख में आ गया है, 20 मई को दोनों पक्षों — केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता, और याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल — के बीच गहन बहस की संभावना है।

यह स्पष्ट कर दिया गया है कि यह एक अंतरिम आदेश (interim stay) पर बहस है — यानी, क्या संशोधन की प्रक्रिया पर रोक लगाई जाए जब तक अंतिम निर्णय न आए।


✍️ निष्कर्ष:

वक़्फ़ संशोधन 2025 न केवल एक धार्मिक-संवैधानिक मामला है, बल्कि यह भारत में अल्पसंख्यक अधिकारों और राज्य की भूमिका को लेकर एक गहरा विमर्श प्रस्तुत करता है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा इस मामले को गंभीरता से लिया जाना इस बात का संकेत है कि मुस्लिम समुदाय की स्वायत्तता, संवैधानिक मूल्यों और धार्मिक स्वतंत्रता के सवालों पर देश की सर्वोच्च न्यायपालिका अब निर्णायक भूमिका निभाने जा रही है।

🕊️ अब पूरे देश की नजरें 20 मई को होने वाली इस महत्वपूर्ण सुनवाई पर टिकी हैं।

ये भी पढ़े 

2 -प्रीमियम डोमेन सेल -लिस्टिंग  


एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.

ADS3

ADS4